पंचायत चुनाव में दसवीं की फर्जी मार्कशीट की आशंका
बोर्ड के पास नहीं है 1971 के पहले का रिकॉर्ड
पंचायती राज चुनाव में उम्मीदवार के आवेदन के साथ दसवीं की फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत करने की आशंका बढ़ गई है। सरकार ने हाल ही में जो निर्णय लिया है, उसके अनुसार जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्य के लिए दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। प्रदेशभर में अजमेर स्थित राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ही दसवीं और बारहवीं की परीक्षा आयोजित करता आ रहा है। शहरी क्षेत्रों में तो अब सीबीएसई बोर्ड से भी विद्यार्थी परीक्षा देने लगे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में तो आज भी सरकारी स्कूलों के माध्यम से ही राजस्थान शिक्षा बोर्ड से ही दसवीं और बारहवीं की परीक्षा दी जाती है। चूंकि सरकार ने पंचायतीराज चुनाव में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य के लिए दसवीं तक शिक्षित होना अनिवार्य कर दिया है। इसलिए चुनाव लडऩे के इच्छुक लोग माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अजमेर कार्यालय में दसवीं की मार्कशीट निकलवा रहे है, जिन लोगों ने 1971 के बाद परीक्षा दी है। उन्हें तो शिक्षा बोर्ड डुप्लीकेट मार्कशीट दे रहा है, लेकिन जिन लोगों ने 1971 से पहले परीक्षा दी, उन्हें बोर्ड ने डुप्लीकेट मार्कशीट देने से इंकार कर दिया है। बोर्ड का कहना है कि 1971 से पहले ही परीक्षाओं का सभी रिकॉर्ड नष्ट कर दिया गया है। इसलिए बोर्ड की ओर से अब डुप्लीकेट मार्कशीट अथवा उत्तीर्णता का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता। इससे जहां हकीकत में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को भी मार्कशीट आदि के डुप्लीकेट दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं। वहीं चुनावों में फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत करने की आशंका भी बढ़ गई है। जो उम्मीदवार 1971 से पहले की मार्कशीट प्रस्तुत करेगा, उसकी सत्यता की जांच अब कैसे होगी। शिक्षा बोर्ड तो उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर 1971 के बाद के दस्तावेजों की ही जांच कर सकता है, यदि किसी उम्मीदवार ने अपनी उम्र के हिसाब से 1971 से पहले ही फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर दी तो निर्वाचन विभाग के पास मार्कशीट की जांच करने की कोई एजेंसी नहीं है। राज्य सरकार और निर्वाचन विभाग ने अभी तक भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। संबंधित निर्वाचन अधिकारियों के समक्ष भी यह समस्या रहेगी कि 1971 से पहले की मार्कशीट की जांच कैसे हो? कांग्रेस और अन्य राजनेता पहले ही शिक्षा की अनिवार्यता का विरोध कर रहे है, जब आठवीं की परीक्षा को लेकर ही विवाद हो रहा है, तो फिर दसवीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों को तलाशना तो राजनीतिक दलों के लिए बेहद मुश्किल होगा। ऐसे में फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत करने की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन और निर्वाचन विभाग के लिए भी 1971 से पहले की मार्कशीट को फर्जी करार देना बेहद मुश्किल होगा। शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने स्वीकार किया है कि उनके पास 1971 से पहले की मार्कशीट लेने के अनेक आवेदन जांच के लिए प्राप्त हुए हैं, लेकिन बोर्ड की ओर से ऐसी मार्कशीट जारी नहीं की जाएगी। जब बोर्ड के पास ही परीक्षा परिणाम का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है, तो फिर मार्कशीट की जांच भी नहीं की जा सकती है।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)
Tuesday 30 December 2014
पंचायत चुनाव में दसवीं की फर्जी मार्कशीट की आशंका
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment