Tuesday 9 December 2014

अब विद्यार्थी भी ले सकेंगे पृथ्वीराज की वीरता से प्रेरणा

अब विद्यार्थी भी ले सकेंगे पृथ्वीराज की वीरता से प्रेरणा
पृथ्वीराज चौहान के नाम पर राजकीय महाविद्यालय का नाम
अजमेर,(एस.पी. मित्तल): राज्य मंत्रिमंडल की मंगलवार को जयपुर में हुई बैठक में अजमेर के राजकीय महाविद्यालय का नाम अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया है। अब इस महाविद्यालय में अध्ययन करने वाले हजारों विद्यार्थी पृथ्वीराज चौहान की वीरता से प्रेरणा ले सकेंगे।
राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने बताया कि अजमेर के जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से आग्रह किया था कि अजमेर के राजकीय महाविद्यालय को पृथ्वीराज चौहान के नाम पर घोषित किया जाए। इसी आधार पर मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में महाविद्यालय के नाम पर निर्णय लिया गया। लखावत ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि अजमेर के नागरिकों की भावना के अनुरूप भी है। इतिहास में अजमेर का नाम रोशन करने में पृथ्वीराज चौहान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, मुस्लिम आक्रमणकारियों से पहले उनके पिता सोमेश्वर चौहान ने संघर्ष किया और फिर मोहम्मद गोरी जैसे लुटेरे से पृथ्वीराज चौहान ने लोहा लिया। लखावत ने उम्मीद जताई कि इस महाविद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थी पृथ्वीराज चौहान की देशभक्ति से प्रेरणा लेंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने सरकार के निर्णय पर हर्ष जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने अजमेर के लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया है। पृथ्वीराज चौहान भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट के रूप में विख्यात है। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने कहा कि अजमेर के लोगों को पृथ्वीराज चौहान की वीरता पर गर्व है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर के सम्मान को बढ़ाने वाला काम किया है। पृथ्वीराज चौहान की वजह से ही अजमेर का नाम इतिहास में रोशन है। भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष अरविंद यादव ने कहा कि पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल को ध्यान में रखते हुए अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की योजनाएं ही बनानी चाहिए। राजकीय महाविद्यालय का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर रख कर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने स्मार्ट सिटी के काम की शुरुआत कर दी है। इसके लिए अजमेर भाजपा मुख्यमंत्री की अभारी है।
एमडीएस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी. सारस्वत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अजमेर के महाविद्यालय का गौरव बढ़ाया है। देश के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान की वीरता की जो भूमिका रही है, उसे अब यहां के विद्यार्थी आसानी से समझ सकेंगे। उन्होंने कहा कि पृथ्वीराज चौहान  के जीवन को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए।
तारागढ़ की पहाड़ी पर बना है स्मारक
इतिहास के अनुसार तारागढ़ पर ही पृथ्वीराज चौहान का किला है। लेकिन बाद में यह किला रखरखाव के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो गया। वर्तमान में तारागढ़ पर मीरा साहब की मजार है और यहां मुस्लिम आबादी बसी हुई है। तारागढ़ की पहाडिय़ों पर वर्ष 2000 में नगर सुधार न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने पृथ्वीराज चौहान स्मारक बनवाया। इससे पहले तक तारागढ़ पर जाने के लिए कोई सड़क मार्ग नहीं था। तारागढ़ पर रहने वाले निवासी और मीरा साहब की मजार पर जाने वाले जायरीन दुर्गम पहाडिय़ों से पहुंचते थे। लेकिन स्मारक बनने के दौरान ही रामगंज क्षेत्र से तारागढ़ तक डामर की पक्की सड़क बनाई गई। आज पृथ्वीराज चौहान का स्मारक पर्यटक स्थल बना हुआ है, वहीं तारागढ़ के निवासियों को भी आवागमन में कोई परेशान नहीं होती, तारागढ़ के नीचे चन्द्रबरदाई के नाम पर पूरा नगर बसाया गया है।
ऐसे थे पृथ्वीराज चौहान
