Monday 11 May 2015

खामी होने पर अब कॉलेजों पर नहीं लगेगा जुर्माना

एमडीएस यूनिवर्सिटी ने लिया महत्वपूर्ण निर्णय
एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कहा है कि यूनिवर्सिटी से समबद्ध किसी भी कॉलेज पर अब खामी होने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। यदि चेतावनी के बाद भी कोई कॉलेज प्रबंधन खामी को दूर नहीं करता है तो उसकी सम्बद्धता रद्द कर दी जाएगी।
11 मई को एक खास मुलाकात में प्रो. सोडानी ने कहा कि पहले से चली आ रही जुर्माना वसूलने की परम्परा को अब समाप्त कर दिया गया है। जुर्माने की परम्परा न केवल विद्यार्थियों के लिए हानिकारक थी बल्कि शैक्षिक गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। प्रो. सोडानी ने कहा कि विशेषज्ञो द्वारा भौतिक सत्यापन के समय निजी कॉलेज में जो खामी पाई जाएगी उसे दूर करने का एक मौका कॉलेज प्रबंधन को दिया जाएगा। यदि फिर भी कॉलेज प्रबंधन खामी को दूर नहीं करता है तो उसकी सम्बद्धता ही रद्द कर दी जाएगी। पहले ऐसी परम्परा थी कि जांच के दौरान फैकल्टी नहीं होने पर 30-40 हजार रुपए प्रति शिक्षक जुर्माना लगा दिया जाता था। जुर्माना अदा करने के बाद भी कॉलेज प्रबंधन फैकल्टी की नियुक्ति नहीं करता था। इससे उसे साल भर में कई लाख रुपए का फायदा होता था लेकिन दूसरी ओर फैकल्टी के अभाव में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान भी हो रहा था। निजी कॉलेजों को यूनिवर्सिटी के मापदंडों के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति और मूलभूत साधन रखने अनिवार्य है। यूनिवर्सिटी में अब जुर्माने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
यूनिवर्सिटी में होगी जुलाई तक भर्ती
प्रो. सोडानी ने स्वीकार किया कि यूजीसी के नियमों के अनुरुप यूनिवर्सिटी में भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं है, लेकिन उनका प्रयास है कि आगामी जुलाई से पहले सभी विभागों में योग्य एवं पात्र शिक्षकों की नियुक्ति हो जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार से शीघ्र अनुमति ली जाएगी। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के भी प्रयास होंगे।
इस बार टेण्ट में नहीं हुई परीक्षा
प्रो. सोडानी ने कहा कि यह पहला मौका रहा जब इस वर्ष यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध किसी भी सरकारी कॉलेज में टेण्ट लगाकर परीक्षा नहीं हुई। पहले के वर्षो में अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा और टोंक के गवर्नमेंट कॉलेजों में टेण्ट लगाकर परीक्षाएं संपन्न करवाई जा रही है। भीषण गर्मी में टेण्ट की कुर्सी और टेबल पर परीक्षा देना परिक्षार्थियों के लिए बेहद ही कठिन था। प्रो.सोडानी ने बताया कि इसके लिए जिला स्तर पर नए परीक्षा केन्द्र बनाए गए। इनमें निजी कॉलेजों को भी शामिल किया गया। प्रति वर्ष यूनिवर्सिटी कोई 60 लाख रुपए टेन्ट पर खर्च करती थी लेकिन इस बार साठ लाख रुपए की बचत तो हुई साथ ही नए कॉलेजों को सम्बद्धता व परीक्षा केन्द्र बनाने से एमडीएस को आय भी हुई। उन्होंने बताया कि पूर्व में परीक्षा का कार्यक्रम गैर शैक्षिक अधिकारी तैयारी करते थे, लेकिन इस बार अजमेर के गवर्नेमेंट कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ.दीपक मल्होत्रा के नेतृत्व में शैक्षिक कार्य करने वाले शिक्षकों से परीक्षा का टाइम टेबल तैयार करवाया गया था। इसका परिणाम यह रहा कि वर्तमान कॉलेजों में उपलब्ध साधनों के अन्तर्गत ही परीक्षाएं शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। एमडीएस यूनिवर्सिटी में अजमेर, नागौर, टोंक व भीलवाड़ा जिले के कॉलेज आते है। इस बार करीब 250 कॉलेजों में करीब 2 लाख 45 हजार विद्यार्थियों ने परीक्षा दी है।
कई वर्षो बाद बढ़ा पारिश्रमिक
प्रो. सोडानी ने बताया कि विगत कई वर्षो से उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन, प्रश्नपत्र निर्माण, प्रक्टिकल परीक्षा आदि का पारिश्रमिक नहीं बढ़ा था। कम पारिश्रमिक होने के कारण परीक्षक मूल्यांकन सहित अन्य कार्यो में कम रूचि रख रहा था। करीब 15 वर्ष बाद यह प्रयास किया गया और सभी कार्य की पारिश्रमिक दरे भी बढ़ाई गई है।
एक हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य
प्रो. सोडानी ने विश्वविद्यालय परिसर को हरा-भरा बनाए रखने के लिए एक हजार पेड़ प्रतिवर्ष लगाने का कार्य शुरू करने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष 5-7 फीट तक ऊंचे पेड़ लगाकर इस कार्य को पूर्ण करवाया जाएगा। इसके लिए योजना जल्द ही शुरू की जा रही है। इन पेड़ो की देखरेख की जिम्मेदारी पृथक-पृथक सौंपी जाएगी।
पीजी सांइस में लागू होगी सेमेस्टर व्यवस्था
प्रो. सोडानी ने बताया कि अगले सत्र से विश्वविद्यालय के अन्तर्गत पीजी साइंस में सेमेस्टर पद्धति को लागू किया जाएगा। यह व्यवस्था फिलहाल केवल पीजी साइंस में ही लागू की जाएगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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