Wednesday 31 December 2014

तो कश्मीर में नहीं बन सकेगा हिन्दू सीएम

तो कश्मीर में नहीं बन सकेगा हिन्दू सीएम
भारत के संविधान में यह कहीं भी नहीं लिखा गया है कि जम्मू-कश्मीर में हिन्दू सीएम नहीं बन सकता, लेकिन देश के राजनेताओं ने आज जम्मू-कश्मीर के जो हालात कर दिए हैं, उसमें बिना लिखे ही अब जम्मू-कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। 31 दिसम्बर को पीडीपी के नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एन.एन. वोहरा से मुलाकात की। राज्यपाल को बताया गया कि विधानसभा की 87 में से 55 नवनिर्वाचित विधायक उनके साथ है। इसमें पीडीपी के 28 विधायक तो हैं ही साथ ही एनसी के 12 के साथ-साथ कांग्रेस और निर्दलीय विधायक भी हैं। राज्यपाल से कहा गया कि अब सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित किए जाए। राज्यपाल से मिलने से पहले महबूबा मुफ्ती ने खुलेआम ऐलान किया था कि भाजपा के हिन्दू मुख्यमंत्री को रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों का महागठबंधन बनाया जा रहा है। चुनाव के दौरान महबूबा ने भले ही एनसी और कांग्रेस को गालियां दी, लेकिन हिन्दू मुख्यमंत्री को रोकने के लिए अब महबूबा उन्हीं दलों का समर्थन ले रही है। इससे भाजपा के अरमानों पर पानी फिर गया है। पीएम नरेन्द्र मोदी का भरसक प्रयास था कि इस बार किसी भी तरह जम्मू-कश्मीर में भाजपा के गठबंधन की सरकार बने। इसके लिए मोदी ने न केवल जमकर चुनाव प्रचार किया। बल्कि परिणाम के बाद यह भी घोषणा की कि भाजपा अब पीडीपी के साथ मिलकर भी सरकार बनाने को तैयार है। चुनाव में भाजपा ने मिशन 44 को सपना देखा जो मात्र 25 पर आकर रुक गया। 87 सीटों में से 25 पर ही भाजपा के उम्मीदवारों की जीत हुई। हालांकि भाजपा ने कश्मीर में रिकॉर्ड जीत हासिल की, लेकिन सरकार नहीं बना सकी। सवाल यह नहीं है कि कश्मीर में भाजपा की सरकार नहीं बनी। महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर में जो राजनीतिक हालात उत्पन्न हुए हैं। उनका देश की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा। धारा 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर देश से पहले ही अलग नजर आता है और इस बार भाजपा जैसे राजनीतिक दल को 25 सीटें मिली तब भी भाजपा गठबंधन की सरकार नहीं बना सकी। उल्टे भाजपा को रोकने के लिए कश्मीर के सभी राजनीतिक दल एकजुट हो गए। जो लोग साम्प्रदायिक सद्भावना की बात करते हैं, वो बताए कि जिस राजनीतिक दल की  केन्द्र में पूर्ण बहुमत के  साथ सरकार है, उस दल को कश्मीर में अछूता क्यों माना जा रहा है? क्या इससे साम्प्रदायिकता नहीं झलकती? यदि कश्मीर जैसी राजनीति देशभर में होने लगेगी तो फिर देश के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। आमतौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक को हिन्दूवादी संगठन माना जाता है, लेकिन इस बार कश्मीर में संघ ने भी अपनी छवि में बदलाव का प्रयास किया है। हाल ही में संघ से निकल कर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बने राममाधव ने स्वयं कश्मीर में जाकर भाजपा की कमान संभाली। परिणाम के बाद स्थाई सरकार की चिंता करते हुए राममाधव ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव तक रख दिया। लेकिन इसके बावजूद भी कश्मीर में सरकार नहीं बन रही। क्या कश्मीर के ताजा हालातों से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि हिन्दू-मुस्लिम विचारधारा आमने-सामने खड़ी है।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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