Monday 2 February 2015

इस बार मोदी के जाल में फंस गए केजरीवाल

इस बार मोदी के जाल में फंस गए केजरीवाल
दो फरवरी को राष्ट्रीय और प्रादेशिक न्यूज चैनलों पर दिन भर आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा फर्जी विदेशी कंपनियों से चन्दा लेने की खबरें प्रसारित होती रहीं। जिस तरह से खबरें प्रसारित हुई उससे फिलहाल तो यही जाहिर हो रहा है कि आप और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने देश के कानून को तोड़ा है, जो केजरीवाल कल तक रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी से लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी तक पर आरोप लगा रहे थे। आज वे स्वयं कटघरे में खड़े नजर आ रहे हैं। दिनभर के घटनाक्रम पर नजर डाली जाए तो जाहिर है कि केजरीवाल को घेरने के लिए भाजपा की ओर से न केवल शानदार रणनीति बनाई गई है, बल्कि पिछले कई माह से आप और केजरीवाल की जासूसी की जा रही है। सुबह अवाम नामक एजेंसियों के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आप को होने वाली विदेशी फडिंग का खुलासा किया और शाम होते होते केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती सीता रमन, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुई शाजिया इल्मी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांग की कि चुनाव आयोग को केजरीवाल और आप के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। जागरुक लोगों को याद होगा कि विगत दिनों जब शाजिया इल्मी भाजपा में शामिल हुई थी। तब कहा था कि वह केजरीवाल व आप की पोल खोलेंगी। स्वाभाविक है कि जब शाजिया आप में थी, तब उन्हें अंदर की बातें पता होंगी और अब उन्हीं अंदर की बातों को बाहर कर भाजपा केजरीवाल को घेर रही है। केजरीवाल की साथी रही किरण बेदी को भी तोड़कर भाजपा ने दिल्ली की मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया। यानि अब भाजपा केजरीवाल को दिल्ली के चुनाव में उन्हीं के हथियारों से मार रही हैं। सवाल यह नहीं है कि केजरीवाल ने ब्लैकमनी ली या नहीं। सवाल यह है कि इस बार केजरीवाल का मुकाबला दिल्ली के चुनाव में किससे है? एक साल पहले जब केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़कर चमत्कारी ढंग से 28 सीटे जीती थी और 49 दिनों के लिए सीएम भी बने थे, तब केन्द्र में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी और कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व श्रीमती सोनिया गांधी कर रही थी। केजरीवाल की स्थिति इतनी मजबूत थी कि उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तक को विधानसभा का चुनाव हरवा दिया, लेकिन इस बार केजरीवाल का मुकाबला पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से है। इस बार मोदी और शाह ने केजरीवाल को ऐसा घेरा है कि केजरीवाल को बाहर निकलने में बहुत जोर आएगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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