Wednesday 18 March 2015

राजस्थान पत्रिका ने सोशल मीडिया को माना प्रभावी

राजस्थान पत्रिका ने सोशल मीडिया को माना प्रभावी
राजस्थान के सबसे बड़े दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका ने सोशल मीडिया को प्रभावी माना है। पत्रिका के 17 मार्च के अजमेर संस्करण के पृष्ठ चार पर 'खदेड़ें लावारिस पशुÓ शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई है। इस खबर के साथ अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी का वो फोटो प्रकाशित किया है जिसमें देवनानी अजमेर की कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक की कुर्सी पर बैठे हंै। पत्रिका ने खबर में लिखा कि देवनानी का यह फोटो सोशल मीडिया से लिया गया है। इतना ही नहीं खबर के साथ देवनानी का बयान भी प्रकाशित किया गया है, जिसमें देवनानी ने माना है कि 16 मार्च को वे अजमेर कलेक्टर की कुर्सी पर बैठे थे। देवनानी ने कहा कि प्रभारी मंत्री होने के नाते कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने का उन्हें अधिकार है। यह सही है कि पत्रिका ने जो फोटो हासिल किया उसे सोशल मीडिया से ही लिया गया है। मेरा ब्लॉग पढऩे वालों को पता है कि 16 मार्च को देवनानी का यह फोटो और विस्तृत खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी। यानि राजस्थान पत्रिका ने अपना पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए इस सच्चाई को स्वीकार किया कि देवनानी का फोटो सोशल मीडिया से हासिल किया गया है। जो लोग सोशल मीडिया पर किसी भी तरह अपने विचार प्रकट करते हैं, उन्हें पत्रिका का आभार मानना चाहिए। सोशल मीडिया से जुड़े लोगों के लिए यह सम्मान की बात है। मालूम हो कि 16 मार्च को सुबह देवनानी कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे और तब डिग्गी बाजार के व्यापारी मिलने आए तो देवनानी जिला कलेक्टर की कुर्सी पर जाकर बैठ गए और व्यापारियों की समस्या को सुलझाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। सुबह के समय जब देवनानी कलेक्ट्रेट पहुंचे तब कलेक्टर मलिक नहीं थी। हालांकि बाद में जब देवनानी ने प्रशासनिक बैठक ली तब भी कलेक्टर नहीं आई। माना जा रहा है कि प्रभारी मंत्री देवनानी और कलेक्टर के बीच सामान्य तालमेल का अभाव है। प्रभारी मंत्री के कलेक्टर की कुर्सी पर बैठने और कलेक्टर के प्रभारी मंत्री की बैठक में नहीं आने को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में जोरदार चर्चा हो रही है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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