Saturday 11 April 2015

भाजपा और कांग्रेस के राज्य में भ्रष्टाचार एक समान

भाजपा और कांग्रेस के राज्य में भ्रष्टाचार एक समान
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम खुला पत्र
वसुंधरा जी राजे
मुख्यमंत्री राजस्थान, जयपुर।
इस खुले पत्र के माध्यम से एक गंभीर मामला आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। यह मामला जाहिर करता है कि भ्रष्टाचार पर कांग्रेस और भाजपा के राज में कोई फर्क नहीं है। भ्रष्टाचार करने वालों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है या वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की। राज पलटने से काम में थोड़ा विलम्ब होता है लेकिन निर्णय वहीं होता है जो भ्रष्टाचारी चाहते हैं। आपको ध्यान होगा कि 4 अक्टूबर 2013 के दिन चुनाव आयोग ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा की। यह घोषणा सायं 4 बजे हुई लेकिन इससे पहले प्रात: 11 बजे अजमेर नगर निगम में भू-उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक हुई। सबको पता था कि चुनाव की आचार संहिता लागू होने वाली है लेकिन इस बैठक में प्रभावशाली और धन के बल पर काम करने वालों के भू-उपयोग के मामले रखे गए। 47 मामलों में से 28 में भू-उपयोग परिवर्तन करने का निर्णय लिया गया। यानि आवासीय से व्यवसाय भूमि घोषित कर दी गई। इस बैठक में नगर निगम के सीईओ हरफूल सिंह यादव ने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। यादव ने स्पष्ट कहा कि जो प्रस्ताव रखे गए हैं उनके अनुसार भू-उपयोग परिवर्तन नहीं हो सकता। लेकिन यादव की आपत्ति को दरकिनार कर 4 अक्टूबर 2013 को ही सायं 4 बजे दोबारा से बैठक आयोजित कर ली। उधर दिल्ली में चुनाव आयोग राजस्थान में चुनाव की तिथिया घोषित कर रहा था तो इधर नगर निगम में फटाफट धन-बल के आधार पर भू-उपयोग परिवर्तन किए जा रहे थे। चूंकि 4 अक्टूबर को ही चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई, इसलिए भू-उपयोग परिवर्तन के आदेश जारी नहीं हो सके। चुनाव में भ्रष्टाचारी कांग्रेस सरकार का सूपड़ा साफ हो गया और आपके नेतृत्व में राजस्थान में भाजपा की ईमानदार सरकार स्थापित हो गई। चूंकि आपके नेतृत्व में ईमानदार सरकार की शुरूआत हुई इसलिए स्वायत्त शासन विभाग ने भी यह घोषणा की दी कि अजमेर नगर निगम में 4 अक्टूबर 2013 को जो भू-उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक हुई है उसे निरस्त किया जाता है तथा दोबारा से बैठक आयोजित की जाए। नि:संदेह सरकार के इस निर्णय से भ्रष्टाचारियों को धक्का लगा और जनता को यह उम्मीद जगी कि अब प्रदेश में ईमानदार शासन चलेगा।
वसुंधरा जी आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आपके नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के अधीन चलने वाले स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव मंजीत सिंह ने अजमेर नगर निगम को निर्देश दिए कि गत कांग्रेस के शासन में 4 अक्टूबर 2013 को जो भू-उपयोग परिवर्तन समिति की बैठक में निर्णय हुए, उन्हें लागू कर दिया जाए। सरकार के आदेश मिलते ही नगर निगम के सीईओ सी आर मीणा ने 30 मार्च 2015 को आदेश जारी भी कर दिए। यानि कांग्रेस के राज में जो भ्रष्टाचार हुआ था उस पर भाजपा की सरकार ने मुहर लगा दी, यानि भ्रष्टाचार पर कांग्रेस और भाजपा के राज में कोई फर्क नहीं है।
आपको मेरा यह पत्र थोड़ा कड़वा लग सकता है लेकिन आप इस बात की जांच करवाए कि जब आपकी सरकार ने एक बार 4 अक्टूबर 2013 की कार्यवाही को निरस्त कर दिया तो फिर दोबारा से उस निर्णय को लागू क्यों किया? जिन 28 लोगों के भू-उपयोग परिवर्तन किए गए, उनमें से अधिकांश ऐसे लोग हैं जो किसी भी सरकार को खरीद सकते हैं। ऐसे लोगों ने पहले कांग्रेस के राज में धन खर्च किया और फिर भाजपा के राज में, यानि इन लोगों को एक काम के लिए दो बार धन खर्च करना पड़ा। विधानसभा के चुनावों में आपने भी सभाओं में कहा था कि कांग्रेस ने जो भ्रष्टाचार किया है उसे मैं समाप्त करूंगी। लेकिन अजमेर नगर निगम का मामला यहीं दर्शाता है कि भ्रष्टाचार तो आपकी सरकार में भी समाप्त नहीं हो रहा है। मेरा पूरा भरोसा है कि यह मामला आपकी जानकारी में नहीं आया है। यदि आपकी जानकारी में आता तो आप कभी भी कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर मुहर नहीं लगाती।
इस पूरे मामले में किस कदर भ्रष्टाचार हुआ, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे जो आवासीय भूमि थी उसे व्यावसायिक कर दिया गया है जबकि पिछले दिनों ही नगर निगम ने हाईकोर्ट में 490 अतिक्रमणों की एक सूची पेश की है। इस सूची में यहीं आरोप लगाया गया है कि छोटी सड़क पर नियमों के विरूद्ध होटल, मॉल आदि का व्यावसायिक निर्माण किया गया है। 490 की सूची में जिन सड़कों को छोटा बताया गया उन्हीं सड़कों के किनारे भूमि पर आवासीय से व्यावसायिक कर दिया गया। मेरा आपसे आग्रह है कि आप पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच करवाएं और इस जांच से स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव मंजीत सिंह को दूर रखें। इस जांच में नगर निगम के तत्कालीन सीईओ हरफूल सिंह यादव को शामिल किया जाए। क्योंकि यादव ने आज तक भी 4 अक्टूबर 2013 की कार्यवाही पर हस्ताक्षर नहीं किए है। ऐसा नहीं कि भ्रष्टाचारियों ने यादव को खरीदने की कोशिश नहीं की हो। यादव से भी कहा गया कि मुंह मांगा वचन ले ले और 4 अक्टूबर वाली बैठक पर सहमति दे दे। लाख कोशिश के बाद भी यादव ने हस्ताक्षर नहीं किए। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि यादव के हस्ताक्षर के बिना ही 4 अक्टूबर की कार्यवाही को जायज मान लिया गया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आपकी नजर में मामला आने के बाद कम से कम इतना भ्रष्टाचार तो नहीं होगा। मेरे इस पत्र की जानकारी आम लोगों को हो, इसके लिए यह पत्र मेरे ब्लॉग तथा सोशल मीडिया पर जारी कर रहा हूं।
धन्यवाद।
आपका शुभचिंतक
एस.पी. मित्तल
बी-114 एच बी यू (मैन) पुष्कर रोड अजमेर। मो. 9829071511
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment