Tuesday 16 December 2014

पेशावर में आतंकियों ने किस को मारा

पेशावर में आतंकियों ने किस को मारा
पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान के पेशावर शहर के आर्मी पब्लिक स्कूल और डिग्री कॉलेज में घुसकर आतंकवादियों ने डेढ़ सौ से भी ज्यादा लोगों की हत्या कर दी। अफसोस जनक बात यह है कि इनमें ज्यादतर मासूम बच्चे हैं। जो इस स्कूल में पढऩे के लिए गए थे। अरबी भाषा बोलने वाले आतंकियों ने धर्म की आड़ लेकर कई मासूम बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। सवाल यह है कि आखिर इन आतंकियों ने किन को मारा? क्या हिन्दुओं को मारा? क्या ईसाइयों को मारा? क्या बोध धर्म के लोगों को मारा? जवाब है नहीं, आतंकियों ने अपने ही बच्चों को मार डाला। अपने ही बच्चों को मौत के घाट उतार कर आखिर आतंकी क्या संदेश देना चाहते हैं। इस पर सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होकर विचार मंथन करना चाहिए। आतंकी चाहे किसी भी धर्म का हो, लेकिन उसका अपना कोई धर्म नहीं होता। आतंकी आतंकी ही होता है। भारत में जब 26/11 का मुम्बई हमला हुआ, तो पाकिस्तान से आए आतंकियों के निशाने पर हिन्दू और भारतीय थे, लेकिन 16 दिसम्बर को पेशावर में आतंकियों के निशाने पर हिन्दू नहीं थे। पेशावर में आतंकियों ने इंसानियत के धर्म की ही हत्या कर दी। सवाल हिन्दू और मुसलमान का भी नहीं है। जिस पिता के पुत्र की हत्या होती है, उसका दर्द वो पिता ही जनता है। 16 दिसम्बर को जब टीवी चैनलों पर आर्मी स्कूल में आतंकी हमले का लाइव कवरेज प्रसारित हो रहा था, तो ऐसा लगा ही नहीं कि यह हमला पाकिस्तान पर हुआ है। ऐसा लगा कि ये हमला भारत पर हुआ है। छोटे बच्चे जैसे भारत में नजर आते हैं, वैसे ही बच्चे पेशावर में दिखे। शहीद हुए बच्चों के पिता भी भारतीय जुबान ही बोल रहे थे। रोते बिलखते माता-पिताओं का बार-बार ये सवाल था कि आखिर उनके बच्चों का क्या कसूर था? जो अरबी जुबान के आतंकियों ने गोली से भून डाला। भारत के कश्मीर और अन्य राज्यों में जब कभी आतंकी वारदात होतीे है, तो पाकिस्तान ऐसे वारदातों से इंकार करता है, लेकिन 16 दिसम्बर जब पेशावर में इंसानियत की हत्या करने वाली वारदात हुई, तो पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के आतंकवादियों को दोषी करार दे दिया। जानकारी के मुताबिक पेशावर  में तालिबान से जुड़े आतंकियों ने हमला किया। ये आतंकी पाकिस्तान सरकार के उस सैनिक ऑपरेशन से नाराज है, जो अफगानिस्तान की सीमा पर किया गया। आतंकियों ने बहुत सोच समझ कर आर्मी स्कूल पर हमला किया। इस स्कूल में सैनिक अधिकारियों के बच्चे पढ़ते हैं। इस हमले का असर अब पाकिस्तान की फौज पर भी पड़ेगा। भारत की ओर से कई बार ये मांग की गई कि पाकिस्तान आतंकियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करे। विगत दिनों कश्मीर के पूंछ क्षेत्र में भारतीय सैनिक कैम्प पर जब आतंकियों ने हमला किया था, तब केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि यदि पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है तो उसे भारत को बताना चाहिए। यानि पाकिस्तान के आतंकवाद को मिटाने में भारत मदद कर सकता है। तब शायद पाकिस्तान की सरकार ने राजनाथ सिंह के बयान को गंभीरता से नहीं लिया। वही राजनाथ सिंह को इस बात की जानकारी थी कि पाकिस्तान मेें आतंकवादी बेकाबू हैं। पाकिस्तान को पेशावर के हमले से सबक लेना चाहिए। पाकिस्तान यह अच्छी तरह समझ ले कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं है। आतंकवादी के नजर में भारत-पाकिस्तान के नागरिक एक समान है। यदि पाकिस्तान को शांति के साथ रहना है तो आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का सहयोग लेना चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ उन अभिभावकों का दर्द समझे जिनके बच्चों की हत्या पेशावर के स्कूल में कर दी गई। पाकिस्तान भारत से टूट कर ही अलग देश बना है। जिस तरह आजादी के आंदोलन में भारत के हिन्दू और मुसलमानों ने एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया,उसी प्रकार आज आतंकवादियों के खिलाफ भारत और पाकिस्तान को एकजुट हो कर लडऩा होगा।
(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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