Saturday 16 May 2015

गौरान की ताकत के आगे एसओजी लाचार

राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष हबीब खान गौरान की ताकत के आगे प्रदेश की प्रमुख जांच एजेन्सी एसओजी भी लाचार है। गौरान पर आयोग का अध्यक्ष रहते हुए आरजेएस परीक्षा का प्रश्न पत्र चुराने का आरोप है। गौरान ने यह प्रश्न पत्र इसलिए चुराया ताकि परीक्षा में भाग ले रही उनकी बेटी अच्छे नम्बरों से पास हो सके। गौरान अब भले ही इस आरोप से इंकार करें, लेकिन वही बेटी अब मजिस्ट्रेट बनकर न्याय की कुर्सी पर बैठी है। एसओजी ने हाल ही में जयपुर के न्यायालय में इस पूरे प्रकरण में अधूरी चार्जशीट पेश की है। इस चार्जशीट में एसओजी ने अपनी लाचारी भी दर्शाई है। एसओजी ने कहा कि चूंकि इस मामले में गौरान को गिरफ्तार कर पूछताछ नहीं की गई, इसलिए जांच पूरी नहीं हो पाई है। अब यह गौरान ही बता सकते है कि अहमदाबाद की प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्न पत्र की नकल करने के बाद किन-किन लोगों तक परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र पहुंचा दिया गया। यदि एसओजी अपनी हिरासत में लेकर गौरान से पूछताछ करती तो सच सामने आ जाता, लेकिन विभिन्न न्यायालयों के आदेशों के मुताबिक गौरान को हिरासत में लिया ही नहीं जा सका, इसलिए लम्बित चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत की जा रही है। एसओजी के अधिकारियों को आशंका है कि आरजेएस का प्रश्न पत्र सिर्फ गौरान की बेटी तक ही नहीं पहुंचा, बल्कि प्रदेश के कई बड़े रसूखदारों के घरों तक पहुंचा है इसलिए एसओजी ने आरजेएस परीक्षा 2011 की वो मेरिट लिस्ट प्राप्त कर ली है जो गौरान ने ही आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से जारी की थी। इस मेरिट लिस्ट में सिर्फ गौरान की बेटी का ही नाम नहीं है बल्कि कई रसूखदारों के पुत्र-पुत्रियों और रिश्तेदारों के नाम हैं। सवाल उठता है कि जब आयोग का अध्यक्ष ही आयोग की परीक्षा का प्रश्न पत्र चुरा रहा है तो फिर प्रदेश के योग्य युवाओं का चयन किस प्रकार से होगा? माना कि गौरान ने प्रश्न पत्र चुराने के बाद प्रश्न पत्र को 10-20 लाख रुपए में बेचा नहीं होगा, लेकिन उन रसूखदारों तक प्रश्न पत्र को पहुंचाया जिनके पुत्र-पुत्रियां और रिश्तेदार परीक्षा में भाग ले रहे थे। यदि आरजेएस परीक्षा 2011 में चयनित अभ्यर्थियों की सूची देखी जाए तो उन रसूखदारों के चेहरे पर से नकाब उतर सकती है। एसओजी पूछताछ के लिए गौरान को हिरासत में क्यों नहीं ले सकी, इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है। एसओजी ने वे तमाम सबूत जुटाए हैं जो यह जाहिर करते हंै कि गौरान आयोग की ही कार लेकर अजमेर से अहमदाबाद गए और उस प्रिन्टिंग प्रेस में पहुंचे, जहां परीक्षा का प्रश्न पत्र छप रहा था। अध्यक्ष का रौब गालिब करते हुए गौरान ने प्रेस मालिक से प्रूफ देखने के बहाने प्रश्न पत्र ले लिया। जब प्रेस में ही बैठकर गौरान प्रश्न पत्र की नकल कर रहे थे तब प्रेस मालिक ने ऐतराज भी किया, लेकिन अध्यक्ष के रौब के आगे प्रेस मालिक का ऐतराज दरकिनार कर दिया गया। एसओजी ने इस पूरे प्रकरण में प्रिंटिंग प्रेस मालिक, कार के ड्राइवर, आयोग के अधिकारियों, कर्मचारियों आदि के कुल 26 गवाह तैयार किए है लेकिन एसओजी की यह लाचारी रही कि वे गौरान को हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर सकी। अब एसओजी ने अधूरी चार्जशीट पेश कर दी है इसलिए पूरा दारोमदार न्यायालय पर निर्भर हो गया है। न्यायालय चाहे तो कभी भी गौरान को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के आदेश दे सकता है। यदि इस पूरे मामले में गौरान को हिरासत में लेकर पूछताछ की जाए तो उन रसूखदारों के नाम भी उजागर हो जाएंगे, जिन्होंने गौरान से परीक्षा का प्रश्न पत्र हासिल करवाकर अपने बच्चों को मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठा दिया है। क्या यहां यह सवाल नहीं उठता है कि जिन रसूखदारों के बच्चों ने परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र हासिल कर परीक्षा दी, उन्होंने प्रदेश के योग्य युवाओं को उनके हक से वंचित कर दिया है? यदि आरजेएस 2011 की परीक्षा ईमानदारी के साथ होती तो आज प्रदेश भर की विभिन्न अदालतों में मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर दूसरे चेहरे बैठे हुए होते। इस पूरे मामले में उस मेरिट लिस्ट की भी जांच होनी चाहिए जो आयोग की अध्यक्ष की हैसियत से गौरान ने जारी की है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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