भारत के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है। पृथ्वीराज को भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान का उनके पिता सोमेश्वर चौहान अजमेर राज्य के राजा थे। सोमेश्वर ने अपनी अजमेर की सीमाओं का विस्तार गुजरात और दिल्ली तक कर लिया था। अफगानी, तुर्की आक्रमणकारियों के साथ युद्ध करते हुए सोमेश्वर शहीद हो गए, तब 1178 में मात्र 13 वर्ष की उम्र में पृथ्वीराज चौहान अजमेर के राजा बने। आक्रमणकारियों की अधीनता अधिकांश हिन्दू राजाओं ने स्वीकार कर ली थी, लेकिन अकेले पृथ्वीराज चौहान मरते दम तक आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी की अधीनता स्वीकार नहीं की। इतिहास के अनुसार पृथ्वीराज ने 16 बार गौरी को हराया, लेकिन 17वीं बार जयचंद जैसे हिन्दू राजाओं की साजिश के कारण पृथ्वीराज को गौरी ने बंदी बना लिया। पृथ्वीराज को बंदी बना कर अफगानिस्तान में मोहम्मद गौरी के दरबार में प्रस्तुत किया गया, तब गौरी ने आदेश दिया कि पृथ्वीराज अपनी आंखें झुका ले, लेकिन लोहे की जंजीरों से जकड़े पृथ्वीराज ने आंखे झुकाने से इंकार कर दिया, तब गौरी ने गर्म लोहे की सलाखें पृथ्वीराज की आंखों में डलवा दी। लेकिन फिर भी पृथ्वीराज ने गौरी की अधीनता स्वीकार नहीं की। कुछ दिनों बाद अंधे पृथ्वीराज ने शब्दभेदी तीरंदाजी कला दिखाने की फरमाइश की गई। इस बार पृथ्वीराज अपने कवि मित्र चन्दबरदाई के साथ गौरी के दरबार में उपस्थित हुए। चन्दबरदाई ने गौरी से कहा कि पृथ्वीराज आज भी अजमेर के राजा हैं, इसलिए अपनी कला का प्रदर्शन तभी करेंगे, अब आप (गौरी) स्वयं कहेंगे। जैसे ही गौरी ने अपनी आवाज से आदेश दिया, वैसे ही चन्दबरदाई ने कविता सुनाई 'चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है, मत चूके चौहानÓ इस कविता में चन्दबरदाई ने पृथ्वीराज को बता दिया कि गौरी कितनी दूरी और ऊंचाई पर बैठा है। इसके साथ पृथ्वीराज ने अपने कमान से ऐसा तीर चलाया जो सात होले के तवों को बेधता हुआ सीधा गौरी के सीने में जा लगा। गौरी की मौके पर ही मौत हो गई, तब कवि चन्दबरदाई और पृथ्वीराज ने एक दूसरे के कटार घोंप कर स्वयं को भी मौत के घाट उतार लिया। यही वजह है कि भारतीय इतिहास में पृथ्वीराज चौहान के किरदार को सम्मान मिला हुआ है।
जीसीए का गौरवशाली इतिहास
राजकीय महाविद्यालय अजमेर को संक्षिप्त में जीसीए के नाम से जाना जाता है। करीब ढाई सौ साल पहले ब्रिटिश शासकों ने इसकी स्थापना ब्ल्यू केसल क्षेत्र में एक स्कूल के रूप में की थी। पूर्व में यह विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा। उसके बाद इसे आगरा विश्वविद्यालय की संबद्धता मिली। इसके बाद लम्बे समय तक राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा और अजमेर विश्वविद्यालय बनने के बाद से अब महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय से संबद्ध है। प्रो. शेषाद्री, प्रो.भीमसेन, प्रो.एन.एम.कोठारी जैसे विख्यात शिक्षाविद् यहां के प्राचार्य रहे। यहां के प्राध्यापक डॉ. दिनेश मिश्र भारतीय ज्ञानपीठ जैसी प्रतिष्ठित संस्था के सचिव रह चुके हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश डॉ.नगेन्द्र सिंह, राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भगवती प्रसाद बेरी, जस्टिस डी.पी.गुप्ता, राजीव गांधी हत्याकाण्ड की जांच के लिए गठित हुए जैन आयोग के जस्टिस मिलापचंद जैन, गांधी शांति प्रतिष्ठानों की जांच के लिए बने कुदाल आयोग के अध्यक्ष जस्टिस पुरुषोतम दास कुदाल, असम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेन्द्र कुमार भार्गव आदि कई न्यायाधिपति इस कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं। विद्यार्थियों में जैसलमेर, सिरोही, कोटा समेत कई रियासतों के पूर्व राजकुमार और राजनेता भी यहां के विद्यार्थियों में शुमार है। वर्तमान में नागौर के सांसद पूर्व आईएएस सी.आर. चौधरी भी इस कॉलेज में भूगोल का अध्यापन कर चुके हैं। यहां का शैक्षणिक स्तर इतना उच्च रहा है कि देश भर में विश्वविद्यालयों के लिए होने वाले विभिन्न आयोजनों में यह एकमात्र कॉलेज था जिसे आमंत्रित किया जाता था। बगैर किसी विशेष कोचिंग के प्रतिवर्ष यहां के करीब सौ विद्यार्थी एमबीबीएस के लिए होने वाली पीएमटी और इतने ही बीई के लिए होने वाली पीईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में चयनित होते थे। हर साल यहां के दो से पांच विद्यार्थियों का राजस्थान प्रशासनिक सेवा और एक दो का भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन होता रहा है। जनसंघ के अध्यक्ष के नाते पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द करवाने वाले राजनारायण जैसे चर्चित राजनेता इस कॉलेज के ऑडिटोरियम में विद्यार्थियों को संबोधित कर चुके हैं। देश विदेश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में यहां के विद्यार्थी उच्च पदों पर कार्यरत हैं। इस कॉलेज ने देश को हर क्षेत्र में प्रतिभावान दिए हैं।  कॉलेज के माहौल पर यह कहावत बन चुकी है कि यहां से शिक्षा पूरी करने के बाद छात्र भौतिक रूप से किसी भी क्षेत्र में जाए  परन्तु उसकी आत्मा यहीं रहती है। -(spmittal.blogspot.in)

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