Saturday 6 December 2014

बेबसी जाहिर करने वाला है गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान

बेबसी जाहिर करने वाला है गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान
कश्मीर में हाल ही हुई श्रृंखलाबद्ध आतंककारी वारदातों पर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि आतंककारियों पर पाकिस्तान नियंत्रण नहीं कर पा रहा है तो वह भारत को बताए, हम सहयोग करने को तैयार हैं। गृहमंत्री का यह बयान लाचारी और बेबसी भरा है। ये ही राजनाथ सिंह जब विपक्ष में थे तो यूपीए सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग करते थे। आज वही राजनाथ यूपीए सरकार की तरह आतंकियों और पाकिस्तान की सरकार को अलग-अलग मान रहे हैं। यूपीए सरकार की तरह भाजपा सरकार के गृहमंत्री ने भी मान लिया कि पाकिस्तान से आकर कश्मीर में भारतीय सैनिकों और आम लोगों की हत्या करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान की सरकार का समर्थन नहीं है, तभी तो पाक सरकार की मदद की बात की जा रही है। क्या राजनाथ सिंह यह चाहते हैं कि जिस  प्रकार श्रीलंका ने लिट्टे के खिलाफ भारत से मदद मांगी थी, उसी प्रकार पाकिस्तान के पीएम मियां नवाज शरीफ भारतीय सेना को पाकिस्तान में बुलवा कर आतंकियों को मरवा दे। असल में भारत का गृहमंत्री बनने के बाद राजनाथ सिंह के समझ में आया है कि पाकिस्तान के हालात कैसे हैं। आतंकी चाहे कितनी बार भी भारत में घुस कर हमारे सैनिकों को मारे, लेकिन हम पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकते हैं। सवाल उठता है कि फिर इस समस्या का समाधान क्या है? इस सवाल का जवाब उन्हीं लोगों को देना होगा जो पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही करने का भरोसा दिला कर सत्ता के मजे ले रहे हैं। भाजपा की सरकार को यह बताना चाहिए कि अब पाक प्रशिक्षित आतंकियों और पाक सरकार को अलग-अलग क्यों माना जा रहा है? यदि हम हमारे सैनिकों के हत्यारों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकते है तो फिर हमें सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। यूपीए की सरकार में हमारे सैनिकों के सिर काटे जाते रहे तो अब भाजपा की सरकार में आतंकी हमारी सीमा में घुस कर सैनिकों की हत्या कर रहे हैं। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर हत्यारे हमारी सीमा में घुस कैसे आते हैं? सरकार उन तत्वों के खिलाफ भी कार्यवाही करे तो हमारे ही देश में रह आतंकियों का समर्थन करते हैं। यदि भाजपा की सरकार में लाचारी और बेबसी देखने को मिली तो फिर भारत की एकता और अखंडता कैसे कायम रहेगी?
(एस.पी. मित्तल)
S.P. Mittal. blogspot.in

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