Friday 2 January 2015

बोट हादसे के बाद भी क्या भाजपा पीडीपी को समर्थन देगी?

बोट हादसे के बाद भी क्या भाजपा पीडीपी को समर्थन देगी?
31 दिसम्बर और 1 जनवरी की रात जब पूरा देश नववर्ष के जश्र में डूबा हुआ था, तब पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ 26/11 जैसा हमला करने का षडयंत्र किया। भारतीय पोस्टगार्ड ने गुजरात के पोरबंदर के निकट समुद्र के बीच में इस बोट को पकड़ा जो कराची के कैतीपोर्ट से रवाना हुई। इस बोट में सवार 4 आतंकवादी 26/11 जैसा हमला करने के लिए आए थे, लेकिन पोस्टगार्ड के धमकाने के बाद आतंकियों ने गोला बारूद से भरी बोट को ही आग के हवाले कर दिया। यदि पोस्टगार्ड इस बोट पर नजर नहीं रखता तो नए वर्ष में भारत में भीषण हादसा हो सकता था। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा  है। पाकिस्तान में रह रहे भारत के मोस्ट वाटेंड हाफिज सईद ने पिछले दिनों ही कहा था कि भारत पर 26/11 जैसा बड़ा हमला किया जाएगा। पाकिस्तान भले ही अपने आतंकियों को नियंत्रित नहीं कर पा रहा हो लेकिन भारत के खिलाफ पाकिस्तान लगातार षडयंत्र करता रहता है। बोट हादसे के बाद सवाल उठता है कि क्या अब भी जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए भाजपा पीडीपी को समर्थन देगी? पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने पहले ही कहा है कि वह भाजपा का समर्थन तभी लेगी जब भाजपा की केन्द्र सरकार कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान से वार्ता शुरू करेगा। महबूबा ने यह भी शर्त रखी कि सरकार को हुर्रियत जैसे भारत विरोधी संगठनों से भी बात करनी होगी। इतना ही नहीं कश्मीर में धारा 370 हटाने की मांग भी भाजपा को छोडऩी होगी। भाजपा के नेताओं को अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना चाहते हैं या फिर कश्मीर में स्थायी सरकार की आड़ लेकर पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने बार-बार कहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर पाकिस्तान के खिलाफ उसकी ही भाषा में जवाब दिया जाएगा। लेकिन अब भाजपा कश्मीर में उसी राजनीतिक दल पीडीपी को समर्थन दे रही है, जो पाकिस्तान से दोस्ताना संबंध के पक्ष में है। यदि कश्मीर में भाजपा पीडीपी को समर्थन देकर सरकार बनवाती है तो फिर पाकिस्तान के विरुद्ध सख्त कार्यवाही नहीं हो सकती। जिस प्रकार तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को बुलाकर आगरा और दिल्ली में खिदमत की थी, उसी प्रकार अब महबूबा मुफ्ती के दबाव में नरेन्द्र मोदी को मियां नवाज शरीफ को भारत में बुलाकर बिरयानी खिलानी पड़ेगी। भले ही पाकिस्तान भारत पर कितने भी आतंकी हमले करवाए। क्या भाजपा कश्मीर में अपने समर्थन से सरकार बनाने का मोह नहीं छोड़ सकती है। यदि भाजपा ने आतंकवादियों के खिलाफ नरम रुख अपनाया तो देश के हालत बेहद खराब हो जाएंगे। भाजपा और पीएम नरेन्द्र मोदी अच्छी तरह समझ लें कि लोकसभा चुनाव में जीत इसलिए हुईथी कि पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाही होगी। यदि आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की तो आगामी चुनाव में भाजपा और मोदी को हार का सामना करना पड़ेगा।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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