Wednesday 17 December 2014

अखबर में भी छप गया माणकचंद का अश्लील विज्ञापन

अखबर में भी छप गया माणकचंद का अश्लील विज्ञापन
देश की प्रमुख निर्माता कंपनी माणकचंद का कंडोम वाला अश्लील विज्ञापन दैनिक समाचार पत्रों में भी छपने लगा है। अब तक ये विज्ञापन न्यूज और मनोरंजन टीवी चैनलों पर ही प्रसारित हो रहा था। टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले इस अश्लील विज्ञापन का पहले ही विरोध हो रहा था। लेकिन अब तो ये विज्ञापन दैनिक समाचार पत्रों में भी छपने लगा है,जो पूरी तरह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। टीवी पर तो चैनल बदल कर इस विज्ञापन से बचा जा सकता था। लेकिन घर-घर पहुंचने वाले अखबार से कैसे बचा जाए। आमतौर पर दैनिक समाचार पत्रों के सम्पादक भारतीय संस्कृति पर अपना आलेख प्रकाशित करते हैं। पाठकों से यह उम्मीद की जाती है कि वह हमारी संस्कृति के अनुरूप आचरण करें, लेकिन 17 दिसम्बर के अंक में राजस्थान पत्रिका में जिस प्रकार माणकचंद के अश्लील विज्ञापन को आधे पत्र में प्रकाशित किया है। इसे किसी भी दृष्टि से हमारी संस्कृति के अनुरूप नहीं माना जा सकता है। जो लोग अपने आलेखों में उपदेश देते हैं। वह बताए कि उस अश्लील विज्ञापन को क्यों प्रकाशित किया। माना कि इस अश्लील विज्ञापन की एवज में अखबार के मालिक को लाखों रुपए मिल रहे हो, लेकिन क्या ऐसा विज्ञापन उस उपदेश के अनुरूप है, जो युवा पीढ़ी के नाम समर्पित होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भारतीय संस्कृति का रक्षा करने वाला नेता माना जा रहा है। प्रधानमंत्री को चाहिए कि मीडिया में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों पर नजर रखने के लिए भी एक नियामक आयोग बनाया जाए।  जीवन में पैसा ही माई-बाप नहीं होना चाहिए। जहां तक माणकचंद कंपनी के मालिकों का सवाल है, तो उनका मकसद माल बेचना है। कंपनी का विज्ञापन जागरुकता के लिए है। यह तर्क नहीं कुतर्क है। ऐसे कुतर्क भारत में नहीं पश्चिम देशों में दिए जा सकते हैं, जहां सैक्स में खुलापन है। (एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)

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