Wednesday 25 March 2015

लाफार्ज और वंडर सीमेंट के मालिक किसको नहीं खरीद सकते

लाफार्ज और वंडर सीमेंट के मालिक किसको नहीं खरीद सकते
जी टीवी के राजस्थान के चैनल पर 26 मार्च को सायं 7 बजे प्रदेश में हुए खान घोटाले पर लाइव प्रोग्राम हुआ। इस लाइव बहस में मैंने भी भाग लिया। प्रदेश की भाजपा सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि केन्द्र सरकार के माइन एंड मिनरल डवलपमेंट एंड रेग्यूलेशन अध्यादेश की अधिसूचना जारी होने से मात्र चार दिन पहले सीमेंट ब्लॉक का आवंटन क्यों किया गया? राज्य सरकार ने जिन सीमेंट कंपनियों को खानों का आवंटन किया है, उनमें लाफार्ज और वंडर सीमेंट भी शामिल हैं। सरकार भले ही ईमानदारी का कितना दावा करें, लेकिन सब जानते हैं कि लाफार्ज और वंडर सीमेंट के मालिक किस को खरीद नहीं सकते है? राज भाजपा का हो या कांग्रेस का दोनों के शासन में बड़े-बड़े मंत्री अधिकारी इन कंपनियों की दहली चूमते रहे हैं। सीएम ही नहीं केन्द्रीय मंत्री तक इन कंपनियों के विभिन्न समारोह में भाग लेते रहे हैं। समारोह ब्यावर में हो या किशनगढ़ में सभी जगहों पर अधिकारी और मंत्री देखे गए हैं। इन कंपनियों के मालिकों की खरीदने की क्षमता को देखते हुए जाहिर है कि खानों का आवंटन मुफ्त में नहीं हुआ होगा। राजस्थान की जनता ने विधानसभा चुनाव के बाद लोक सभा के चुनावों में भी भाजपा को वोट दिया। चुनावों में भाजपा के नेताओं का कहना रहा कि यदि प्रदेश का विकास करवाना है तो सत्ता की कड़ी से कड़ी जोडऩी पड़ेगी। जनता ने प्रदेश में वसुंधरा राजे और केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनवाई। जनता को उम्मीद है कि अब प्राकृतिक संसाधनों का ईमानदारी के साथ उपयोग होगा। लेकिन हुआ इसका उल्टा। राज्य की भाजपा सरकार को यह पहले ही पता चल गया कि केन्द्र की भाजपा सरकार खानों के आवंटनों पर अध्यादेश जारी कर रही है। इस अध्यादेश के बाद खानों का आवंटन नहीं बल्कि नीलामी होगी, तब लाफार्ज और वंडर सीमेंट जैसी कंपनियों को खानों का आवंटन नहीं किया जा सकेगा। इसीलिए अध्यादेश जारी होने से चार दिन पहले ही सरकार ने खानों का आवंटन कर दिया। अब जब खान घोटाले पर विधानसभा में हंगामा हो रहा है, तब भाजपा की सरकार कह रही है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं हुआ है। जबकि केन्द्र में भाजपा के नेता बार-बार कह रहे हैं कि यूपीए सरकार ने कोल-ब्लॉक और टूजी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर दिया है। यानी केन्द्र में आवंटन की प्रक्रिया को घोटाला और राजस्थान में आवंटन की प्रक्रिया को ईमानदारी का काम भाजपा के नेता बता रहे हैं।
यही वजह है कि राजस्थान में मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे से लेकर लाभ लेने वाली सीमेंट कंपनियों के मालिकों की जुबान पर कोई भरोसा नहीं कर रहा है। शर्मनाक बात तो यह है कि इन कंपनियों को मामूली फीस लेकर खदान के लिए जो जमीने दी गई हैं, वे गरीब किसानों से छीनी गई है। आज किसान तो बेघर हो गया और लाफार्ज और वंडर सीमेंट के मालिक मालामाल हो गए हैं। गरीब किसान का खून चूस कर ही लाफार्ज और वंडर के मालिक दानवीर बने हुए हैं। जिन विधवाओं को वंडर सीमेंट वाले पेंशन देते हैं, वे महिलाएं ऐसे मालिकों की वजह से विधवा भी हुई है। अच्छा हो कि लाफार्ज और वंडर सीमेंट के दानवीर, धर्मप्रेमी, समाजसेवी मालिक आवंटित जमीनों को वापस सरकार को लौटा दें। हजारों हैक्टर जमीन वापस उन्हीं गरीब किसानों को मिलनी चाहिए, जिसकी जमीन सरकार ने छीनी है। आंकड़ों के मुताबिक 30 हजार बीघा जमीन का आवंटन राजस्थान में किया गया है। जबकि सम्पूर्ण देश में कुल 4800 बीघा जमीन की आवश्यकता है। जाहिर है कि जिन सीमेंट कंपनियों को तीस हजार बीघा जमीन मिली है, वे यहां पर अन्य उद्योग भी धड़ल्ले से लगाएंगे। जमीन का आवंटन आगामी तीस वर्षों के लिए गया है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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