Thursday 14 May 2015

भारत की तरक्की की तुलना चीन की तरक्की से नहीं की जा सकती

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 और 15 मई को चीन के दौरे पर है। इस दौरे में मोदी चीन के शासको से मिलेंगे और भारत में निवेश के लिए समझौते भी करेंगे। मोदी की चीन यात्रा के मद्देनजर भारत के न्यूज चैनल वाले चीन में है और यह बता रहे हैं कि भारत के मुकाबले चीन में कितनी तरक्की हुई है। टीवी रिपोर्टो को देखा जाए तो जाहिर होता है कि चीन की तरक्की के मुकाबले भारत अभी सौ साल पीछे हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में चीन से ज्यादा योग्य व्यक्ति नहीं है। योग्य व्यक्ति तो है, लेकिन भारत और चीन की परिस्थितियों में रात-दिन का अंतर है। हमारे यहां लोकतंत्र हैं और इस लोकतंत्र में भी धर्मनिरपेक्षता और इस धर्मनिरपेक्षता में भी कश्मीर जैसा प्रांत है। जहां धारा 370 लगी हुई है। कोई परिवार कितने भी बच्चे पैदा करें। भारत में कोई रोक नहीं। धर्मनिरपेक्ष देश होने के कारण लोगों को अपने धर्म के मुताबिक जीवनयापन करने का भी अधिकार है। यदि सरकार कोई बिल लोकसभा में पास करा ले, तो राज्यसभा में रद्द हो सकता है। हमारे यहां बांग्लादेश से कोई भी व्यक्ति आकर नागरिकता ले सकता है और पाकिस्तान के आतंकवादी जब चाहे तब सीमा में घुसकर हमला कर सकते हैं। आतंकवादियों की पैरवी करने के लिए भी भारत में राजनेता तैयार खड़े हैं। जो लोग देश की एकता और अखंडता को खंडित करना चाहते हैं, वे प्रांतों की सत्ता में बैठे हैं। चीन में ऐसा कुछ भी नहीं है। चीन में एक पार्टी का राज है कम्यूनिस्ट पार्टी ही देश का शासन चलाती है। सरकार ने कहा कि परिवार में सिर्फ एक बच्चा पैदा होगा, तो किसी चीनी नागरिक की इतनी हिम्मत नहीं कि वह दो बच्चे पैदा कर ले।
यदि एक बच्चे की मौत हो जाती है तो दूसरा बच्चा पैदा करने से पहले सरकार से इजाजत लेनी होती है। क्या चीन की तरह भारत में एक बच्चा का कानून लागू हो सकता है? यदि चीन में रेललाइन बिछानी हो अथवा सड़क का निर्माण करना हो तो सरकार जब चाहे तब भूमि का अधिग्रहण अपनी शर्तों पर कर सकती है। क्या भारत में ऐसा संभव है। भारत में एक बच्चे की बात तो छोडि़ए एक से अधिक पत्नियां रखने तक की छूट है। दो वर्ष पहले चीन की एक मस्जिद में रोजा अफ्तार के कार्यक्रम के दौरान आतंकी घटना हुई तो सम्पूर्ण चीन में रोजाअफ्तार के कार्यक्रम ही बंद कर दिए गए। क्या भारत में ऐसे किसी फैसले की कल्पना भी की जा सकती है? लालू प्रसाद यादव जैसे राजनेता के 9-9 बच्चे हैं। हम चीन की तरक्की को देखकर ईष्र्या तो करते हैं, लेकिन चीनी नागरिक जैसे बनने को तैयार नहीं है। चीन के नागरिक देश के प्रति समर्पित हैं और हमारे देश में खुले आम कश्मीर में दुश्मन देश पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाते हैं। इसलिए भारत की तरक्की की तुलना चीन की तरक्की से नहीं करनी चाहिए। जो टीवी चैनल वाले चीन में जाकर चीन की तरक्की दिखा रहे हैं, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि चीन में शासन कैसे होता है, यदि हमारे टीवी वाले चीन की धरती पर चीन की शासन की जानकारी दें दे तो उसी समय उनका माइक और कैमरा जब्त कर लिया जाएगा। यह तो भारत ही है, जहां देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ भी दिखाया जा सकता है। चीन के शासन में सौ खामियां हो सकती है, लेकिन चीनकी तरक्की का कोई जवाब नहीं है। दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होने के बावजूद भी चीन ने सिर्फ अपनी शासन प्रणाली से आज दुनिया में अव्वल स्थान हासिल कर लिया है। यह माना कि लोकतंत्र की अपनी मजबुरियां होती हंै, लेकिन ऐसा लोकतंत्र भी कोई काम का नहीं जो देश की एकता और अखंडता को तोड़ता हो। लोकतंत्र यह कभी नहीं कहता कि अलगाववादियों की वजह से शासन व्यवस्था को ही बदल दो। इन दिनों पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा हिमायती हो रहा है, लेकिन पाकिस्तान की सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या चीन में जो शासन व्यवस्था है, उसका समर्थन पाकिस्तान करता है? अलस में चीन न तो पाकिस्तान का मित्र है और न भारत का। चीन को अपना माल इन दोनों देशों में बेचना है, इसलिए वह दोनों के साथ मित्रता का दिखावा कर रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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