Saturday 16 May 2015

पीएम मोदी चीन में हिन्दी में भाषण देते तो ज्यादा अच्छा रहता

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 15 मई को बीजिंग में चीन की सरकार के साथ भारत में निवेश के लिए अनेक समझौते किए। समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद संयुक्त साझा बयान में चीन के पीएम ली ख छियांग के अपनी मात्र भाषा चीनी में भाषण दिया, जबकि इस मौके पर मोदी ने अंग्रेजी में भाषण दिया। आमतौर पर मोदी को हिन्दी का पक्षधर माना जाता है। पिछले विदेशी दौरों में भी सरकारी कार्यक्रमों में मोदी ने हिन्दी में ही अपनी बात रखी, लेकिन 15 मई को मोदी ने अपनी मातृभाषा  के बजाए अंग्रेजी को तवज्जो दी। अच्छा होता कि चीन के पीएम छियांग की तरह मोदी भी अपनी मातृभाषा में संबोधन करते। इस कार्यक्रम का टीवी न्यूज चैनलों पर लाइव प्रसारण हुआ। जब चीन के पीएम चीनी भाषा में बोल रहे थे, तब भारत के किसी भी चैनल के पास चीनी भाषा का हिन्दी में अनुवाद करने वाला कोई नहीं था। सभी चैनलों पर भाषाण समाप्ति के बाद चीन के पीएम के संबोधन का अर्थ समझाया गया, जबकि वहीं चीन में पीएम मोदी के अंग्रेजी के भाषण का तत्काल चीनी भाषा में अनुवाद किया है। क्या देश के किसी भी टीवी चैनल के पास चीनी भाषा का अनुवादक नहीं है? चैनल वाले दिनभर मोदी चीनी भाई भाई का स्लोगन तो दिखाते रहे, लेकिन चीन के पीएम के लाइव भाषाण का हिन्दी में अनुवाद नहीं कर सके। जहां तक चीन में योग यूनिवर्सिटी खोलने का सवाल है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि चीन ने सिर्फ दिखाने के लिए भारत की यह यूनिवर्सिटी खोली है। असल में चीन में तो धर्म के साथ ही योग जुड़ा हुआ है। बौद्धधर्म में तो पहले से ही योग शामिल है, इसलिए चीन का मार्शल आर्ट पूरी दुनयिा में प्रसिद्ध है। मार्शल आर्ट भी योग की क्रियाओं से ही जुड़ा हुआ है। बौद्ध धर्म के लामाओं का तो पूरा जीवन ही योग पर आधारित है, जबकि भारत में योग की प्रसिद्धी पिछले 10-15 सालों में बाबा रामदेव की वजह से हुई है। यह बात अलग है कि भारतीय संस्कृति में योग तो चीन से भी पुराना है, लेकिन चीन में हर नागरिक पहले से ही योग के प्रति जागरुक है, जबकि भारत में अभी भी योग को फैशन के तौर पर ही लिया जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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