Sunday 18 January 2015

क्या अजमेर की जनता ईमानदार पार्षद और मजबूत मेयर नहीं चुन सकती

क्या अजमेर की जनता ईमानदार पार्षद और मजबूत मेयर नहीं चुन सकती
राजस्थान पत्रिका के 18 जनवरी के अजमेर संस्करण में अजमेर नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया का एक इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। इस इंटरव्यू में बाकोलिया ने कहा है कि वे अवैध निर्माणों को तोडऩे और जनता की भलाई के काम करने के निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को देते है,लेकिन यह अधिकारी उनके निर्देशों के अनुसार काम नही करते, इसलिए शहर का विकास नहीं हो पाया। मेयर बाकोलिया का यह बयान न केवल लाचारी प्रकट करने वाला है बल्कि बेहद ही शर्मनाक है। बाकोलिया कांग्रेस पार्टी के हैं और हो सकता है कि भाजपा के गत एक वर्ष के शासन में निगम के अधिकारियों ने कांग्रेसी मेयर बाकोलिया की नहीं सुनी हो, लेकिन एक साल पहले जब प्रदेश में कांग्रेस का शासन था तो फिर बाकोलिया ने अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं करवाई? सब जानते है कि सत्ता की कड़ी से कड़ी जोडऩे के लिए ही अजमेर की जनता ने कोई सवा चार साल पहले बाकोलिया को अजमेर का मेयर चुना था। निगम से लेकर राज्य सरकार और फिर केन्द्र तक में कांग्रेस का शासन रहा, लेकिन अजमेर की जनता को कितनी राहत मिल पाई यह सामने है। आज शहर की दुर्दशा किसी से भी छिपी नहीं है। बाकोलिया से पहले कोई 20 वर्ष तक नगर परिषद और नगर निगम पर भाजपा का कब्जा रहा, लेकिन आज भी अजमेर के लोगों को न तो सीवरेज का लाभ मिल पाया है और न ही सफाई, नाली, सड़क आदि की सुविधा है। भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों और सभापति अथवा मेयर ने किस तरह से काम किया, यह अजमेर की जनता के सामने है। अजमेर की जनता राजनेताओं के कहने पर सत्ता की कड़ी से कड़ी तो जोड़ देती है, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। जिन लोगों का नगर निगम में काम पड़ा उन्हें पता है कि रिश्वत दिए बिना काम नहीं हुआ। काम के लिए निर्वाचित पार्षदों की कैसी भूमिका है इसका भी आभास लोगों को है। सवाल उठता है कि क्या वर्तमान परिस्थितियों में अजमेर की जनता ईमानदार पार्षद और मजबूत मेयर नहीं चुन सकती। गत बार मेयर का चुनाव शहर भर के मतदाताओं ने किया था, लेकिन अगस्त में होने वाले चुनावों में निर्वाचित पार्षद ही मेयर का चुनाव करेंगे। ऐसे में यह जरूरी है कि वार्ड के मतदाता ईमानदार, स्वच्छ छवि और सेवा के प्रति समर्पित व्यक्ति को ही पार्षद चुने। यदि ईमानदार और सेवाभावी पार्षद का चुनाव हुआ तो मेयर का चुनाव भी शहर के हित में होगा। ऐसा नहीं कि ईमानदार और सेवाभावी लोग अजमेर की समस्याओं पर चिन्तित नहीं रहते। छोटे-छोटे समूह में अच्छे लोग कार्य करते रहते है, लेकिन संयुक्त प्रयास कभी भी नहीं हुआ। आगामी अगस्त माह में होने वाले नगर निगम के चुनावों में ऐसे व्यक्तियों को सामने आना चाहिए जो शहर का मजबूत मेयर चुन सके। जहां तक राजनैतिक दलों का सवाल है तो उनसे जुड़े नेताओं को अजमेर की जनता देख चुकी है। निगम के चुनाव में कड़ी से कड़ी जोडऩे का नारा तो दिया जाता है, लेकिन जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल नेताओं के गुटों में बंट जाता है। वर्तमान मेयर कमल बाकोलिया ईमानदारी के साथ बताए कि जब राज्य और केन्द्र में उनकी पार्टी का शासन था, तब शहर की किस समस्या का समाधान किया। जो समस्याएं भाजपा के शासन में विरासत में मिली थी वे समस्याएं आज भी बनी हुई है। जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण योजना के अन्तर्गत अजमेर को स्लम फ्री सिटी करवाने में बाकोलिया की नहीं सचिन पायलट की भूमिका थी। जहां तक नगर निगम के सामान्य कामकाज का सवाल है तो उसमें राज्य और केन्द्र सरकार की ताकत की कोई जरूरत नहीं होती है। आम व्यक्ति को नगर निगम से स्ट्रीट लाइट, साफ-सफाई आदि की ही अपेक्षा होती है। कभी-कभार मकान बनाने पर नक्शा स्वीकृत करवाना पड़ता है, इससे ज्यादा निगम से आम लोगों की अपेक्षा नहीं होती है। यदि अजमेर की जनता ईमानदार पार्षदों का चयन कर मजबूत मेयर चुन लेती है तो न केवल भ्रष्टाचार मिटेगा, बल्कि सामान्य कामकाज भी आसानी के साथ होंगे। शहर के जागरुक लोग व्यवस्था से नाराज तो है, लेकिन व्यवस्था को सुधारने में आगे नहीं आते। अच्छा हो कि इस बार नगर निगम के चुनाव में शहर के जागरुक लोग संयुक्त रूप से आगे आएं और जनता की भलाई का काम करंे। इस समय शहर के दोनों भाजपा विधायक राज्यमंत्री हैं, लेकिन इन दोनों में कितनी एक जुटता है, इसका अहसास जनता को गत तीन माह में हो चुका है। यहां के सांसद केन्द्र में मंत्री हैं और एक राज्यसभा के सांसद भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं, लेकिन इस एक वर्ष में अजमेर की एक भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है और अब तो नागरिकों को सफाई के लिए ठेकेदार को भी प्रतिमाह 50 रुपए का शुल्क देना होगा।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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