Friday 3 April 2015

हनुमान जैसे बनो भी

हनुमान जैसे बनो भी
दो और तीन अप्रैल को श्रद्धालुओं ने हनुमान जी की जयंती मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। देर रात तक जागरण किए और अगले दिन बड़ा भंडारा। सोशल मीडिया पर भी हनुमान जयंती की शुभकामनाएं देने वालों के बीच होड़ लग गई। हनुमान जी के विभिन्न स्वरूपों के फोटो ऐसे लोड हुए जैसे त्रेतायुग में भगवान राम ने जब लंका पर चढ़ाई की तब इधर-उधर से वानर इक_े हुए। खैर यह अपनी-अपनी भक्ति और श्रद्धा है, लेकिन जिन लोगों ने धूमधाम से हनुमान जी का बर्थडे मनाया क्या उन्होंने हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा भी ली? जयंती तभी साकार होगी जब हम हनुमान जी जैसे बनेंगे। हिन्दू देवी-देवताओं में हनुमान जी एक मात्र ऐसे चरित्र है, जिन्होंने भगवान की भी मदद की। आज हम भले ही हनुमान को भगवा का स्वरूप माने, लेकिन हनुमान ने स्वयं को हमेशा भगवान राम का भक्त माना है। कहा तो यह जाता है कि भगवान अपने भक्तों की मदद करते हैं। लेकिन हनुमान ने तो भगवान की मदद की। जब-जब भगवान राम पर संकट आया, तब-तब हनुमान ने संकट को टाला। यही वजह है कि आज भगवान राम के मंदिरों से ज्यादा हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ होती है। राम-सीता का मंदिर तभी सम्पूर्ण माना जाएगा, जब हनुमान जी की भी प्रतिमा हो, लेकिन हनुमान के मंदिर में हनुमान अकेले ही अपनी गदा को लेकर खड़े हैं। जितने स्वरूप हनुमान जी के सामने आए उतने राम जी के नहीं है। हनुमान जी ने अपने चरित्र से हमें यह सीख दी कि हमेशा मदद के लिए तत्पर रहना चाहिए। हम तभी ताकत प्राप्त कर सकते है, जब मदद करते रहे। यह माना कि ऐसी शक्ति भगवान की कृपा से ही मिलती है, लेकिन यह कृपा तभी होगी जब हम हनुमान जैसे बनेंगे।
इस कलयुग में महिलाओं पर जो अत्याचार और महिलाओं का जो चरित्र सामने आ रहा है, उस संदर्भ में भी हमें हनुमान के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। एक बार जब हनुमान से सीता जी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने तो अपनी नजरे माता-सीता के चरणों में रखी है। मुझे नहीं पता कि माता सीता कैसी लगती है। यह भावना थी महिलाओं के प्रति हनुमान में। हम यदि हनुमान जयंती मनाते हैं तो हमें हनुमान के भक्त वाले चरित्र से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। ऐसा न हो कि हम हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ कर ले और अपनी रावण जैसी प्रवृत्ति में सुधार न करें।

(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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