Friday 1 May 2015

मोदी जी इस तेल का खेल क्या है

देश की तेल कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस एक मई से पेट्रोल के चार रुपए और डीजल के करीब ढाई रुपए प्रतिलीटर की वृद्धि कर दी है, कहा जाता रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढऩे से घरेलू बाजार में भी तेल के उत्पादों में वृद्धि करनी पड़ रही है। पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया है कि अब तेल की कीमतें बाजार तय करता है और सरकार का तेल कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन मोदी को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि पेट्रोल पर से सरकारी नियंत्रण समात करने का फैसला गत यूपीए के शासन में ही हो गया था, लेकिन बाद में हुए सभी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में पेट्रोल डीजल की मूल्यवृद्धि के लिए मोदी ने यूपीए सरकार को ही जिम्मेदार माना। इतना ही नहीं पीएम बनने के बाद दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मोदी ने कहा कि मेरे नसीब से पेट्रोल के दाम कम हो रहे हैं। चलो यह तो राजनीति का खेल माना जा सकता है। ऐसा तो हर राजनीतिक दल का नेता करता है, लेकिन देश के पीएम होने के नाते मोदी की यह तो जिम्मेमदारी है कि वे यह देखे कि तेल कंपनियां किस प्रकार से पेट्रोल-डीजल का मूल्य तय करती हैं। यूपीए के शासन में जब एक बैरल कच्चा तेल एक सौ तीस डॉलर में आता था, तब देश में अधिकतम पेट्रोल 78 रुपए प्रतिलीटर मिल रहा था, लेकिन एक बैरल तेल मात्र 62 डॉलर में खरीदा जा रहा है, तब इन चोर तेल कंपनियों ने पेट्रोल का मूल्य औसत 64 रुपए प्रतिलीटर निर्धारित किया है। यानि यूपीए के शासन के मुकाबले आज नरेन्द्र मोदी के राज में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आधी है, लेकिन प्रतिलीटर पेट्रोल मात्र 18 रुपए कम है। मोदी जी यह जो तेल का खेल हो रहा है, इसका जिम्मेमदार कौन है। देश की जनता आज भी नरेन्द्र मोदी को एक ईमानदार पीएम मानती है और यह उम्मीद करती है कि मोदी के राज में तेल कम्पनियां भी ईमानदारी के साथ काम करेंगी। ऐसा नहीं हो सकता कि तेल कम्पनियां देश के सबसे बड़े तेल उद्योगपति मुकेश अम्बानी को फायदा पहुंचाने का काम करें।
मुकेश अंबानी के पास ही बड़ी-बड़ी रिफायनरी है, जहां कच्चा तेल आता है और फिर मुकेश अपनी ही इन सरकारी कंपनियों को ही डीजल बनाकर बेचता है। जब यूपीए की सरकार 130 डॉलर में एक बैरल कच्चा तेल खरीदकर अधिकतम 78 रुपए का एक लीटर पेट्रोल बेच सकती है, तो फिर नरेन्द्र मोदी की सरकार 62 डॉलर में एक बैरल कच्चा तेल खरीदकर 50 रुपए में एक लीटर पेट्रोल क्यों नहीं दे सकती? आम जनता किसी तकनीकी गणित को समझना नहीं चाहती। सवाल तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और भारत में बिकने वाले पेट्रोल के मूल्य के अंतर को समझती है। कांग्रेस के दम पर चल रही यूपीए की सरकार तो भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी। 78 रुपए लीटर पेट्रोल बेचकर भी जमकर भ्रष्टाचार हो रहा था, आप का नसीब तो इतना अच्छा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 62 डॉलर प्रति बैरल है। कल्पना कीजिए यदि मोदी जी के शासन में कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल हो गया तो भारत में एक लीटर पेट्रोल कितने रुपए में बिकेगा। मोदी जी आप माने या नहीं, लेकिन ताजा तेल की कीमतों से देशभर में त्राहि-त्राहि मच गई है। मजे की बात तो यह है कि एक मई को पेट्रोल डीजल की कीमत तब बढ़ाई गई, जब एक दिन पहले ही 30 अप्रैल को मीडिया में यह प्रसारित हुआ कि तेल उद्योगपति मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे धनाढ्य उद्योगपति हैं। यदि देश की जनता का तेल निकालकर मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे धनी उद्योगपति बने हैं तो सबसे पहले आप को मुबारक बाद। क्योंकि मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी आप की बहन हैं। आप ने मुम्बई के एक सार्वजनिक समारोह में नीता अंबानी को अपनी छोटी बहन कहा था।

(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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