Wednesday 11 February 2015

वकीलों से तो पुलिस भी डरती है

वकीलों से तो पुलिस भी डरती है
राजस्थान के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी ने कहा है कि वकीलों से तो पुलिस भी डरती है। पुलिस का कोई अधिकारी नहीं चाहता कि वकीलों से उलझे। न्यायाधीश अंबवानी ने 11 फरवरी को यह बात अजमेर के वकीलों के समक्ष कही। जिला न्यायालय परिसर में फोटो स्टेट की दुकान को लेकर न्यायिक कर्मचारियों और वकीलों के मध्य जो विवाद हुआ उसको लेकर अजमेर बार एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने अंबवानी से मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल ने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष देवकीनंद शर्मा, धर्माराम चौधरी, बसंत विजयवर्गीय, जगदीश राणा, अशरफ बुलंद तथा एस.एन.शर्मा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने अंबवानी से कहा कि वकीलों को डारने, धमकाने के लिए न्यायालय परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस जवानों को तैनात कर रखा है। इस पर मुख्य न्यायाधीश अंबवानी ने मजाकिया लहजे में कहा कि वकीलों से तो पुलिस भी डरती है। अंबवानी ने कहा कि अजमेर में आपने जो विरोध किया उसकी जानकारी मुझे है। न्यायिक कर्मचारी भी चाहते थे कि वकीलों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही हो, लेकिन पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कह दिया कि वकीलों के खिलाफ कार्यवाही करने का मतलब है स्वयं के लिए मुसीबत मोल लेना है। दो दिन में जब विवाद शांत हो जाएगा, तो नाराज वकील हमारे खिलाफ न्यायालय में इस्तगासा दायर कर देंगे और जब न्यायालय में सुनवाई होगी, तो कर्मचारियों की सहानुभूति पुलिस के बजाए वकीलों के साथ होगी। अंबवानी ने वकीलों से कहा कि वकील और न्यायिक कर्मचारी एक रथ के दो पहिए होते थे। रथ तभी दौड़ता है, जब दोनों पहिए साथ-साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा कि फोटो स्टेट की दुकान को लेकर अजमेर में इतना बखेड़ा होना ही नहीं चाहिए था। वकील समुदाय सिर्फ अजमेर में ही ऐसी दुकानें संचालित नहीं करता, बल्कि जोधपुर में तो एक दर्जन दुकानें वकीलों द्वारा संचालित हो रही हैं। ऐसा कई जिलों में हो रहा है। समान व्यवस्था के लिए अब एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश अंबवानी जिस सरलता और मजाकिया लहजे में वकीलों से संवाद किया, उसका असर ये रहा कि वकीलों ने अजमेर में अपना आंदोलन तत्काल ही समाप्त करने का निर्णय ले लिया। आपसी सहमति के बाद यह निर्णय हुआ कि कर्मचारियों द्वारा लगाई फोटो स्टेट की दुकान बंद रहेगी तथा वकीलों के लिए जिला न्यायालय परिसर के मध्य का दरवाजा खोल दिया जाएगा। लेकिन वकील समुदाय अपने वाहन पहले की तरह न्यायालय परिसर के सामने खुले मैदान में ही पार्क करें। इसके साथ ही न्यायालय परिसर में उपस्थित 200 से भी ज्यादा पुलिस जवानों को भी हटा लिया जाएगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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