Sunday 19 April 2015

क्या कश्मीर में भारतीय मुसलमान नहीं है


पाकिस्तान में बैठकर भारत पर आतंकी हमले करवाने वाले हाफिज सईद के गुर्गे मसरत आलम ने कश्मीर में जो आग लगाई है, उससे यह सवाल उठता है क्या कश्मीर में भारतीय मुसलमान नहीं है? 15 अप्रैल को मसरत आलम ने श्रीनगर में जो रैली की उसके बाद ही पूरी कश्मीर घाटी अशांत है। जगह-जगह पत्थरबाजी और गोलीबारी से हालात बेकाबू होते जा रहे हंै। कश्मीर में जो हालात उपजे हैं उसमें क्या भारत का समर्थन करने वाले मुसलमानों को आगे नहीं आना चाहिए? पाकिस्तान पहले ही कश्मीर को अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है और अब यदि हाफिज सईद और मसरत आलम जैसे भारत विरोधी नेताओं को जवाब नहीं दिया गया तो अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को भारत विरोधी माहौल बनाने में और मदद मिलेगी। आजादी के बाद से कश्मीर को विशेष दर्जा देकर जो सुविधाएं दी गई, उससे क्या कोई भी मुसलमान भारत में नहीं रहना चाहता? क्या धारा 370 इसलिए कश्मीर में लगाई गई थी ताकि एक दिन पूरी कश्मीर घाटी में भारत विरोधी माहौल बन जाए? जो मुसलमान नेता कश्मीर में धारा 370 के पक्षधर हैं, उन्हें अब यह बताना चाहिए कि आखिर कश्मीर में मुसलमान हाफिज सईद व मसरत आलम का विरोध क्यों नहीं कर रहे है? धारा 370 की आड़ में केन्द्र सरकार से बहुत सारी सुविधाएं ली गई और जब भारत के प्रति समर्थन जताने का अवसर आया तो कश्मीर का कोई भी मुसलमान सामने नहीं आ रहा है। हाफिज सईद व मसरत आलम ने जो माहौल खड़ा किया है उसमें फिलहाल यहीं प्रतीत हो रहा है कि कश्मीर में पाकिस्तान के नागरिक ही रह रहे हैं। यह माहौल तब बना है, जब कश्मीर में भाजपा की मदद से पीडीपी की सरकार चल रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद खुद हाफिज सईद और मसरत आलम के  मददगार बने हुए है। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थक जिस प्रकार कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं, उसमें पुलिस को सख्त कार्यवाही करनी पड़ रही है। ऐसे में गोली लगने से मौतें भी हो रही हंै। इन मौतों का फायदा पाकिस्तान और हाफिज सईद को हो रहा है। हाफिज सईद ने तो साफ कह दिया है कि पाकिस्तान फौज की मदद से कश्मीर को भारत से छिन लिया जाएगा। यानि एक ओर मसरत आलम जैसे अलगाववादी के नेतृत्व में कश्मीर के मुसलमान भारत के खिलाफ माहौल बना रहे हैं तो दूसरी ओर हाफिज सईद पाकिस्तान की फौज लेकर सीमा पर खड़ा है। देखना है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केन्द्र की सरकार हाफिज सईद और मसरत आलम के खिलाफ सीधी कार्यवाही कब करती है। यदि वर्तमान हालातों में नरेन्द्र मोदी की सरकार भी कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं करती है तो फिर कश्मीर को पाकिस्तान में जाने से रोकना मुश्किल होगा। इसके साथ ही कश्मीर में उन मुसलमानों को भी सामने आना चाहिए जो भारत के साथ रहना चाहते है। ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि कश्मीर घाटी में मुसलमान आबादी हो जाने के बाद अब पाकिस्तान में शामिल होना एकमात्र रास्ता है। जो लोग भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र मानते है, वे अब बताए कि कश्मीर में भारत के समर्थक मुसलमान कहां पर है। सवाल कश्मीर के इतिहास में जाने का नहीं है, सवाल यह है कि आखिर धारा 370 की आड़ में कश्मीर को सिर्फ मुस्लिम प्रांत क्यों बना दिया गया? मैंने पहले भी भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले मुसलमानों से आग्रह किया है कि वे कश्मीर को भारत में बनाए रखने के लिए सकारात्मक पहल करें। उन ताकतों को हावी नहीं होने देना चाहिए जो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते है। कश्मीर दुनिया की जन्नत ही नहीं, बल्कि भारत का मस्तक भी है। कल्पना कीजिए कि यदि शरीर का मस्तक ही कट जाएगा तो फिर शरीर के हालात कैसे होंगे?
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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