Tuesday 30 June 2015

अखबार से पहले आता है एस.पी.मित्तल का ब्लॉग। वाइस चांसलर सोढाणी ने कहा यह तकनीक का बदलाव है।


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो.के.सी.सोढाणी ने कहा कि यह इंटरनेट तकनीक का ही कमाल है कि रोजाना अखबार से पहले एस.पी.मित्तल का ब्लॉग आ जाता है। ब्लॉग में दी गई जानकारी इतनी ताजा और खोजपूर्ण होती है कि लम्बा होने के बाद भी पूरा पढऩा पड़ता है। 30 जून को सोढाणी ने अजमेर में गांधी भवन स्थित अजयमेरु प्रेस क्लब की वेबसाइट का लोकार्पण किया। लोकार्पण के बाद पत्रकारों को संबंधित करते हुए प्रो. सोढाणी ने कहा कि संचार क्रांति की वजह से सूचना तकनीक में चमत्कारिक बदलाव हुआ है।
इंटरनेट तकनीक की वजह से तत्काल सूचना प्राप्त हो जाती है। यूनिवर्सिटी ने हाल ही में पीटीईटी और बीएसटीसी की जो परीक्षाएं आयोजित करवाई, उसमें तीन-तीन लाख परीक्षार्थी शामिल हुए। चूंकि सारा काम ऑन लाइन था इसलिए यूनिर्सिटी ने बिना किसी परेशानी के परीक्षाओं को सम्पन्न करवाया। उन्होंने कहा कि अब अजयमेरु प्रेस क्लब की गतिविधियां भी ऑनलाइन ही देखने को मिलेंगी। ऑन लाइन तकनीक का कितना महत्त्व है, इसका अंदाजा हम पत्रकार एस.पी.मित्तल के ब्लॉग से लगा सकते हैं। इस नई तकनीक के माध्यम से ही मित्तल अपने विचारों को हाथोंहाथ रोजाना हजारों लोगों तक पहुंचा देते हैं। समारोह में प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने कहा कि क्लब की वेबसाइट पर अब सभी गतिविधियां उपलब्ध होंगी। डॉ. अग्रवाल ने क्लब की गतिविधियों पर प्रभाव डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रताप सनकत ने किया, जबकि अंत में क्लब के उपाध्यक्ष एस.पी.मित्तल ने सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में शहरभर के पत्रकारों के अलावा नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया, भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष अरविंद यादव, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता, जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी, पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन आदि गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
(एस.पी. मित्तल)  M-09829071511

पीएम मोदी जी सैल्फी विद डॉटर से जरूरी है टीवी की अश्लीलता को रोकना


(spmittal.blogspot.in)

