Wednesday 1 April 2015

बिल्डिंग बॉयलॉज पुराने शहर में लागू नहीं

बिल्डिंग बॉयलॉज पुराने शहर में लागू नहीं
टाउन प्लानर विभाग ने दी महत्त्वपूर्ण जानकारी
एक ओर नगर निगम नियमों के विरुद्ध बने व्यवसाय और आवासीय भवनों को तोडऩे और सीज करने की कार्यवाही कर रहा है, तो दूसरी ओर अजमेर के टाउन प्लानर विभाग ने जानकारी दी है कि सरकार के बिल्डिंग बॉयलॉज अजमेर के पुराने शहर पर लागू नहीं होते हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता चन्द्रशेखर अग्रवाल द्वारा मांगी गई सूचना के जवाब में सहायक टाउन प्लानर मुकेश ने एक पत्र में जानकारी दी है कि भवन विनियम 2013 (संशोधित) परकोटे (पुराना शहर) में प्रभावी नहीं है। विभाग की जानकारी तब सामने आई है, जब नगर निगम अवैध निर्माणों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्यवाही कर रहा है। निगम की कार्यवाही बिल्डिंग बॉयलॉज के आधार पर ही हो रही है। अधिकांश मामलों में निगम का यही आधार है कि निर्माण नियमों के विरुद्ध हुआ है, लेकिन यदि टाउन प्लानर की जानकारी पर अमल किया जाए, तो देहली गेट, आगरा गेट, ऊसरी गेट, मदार गेट के अंदर जो क्षेत्र हैं उनमें बिल्डिंग बॉयलॉज लागू ही नहीं होते हैं। ऐसे में नगर निगम तोडफ़ोड़ और सीज करने की जो कार्यवाही कर रहा है, वह सही नहीं है।
पहले प्रभावी बताया था
टाउन प्लानर ने गत 25 मार्च को सूचना के अधिकार कानून में भले ही यह माना हो कि बिल्डिंग बॉयलॉज परकोटे में प्रभावी नहीं है, लेकिन इसी कानून के अंतर्गत गतवर्ष 28 फरवरी को सीनियर टाउनप्लानर अनिल पथरिया ने जो जानकारी दी उसमें कहा था कि बिल्डिंग बॉयलॉज परकोटे में भी प्रभावी है। इस संबंध में बुधवार को जब सहायक टाउन प्लानर मुकेश से जानकारी मांगी गई तो उसने कहा कि पिछली बार प्रभावी होने वाली जो सूचना दी गई थी, वह गलत थी, लेकिन इस बार 25 मार्च को जो सूचना दी है वह सही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष 28 फरवरी को दी गई सूचना को आरटीआई कार्यकर्ता अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्य सूचना अधिकारी के समक्ष चुनौती दी थी। इस पर ही मुख्य सूचना अधिकार ने अजमेर के सीनियर टाउन प्लानर को आगामी 26 अप्रैल को व्यक्तिगततौर पर उपस्थित होने के निर्देश दिए। सूचना आयोग टाउन प्लानर के खिलाफ कोई कार्यवाही करता, इससे पहले ही विभाग ने अपनी गलती को सुधार लिया।
परेशान है शहरवासी
टाउन प्लानर विभाग ने आरटीआई कानून के डर से भले ही यह स्वीकार कर लिया हो कि बिल्डिंग बॉयलॉज शहर के परकोटे में लागू नहीं होता है, लेकिन इसी विभाग ने आज तक भी किसी भी भवन मालिक को राहत नहीं दी है। मानचित्र स्वीकृति के लिए जब नगर निगम ने प्रस्तुत किया जाता है, तब नगर निगम टाउन प्लानर से तकनीकी राय मांगता है। सभी मानचित्रों पर टाउन प्लानर विभाग यह मानकर राय देता है कि परकोटे में भी बिल्डिंग बॉयलॉज के अनुसार मानचित्र स्वीकृति करता नहीं है। आज भी दरगाह बाजार, अंदर कोट, नाला बाजार, डिग्गी बाजार, पुरानी मंडी, ऊसरी गेट आदि क्षेत्रों के हजारों मानचित्र नगर निगम में लम्बित पड़े हैं। यहां यह सवाल महत्त्वपूर्ण है कि जब पुराने शहर में बिल्डिंग बॉयलॉज प्रभावी नहीं है तो फिर नगर निगम और टाउन प्लानर विभाग ने शहरवासियों को परेशान क्यों किया? नगर परिषद के पूर्व सभापति और शहर भाजपा के महामंत्री सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने गत दिवस ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक पत्र लिखकर मांग की है कि अजमेर के नए मास्टर प्लान के दायरे में पुराने शहर को शामिल नहीं किया जाए।
क्या बंद हो जाएगी लूट खसोट
टाउन प्लानर मुकेश ने जो जानकारी दी है उससे अब यह सवाल उठता है कि क्या लूट-खसोट बंद हो जाएगी। बिल्डिंग बॉयलॉज को लेकर नगर निगम और टाउनप्लानर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कितना तंग करते हैं, इसका दर्द वे ही बता सकते हैं, जिन्होंने अपने भवन का मानचित्र स्वीकृत करने के लिए प्रस्तुत किया है। शर्मनाक बात यह है कि उस बिल्डिंग बॉयलॉज की आड़ में लूट-खसोट होती रही जो पुराने शहर में लागू ही नहीं है। धन्य है ऐसे जनप्रतिनिधियों को भी जो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कुछ नहीं बोलते हैं। यदि कोई जागरुक और ईमानदार व्यक्ति विधायक अथवा मंत्री के पास जाता है तो उसे भ्रष्टाचारी व्यवस्था में ही काम करवा लेने की सलाह दी जाती है। वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल पिछले 11 वर्ष से अजमेर शहर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों ने कभी भी बिल्डिंग बॉयलॉज के बारे में जानने की कोशिश नहीं की।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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