Friday 6 February 2015

इमाम बुखारी के फतवे से घाटे में रहेंगे केजरीवाल

इमाम बुखारी के फतवे से घाटे में रहेंगे केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक एक दिन पहले 6 फरवरी को दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है। ये वो ही इमाम बुखारी हैं, जिन्होंने अपने साहबजादे की ताजपोशी की रस्म के समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी को न बुलाकर पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को आमंत्रित किया था। तब इमाम बुखारी के इस कृत्य की देश भर में आलोचना हुई थी। गत लोकसभा चुनाव में भी इमाम बुखारी ने कांग्रेस के पक्ष में फतवा जारी किया। चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस को देशभर में मात्र 44 सीटे मिली और दिल्ली में तो सात में से एक भी सीट पर कांग्रेस की जीत नहीं हुई। इससे इमाम बुखारी के फतवे का असर का पता चल जाता है। इसमें कोई दोहराय नहीं कि आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। स्वयं पीएम नरेन्द्र मोदी को भी दिल्ली में चार सभाएं करनी पड़ी। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के सामने जो मुद्दे रखे, उनका जवाब भाजपा के पास नहीं था। अखबारों और टीवी चैनलों के जो सर्वे आए, उसमें भाजपा के मुकाबले केजरीवाल की स्थिति को मजबूत बताया गया। लेकिन इस मजबूत स्थिति को इमाम बुखारी के समर्थन ने कमजोर किया है। बुखारी के समर्थन के साथ ही यह सवाल उठता है कि क्या अरविंद केजरीवाल दिल्ली में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी की राह पर चलने लगे हैं? सवाल मुसलमानों के वोट का नहीं है, सवाल उन मुस्लिम नेताओं का है जो भारत से ज्यादा पाकिस्तान के प्रति हमदर्दी रखते हैं। बुखारी के बयान से पहले तक केजरीवाल को दिल्ली के आम लोगों का समर्थन मिल रहा था, लेकिन बुखारी के समर्थन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आएगा। समझ में नहीं आता कि आखिर केजरीवाल को इमाम बुखारी से समर्थन लेने की क्या जरूरत पड़ गई। केजरीवाल ने भाजपा के खिलाफ जो मुद्दे उठाए है, उसमें मुसलमानों का भी समर्थन मिल रहा है। लोकसभा चुनाव में भले ही दिल्ली के लोगों ने भाजपा को वोट दिया हो, लेकिन विधानसभा के चुनाव में झुकाव केजरीवाल की ओर ही था। जब इमाम बुखारी के समर्थन से कांग्रेस जीत नहीं पाई तो फिर केजरीवाल को मुसलमानों के वोट कैसे मिल जांएगे? अब यदि दिल्ली में भाजपा के मुकाबले केजरीवला की हार होती है तो इसकी जिम्मेदार इमाम बुखारी की होगी। बुखारी के समर्थन की घोषणा के बाद केजरीवाल से वो वोट छिटक जाएगा, जो भाजपा से निकल कर आप पार्टी में आया था। इधर इमाम बुखारी ने आप के समर्थन में फतवा जारी किया, उधर केन्द्रीय वित्ती मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कह दिया कि अब उन लोगों को सौ प्रतिशत मतदान करना चाहिए जो इस फतवे के विरोध में हैं। एक तरह से जेटली ने हिन्दू मतदाताओं से अपील कर दी कि वे 7 फरवरी को भाजपा के पक्ष में मतदान जरूर करें। जेटली जब यह बयान दे रहे थे, तब उनके चेहरे पर मुस्कान झलक रही थी। जेटली ने कुछ ऐसा संकेत दिया कि जैसे अब दिल्ली में भाजपा हारी हुई बाजी जीत गई है। शाम होते होते आप ने इमाम बुखारी के समर्थन को ठुकरा दिया। आप के नेता संजय सिंह ने कहा कि इमाम बुखारी ने भाजपा के इशारे पर समर्थन देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि आप को बुखारी के समर्थन की कोई आवश्यकता नहीं है।

(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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