Tuesday 27 January 2015

क्या कांग्रेस और भाजपा के पार्षद भ्रष्टाचारी हैं

क्या कांग्रेस और भाजपा के पार्षद भ्रष्टाचारी हैं
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस अजमेर को स्मार्ट सिटी बना रहे है उस शहर के नगर निगम के भाजपा और कांग्रेस के पार्षद भ्रष्टाचारी है? यह संदेह अजमेर की जनता ने व्यक्त नहीं किया है बल्कि शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव और शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने सार्वजनिक तौर पर कहा है। यादव ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि नगर निगम में कांग्रेस के पार्षदों ने खुलेआम लूट मचा रखी है। चूंकि मेयर भी कांग्रेस के है इसलिए कांग्रेस के पार्षदों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। यादव ने यह भी कहा कि कांग्रेस के पार्षद शहर के विकास में बाधक बने हुए है। यादव के इन आरोपों के जवाब में रलावता ने एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा के पार्षद खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार है और शहर में भी दोनों विधायक भाजपा के है। भाजपा नेताओं और पार्षदों के संरक्षण के कारण ही अवैध निर्माण की बाढ़ आ गई है। रलावता ने सवाल उठाया कि जब निगम प्रशासन को अवैध निर्माण के बारे में जानकारी है तो कार्यवाही क्यों नहीं की जाती? यदि भाजपा के शासन में अवैध निर्माणों के विरूद्ध कार्यवाही हो जाए तो पता चल जाएगा कि कौनसे पार्षद भ्रष्टाचारी है। यादव और रलावता के बयान पर यकीन किया जाए तो साफ जाहिर है कि दोनों दलों के पार्षद भ्रष्टाचार में लिप्त है। अब चूंकि आगामी अगस्त माह में नगर निगम के चुनाव होने है इसलिए दोनों ही दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। चाहे जन्म-मृत्यु का प्रमाण पत्र लेना हो अथवा मकान का नक्शा स्वीकृत करवाना हो, सभी काम रिश्वत दिए बिना नहीं हो सकते, मिलीभगत की वजह से ही शहर भर में अवैध निर्माण हो रहे है। जिन लोगों की पहचान पार्षदों से है वह तो सारे कायदे-कानून तोड़ कर निर्माण कर रहे है। शहर में शायद ही कोई अवैध निर्माण होगा जिसके पीछे किसी पार्षद की भूमिका ना हो, पिछले साढ़े चार वर्षो से निगम की बागडोर कांग्रेस के मेयर कमल बाकोलिया के पास है। बाकोलिया का कहना है कि अवैध निर्माण तोडऩे के निर्देश अधिकारी को दे रखे है, लेकिन अधिकारी कार्यवाही नहीं करते। समझ में नहीं आता कि बाकोलिया ऐसा बयान कैसे दे रहे हैं। बाकोलिया मेयर होने के नाते निगम के सबसे ताकतवर व्यक्ति है। यदि अधिकारी निर्देश नहीं मानते है तो बाकोलिया बताएं कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की। यदि बाकोलिया कोई कार्यवाही नहीं करते है तो यही माना जाएगा कि उनकी ईमानदारी भी संदेह के घेरे में है। शायद यहीं वजह है कि भाजपा के अध्यक्ष यादव ने जब भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो बाकोलिया ने चुप्पी साध ली। यादव के आरोपों का जवाब मजबूरी में शहर अध्यक्ष रलावता को देना पड़ा। बताया जा रहा है कि बाकोलिया को लेकर कांग्रेस संगठन में भी खींचतान चल रही है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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