Thursday 18 April 2024

नागौर की भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा ने स्वयं की तुलना चिड़कली (गौरेया चिडिय़ा) से की।मतदाता चिडिय़ा को मसल दे या फिर संसद में भेज दे। मुट्ठी में बंद चिड़कली और एक बाबा की कहानी गंभीर अंदाज में सुना रही है ज्योति। इस कहानी से सहानुभूति की लहर।

राजस्थान के नागौर संसदीय क्षेत्र में भी पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मतदाता 26 लाख 84 हजार 828 नागौर में ही है। यहां भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा का मुकाबला कांग्रेस समर्थित आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल से हो रहा है। बेनीवाल की छवि एक दबंग नेता की है। जबकि ज्योति मिर्धा स्वयं को एक लाचार महिला के तौर पर प्रस्तुत कर रही है। वैसे भी ज्योति को शांत और सरल स्वभाव की नेता माना जाता है। ज्योति चुनावी सभाओं में अपनी तुलना मुट्ठी बंद चिड़कली (गौरेया चिडिय़ा) से कर रही है। चुनावी सभाओं में ज्योति मारवाड़ शैली की राजस्थानी भाषा में एक कहानी सुना रही हैं। कहानी के अनुसार गांव में एक सिद्ध बाबा आए बाबा की परीक्षा लेने के लिए एक समझदार आदमी भी पहुंच गया। इस आदमी ने बाबा से पूछा कि बाबा मेरी मुट्ठी में जो चिड़कली है, वह मरी है या जिंदा है। यह बात सुनकर बाबा असमंजस में पड़ गए बाबा को पता था कि चिड़कली जिंदा है। लेकिन बाबा यह कहते चिड़कली जिंदा है तो वह व्यक्ति मुट्ठी में ही चिड़कली को मसल कर मार देता। ऐसे में बाबा गांव वालों के सामने गलत साबित होते। यदि बाबा यह कहते कि चिडिय़ा मारी हुई है तो वह व्यक्ति मुट्ठी खोल कर चिडिय़ा को उड़ा देता। इसलिए बाबा ने कहा कि चिड़कली की जिंदगी आपके हाथ में है, आप चाहे तो चिड़कली को मार भी सकते हैं। ज्योति का कहना है कि मेरी स्थिति भी मुट्ठी में बंद चिड़कली की तरह है। नागौर के मतदाता चाहे तो मसल दे और चाहे तो उड़ा दे। मारवाड़ की शैली में ज्योति मिर्धा जब यह कहानी सुनाती है तो सहानुभूति भी उत्पन्न होती है। ज्योति के शब्दों में वाली यह कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ज्योति मिर्धा कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं। हाल ही में भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योति मिर्धा ने नागौर से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा उम्मीदवार होने के बाद भी चुनाव हार गई। तीन बार लगातार चुनाव हारने से भी ज्योति के प्रति नागौर संसदीय क्षेत्र में सहानुभूति की लहर मानी जा रही है। चिडिय़ा वाली कहानी का भी मतदाताओं पर असर हो रहा है। ज्योति के समर्थकों का मानना है कि नागौर के मतदाता अब चिडिय़ा को उड़ा कर संसद में ही भेजेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-04-2024)
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