Sunday 15 February 2015

क्या ओबामा के दबाव में मोदी ने शरीफ से बात की

क्या ओबामा के दबाव में मोदी ने शरीफ से बात की
क्र्रिकेट के विश्वव्यापी तमाशे मद्देनजर पीएम मोदी ने पाक के पीएम नवाज शरीफ से टेलीफोन पर बात की है। सवाल उठता है कि क्या यह बात अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के दबाव में हुई है? सब जानते है कि पाक एक मुस्लिम राष्ट्र है और भारत-अमरीका दोनों पाक के आतंकवादियों से दु:खी हैं। भारत तो बार-बार कहता है कि पाक से आए प्रशिक्षित आतंकी ही हिंसक वारदातें करते हैं। पीएम मोदी का आतंकियों और पाक के विरुद्ध रवैया किसी से छिपा नहीं है। पीएम बनने से पहले मोदी ने जो सख्त रूख अपनाया, शायद उसी की बदौलत पीएम की मजबूत कुर्सी भी मिली है, लेकिन कुर्सी हांसिल होने के बाद मोदी ने जो रूख अपनाया है, उससे पाक और हावी हो रहा है। कहा जा रहा है कि क्रिकेट के तमाशे की आड़ में नवाज शरीफ से मोदी की बात के पीछे बराक ओबामा का ही दबाव है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में सचिव और विदेशमंत्री स्तर की बैठकें हों और फिर मोदी स्वयं पाक जाए। समझ में नहीं आता कि मोदी के पीएम बनने के बाद ऐसे कौन से हालात हो गए हैं, जिनसे दोनों देशों के बीच संवाद हो। मैं संवाद के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कम से कम भारत की जनता की भावनाओं की तो कद्र की जाए। मोदी ने आवभगत कर ओबामा को तो अपना दोस्त बना लिया, लेकिन क्या यह दोस्ती भारत के कुछ काम आएगी? अच्छा होता कि दोस्ती की मदद से पाक उन ठिकानों पर कार्यवाही होती, जहां भारत के खिलाफ आतंकी तैयार होते हंै। यह बात मैं इसलिए लिख रहा हूंं कि लोकसभा चुनाव में मोदी ने ऐसी कार्यवाही की बात कही थी, इसलिए अब यह तर्क देना कि पाक के अंदर कार्यवाही करना आसान नहीं है, बेमानी होगी। जब मोदी के दोस्त बराक अपने दुश्मन ओसामा-बिन-लादेन को पाक में घुसकर मार सकता है तो क्या भारत विरोधी ठिकानों को नष्ट नहीं किया जा सकता? क्या मोदी-बराक की दोस्ती इतना भी नहीं कर सकती? इसके विपरित ओबामा चाहते हैं कि उनके दोस्त मोदी पाक से मित्रतापूर्ण व्यवहार करें। भले ही इसके लिए दोस्त के देश (भारत) के निर्दोष लोग रोज मारे जाएं। असल में आकतंकी संगठन आईएएस का प्रभाव जिस तेजी से मुस्लिम देशों में बढ़ रहा है, उससे मोदी के दोस्त बराक घबराए हुए हैं। यही वजह है कि अब मोदी का उपयोग हो रहा है। मोदी को चाहिए कि बराक से दोस्ती निभाने के बजाए देश के नागरिकों की आतंकियों से रक्षा की जाए। मोदी यदि आतंकियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करते हैं तो उन्हेंं भारत में रह रहे मुसलमानों का भी जबरदस्त समर्थन मिलेगा। भारत में रह रहे मुसलमान कभी भी आईएस जैसे संगठन के हमदर्द नहीं हो सकते हैं। भारत के मुसलमानों का गुस्सा बराक के प्रति हो सकता है, लेकिन मोदी के खिलाफ नहीं है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment