Friday 20 February 2015

ना हम सुधरेंगे और ना हालात सुधरने देंगे

ना हम सुधरेंगे और ना हालात सुधरने देंगे
पीएम नरेन्द्र मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के संयुक्त प्रयासों से स्मार्ट बनने वाले अजमेर शहर में 20 फरवरी को सिटी बस और ऑटो रिक्शा वाले हड़ताल पर रहे। इन वाहनों के मालिकों और काम करने वाले कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। इन लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के मद्देनजर शहर में जो ऑन कॉल टैक्सी सेवा शुरू हुई है उससे उनका धंधा चौपट हो गया है। सिटी बस और ऑटो रिक्शा वालों का यह तर्क अपनी जगह सही हो सकता है लेकिन अजमेर की जनता यह महसूस करती है कि ऑटो रिक्शा वालों से जो परेशानी थी उसका समाधान ऑन कॉल टैक्सी वालों ने कर दिया। ऑटो वाले रेलवे स्टेशन से कोटड़ा, पंचशील, चन्दबरदाई नगर, सुभाष नगर आदि बाहरी क्षेत्रों में जाने के 150 से लेकर 200 रुपए तक वसूल रहे हैं जबकि नई सेवा में उपलब्ध कार में 100 रुपए ही लग रहे है। सवाल उठता है कि जब कार 100 रुपए में उपलब्ध है तो फिर इन ऑटो वालों को 150 अथवा 200 रुपए क्यों दिए जाए? अच्छा हो कि ऑटो वाले अपने कामकाज में बदलाव लाएं। चूंकि अजमेर में संसार प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह भी है और दरगाह के आसपास का क्षेत्र बहुत सकड़ा है इसलिए अजमेर में हमेशा तीन पहिया ऑटो वालों का महत्व बना रहेगा। बाहर से आने वाले जायरीन की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए टैक्सी सेवा से ऑटो वालों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। जुलूस, धरना, प्रदर्शन, मारपीट, झगड़ा फसाद करने के बजाए ऑटो वाले ट्रेफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग की मदद से प्रीपेड बूथ सिस्टम को लागू करवाएं, इसके साथ ही ऑटो में लगे मीटर को चालू करवाएं। यदि मीटर में दर्ज किलोमीटर के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा तो ऑटो वालों का महत्व भी बना रहेगा। यह किसी से भी छिपा हुआ नहीं है कि ऑटो चालक की उन्हीं यात्रियों में रूचि रहती है जिनको होटल में कमरा लेना होता है। चूंकि होटल मालिक कमरे के किराए में से ऑटो चालक को कमीशन भी देता है इसलिए ऑटो चालक सिर्फ परिवहन शुल्क पर ही निर्भर नहीं रहते। समस्या की असली जड़ यही है। ऑन कॉल टैक्सी अजमेर आने वाला यात्री अपने शहर से बुक करा लेता है इसलिए अजमेर आने पर उसे ऑटो रिक्शा की जरूरत भी नहीं होती है। ऑटो रिक्शा वालों को यह समझना चाहिए कि उनके व्यवहार का असर पूरे देश में पड़ता है, क्योंकि दरगाह और पुष्कर की वजह से ही देश भर के लोग अजमेर आते है। ऑटो वालों की इस मांग को जायज माना जा सकता है कि ऑटो को शहर के बाहरी क्षेत्रों में भी चलने की अनुमति दी जाए। ट्रेफिक और ट्रांसपोर्ट विभाग को इस मांग पर नियमों के अनुरुप गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए। जहां तक सिटी बस वालों का सवाल है तो उनकी भूमिका 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवानाÓ वाली चरितार्थ हो रही है। ऑटो और ऑन कॉल टैक्सी की सेवाओं से सिटी बस का कारोबार कहीं भी प्रभावित नहीं होता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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