Friday 29 May 2015

अजमेर के अस्पताल में क्यों आते रहे भाजपा-कांग्रेस के नेता। गणेशराम की मौत से उठा सवाल

राजस्थान के नागौर जिले के डांगावास में गत 14 मई को जो खूनी संघर्ष हुआ, उसमें 28 मई की रात को छठें व्यक्ति की भी मौत हो गई। मृतक गणेशराम मेघवाल जख्मी हालत में 14 मई से ही अस्पताल में भर्ती था। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने अस्पताल आकर पीडि़तों के हालत जाने और अच्छे इलाज का भरोसा दिलाया। कांग्रेस के नेताओं ने तो यहां तक कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी चिंतित है। इसलिए सोनिया गांधी ने बड़े नेताओं की एक टीम बनाकर अजमेर भेजी है। प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वास पात्र मंत्री और नागौर से विधायक युनूस खान दो बार मरीजों से मिले और कहा कि जरुरत पड़ेगी। तो पीडि़तों का इलाज दिल्ली के एम्स में कराया जाएगा। उन्होंने ने यह भी कहा कि एयर एम्बुलैंस से मरीजों को दिल्ली ले जाने का इंतजाम कर लिया गया है। अजेमर के मंत्री वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल जैसे भाजपा नेता तो न जाने कितनी बार मरीजों से मिलने अस्पताल चले गए। भाजपा के सभी मंत्रियों और नेताओं ने मीडिया के सामने यह दावा किया कि सभी पीडि़तों का इलाज बहुत अच्छी तरह से हो रहा है। इतना जब कुछ होने के बाद भी 28 मई की रात को गणेशराम मेघवाल की मौत हो गई। इसलिए यह सवाल उठता है कि आखिर इन नेताओं ने अजमेर आकर क्या किया? जाहिर है कि ऐसे नेता अखबारों में अपने फोटो छपवाते रहे और हकीकत में पीडि़तों के इलाज की किसी ने भी चिंता नहीं की। गणेशराम मात्र 23 वर्ष का युवक था और गत 14 मई को जब उसे अस्पताल लाया गया, तो उसकी हालत सामान्य थी, लेकिन गणेशराम पहले दिन से ही यह कह रहा था कि उसके सिर में अंदरुनी चोट लगी है, लेकिन न तो चिकित्सकों  ने और न बड़बोले नेताओं ने गणेशराम की बात को सुना। कुछ दिन पहले ही तबीयत बिगडऩे पर गणेशराम को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। असल में गणेशराम का इलाज अस्पताल में ढंग से हुआ ही नहीं। कांग्रेस और भाजपा के जो नेता मरीजों को देखने के लिए अस्पताल गए उन्हें गणेशराम की मौत पर शर्म आनी चाहिए। गणेश की मौत से सरकार को भी सबक लेना चाहिए कि आगे किसी और मरीज की मौत न हो। अभी भी ऐसे कई मरीज हंै, जिनको अच्छे इलाज की जरुरत है। बड़े बोले मंत्री युनूस खान को चाहिए कि ऐसे मरीजों को एयर एम्बुलैंस से दिल्ली के एम्स अस्पताल में ले जाए। गणेश की मौत से सरकार की पोल पूरी तरह खुल गई है।
लाश को लेकर धरना प्रदर्शन
गणेश की मौत से मेघवाल समाज में रोष है। यही वजह है कि एक बार फिर अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। समाज के लोग मांग कर रहे हैं कि सीबीआई से जांच को शुरू करवाया जाए और मृतकों के परिजन को 25-25 लाख का मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी दी जाए, जब तक ये मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक गणेश का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। मालूम हो कि तीन दिन पहले भी उपचार के दौरान जब गणपतराम की मौत हुई थी, तो इसी तरह शव को रखा गया था, तब सीबीआई से जांच कराने की मांग रखी गईथी। सरकार ने सिफारिश तो कर दी, लेकिन जांच का काम अभी तक भी शुरू नहीं हुआ।
एस.पी.मित्तल (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment