Sunday 31 May 2015

डांगावास हत्याकांड में क्या विधानसभा अध्यक्ष के भाई पीडि़तों के हितैषी हैं

राजस्थान के बहुचर्चित डांगावास हत्याकांड के आंदोलन में डॉ.अशोक मेघवाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। प्रशासन और सरकार के साथ होने वाली समझौता वार्ताओं में भी डॉ.मेघवाल पीडि़तों के प्रतिनिधि बने हुए है। अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में जब भी किसी जख्मी की मौत होती है तो मुर्दाघर के बाहर सबसे पहले डॉ.मेघवाल ही पहुंचते है। फटाफट टेंट आदि लगाकर  धरना शुरू कर दिया जाता है। पिछले दिनों गणपतराम और गणेशराम की उपचार के दौरान जब मौत हुई तो आंदोलन की कमान डॉ.मेघवाल ने ही संभाली, लेकिन इसे डॉ. मेघवाल की समझदारी ही कहा जाएगा कि आंदोलन को कभी भी बिगडऩे नहीं दिया। डॉ.मेघवाल ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि हालात नियंत्रण से बाहर नहीं है। गणपतराम ओर गणेशराम के शव तीन-तीन दिन तक मुर्दाघर में पड़े रहे और शहर भर में आंदोलन होता रहा, लेकिन किसी भी मौके पर हालात बेकाबू नहीं हुए। डॉ.मेघवाल ने अभी तक जो भूमिका निभाई है उसको लेकर ही मेघवाल समाज में यह चर्चा हो रही है कि डॉ.अशोक मेघवाल वाकई पीडि़तों के हितैषी है? डांगावास के खूनी संघर्ष में मेघवाल समाज के अब तक पांच जनों की मौत हो गई है और अभी भी अस्पताल में एक दर्जन महिला पुरुष भर्ती हैं।  दबंगो ने मेघवालों को भूमि विवाद में ट्रेक्टर से कुचल दिया। आज भी पीडि़त परिवार और मेघवाल समाज के लोग डांगावाास गांव नहीं जा पा रहे है। सब जानते है कि डॉ.अशोक मेघवाल राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के चचेरे भाई है। ऐसे में माना जा रहा है कि डॉ.मेघवाल एक योजना के अन्तर्गत आंदोलन में भूमिका निभा रहे है। डॉ.मेघवाल ने गत विधानसभा के चुनाव में अजमेर दक्षिण क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अपनी सशक्त दावेदारी प्रस्तुत की थी। डॉ.मेघवाल की उम्मीदवारी के लिए कैलाश मेघवाल ने भी पूरा जोर लगाया। यह बात अलग रही कि डॉ.मेघवाल भाजपा का टिकट नहीं ले सके, लेकिन भाजपा की सभी राजनैतिक गतिविधियों में डॉ.मेघवाल सक्रिय रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के जिला उपाध्यक्ष होने के नाते भी डॉ.मेघवाल भाजपा की गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, हालांकि इस आंदोलन से जुडऩे पर डॉ.मेघवाल ने कहा है कि डांगावास के दबंगों ने दलितों पर अत्याचार किए हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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