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 28 जून को रेडियो पर अपने मन की बात कही, इसमें पीएम ने बेटी बचाओ अभ्यिान में 'सैल्फी विद डॉटरÓ का सुझाव दिया। यानि पिता अपनी बेटी के साथ मोबाइल पर खुद फोटो खींचे और फिर शेयर करें। चूंकि यह बात मोदी ने कही, इसलिए हाथों हाथा सोशल मीडिया पर सैल्फी विद डॉटर की बाढ़ आ गई। यह अच्छी बात है कि पीएम ने बेटियों को एक और सम्मान दिलवाया है। लेकिन अच्छा हो कि पीएम मोदी टीवी चैनलों पर परोसी जा रही अश्लीलता को रोकने का भी कोई अभियान चलाएं। प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में टीवी चैनलों में अश्लीलता परोसने की होड़ मची हुई है, जिस तरह से भारतीय लड़कियों को चैनलों पर दिखाया जा रहा है, उससे भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीवन व्यतीत करने वाले हर व्यक्ति को शर्म आ रही है। मुझे नहीं पता कि पीएम मोदी और देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली मनोरंजन वाले टीवी चैनलों को देखते हैं या नहीं। जब हम बेटी बचाओ अभियान में सैल्फी विद डॉटर की सोच रखते हैं तो फिर चैनलों पर अद्र्धनग्न ही नहीं बल्कि नग्न स्थिति में देश की बेटियों को क्यों परोसा जाता है? कभी धारावाहिक के नाम पर तो कभी प्रतिभा और कभी डांस के नाम पर लड़कियों के हर अंग को अश्लीलता के साथ परोसा जाता है। यह माना कि विदेशों में लड़कियों को नग्न प्रस्तुति देने में कोई झिझक नहीं होती है, लेकिन हमारा देश तो सीता माता और भक्त शिरोमणि मीरा बाई का देश है। शर्मनाक बात तो यह है कि बड़े-बड़े टीवी स्टार ऐसे कार्यक्रमों में आकर रोमांस पर प्रवचन देते हैं। पहले तो फिल्मों में जाने वाली लड़कियों से यही उम्मीद की जाती थी कि वे अश्लीलता प्रकट करेंगी ही। लेकिन अब तो टीवी के जरिए घर-घर में अश्लीलता दिखाई जा रही है, जिस प्रकार धारावाहिकों में महिलाओं की छवि दिखाई जा रही है, उससे तो भारतीय संस्कृति का भट्टा ही बैठ गया।
पीएम मोदी भारतीय संस्कृति की दुहाई देकर कभी योग करवाते हैं तो कभी सैल्फी विद डॉटर का नारा देते हैं, लेकिन टीवी की अश्लीलता को रोकने के लिए कोई प्रयास आज तक भी नहीं किए हैं। जवान होती लड़कियों में आज हम जो अनेक बुराइयों देख रहे हैं,उसका सबसे बड़ा कारण मनोरंजन टीवी चैनल है, जब भी धारावाहिक में किसी महिला को षडय़ंत्र करते हुए दिखाया जाता है तो यह सवाल उठना लाजमी है कि हम महिला की छवि को किस रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। आज जिस तरह लड़कियां स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी आदि में आचार व्यवहार कर रही हंै, वह भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं माना जा सकता।  लड़कियों को आजादी मिले और वे पुरुषों के बराबर अपनी योग्यता दिखाएं, इसमें किसी को भी कोई एतराज नहीं होगा, लेकिन जब लड़कियां टीवी संस्कृति के अनुरूप अपना जीवन यापन करेंगी तो समाज में अनेक बुराइयां आएंगी। ऐसा नहीं कि घर परिवार में बेटियों का सम्मान कम होता है, बदले हुए माहौल में ऐसे अनेक परिवार मिल जाएंगे, जिनमें बेटे से ज्यादा बेटी को सम्मान दिया जाता है। पिता एक बार बेटे की बात नहीं मानेगा, लेकिन बेटी की हर बात मानने को तैयार रहता है। जो लोग पीएम मोदी के आह्वान पर सोशल मीडिया या सैल्फी विद डॉटर पोस्ट कर रहे हैं, उनके घरों में ही बेटियों को सम्मान मिला हुआ है। बेटियों को सम्मान दिलाने की वहां आवश्यकता है, जहां धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से बेटियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)  M-09829071511

क्या राजनीति के दबंग दबा रहे हैं जिला प्रमुख नोगिया को


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर की जिला प्रमुख कुमारी वंदना नोगिया की उम्र मात्र 23 वर्ष है और अभी भी कुमारी नोगिया एमडीएस यूनिवर्सिटी में स्नातकोत्तर की छात्रा हैं। भाजपा ने राजनीति के पुराने और दबंग नेताओं को परे ढकेलते हुए कोई चार माह पहले नोगिया को अजमेर की जिला प्रमुख बनाया। अनुसूचित जाति की नोगिया से उम्मीद थी कि वह राजनीति में कुछ नया करेंगी। लेकिन राजनीति के दबंगों को नोगिया का जिला प्रमुख बनना रास नहीं आया। यही वजह है कि जिस दिन से नोगिया ने जिला प्रमुख की शपथ ली है, उस दिन से आज तक नोगिया का राजनीतिक दृष्टि से अपमान ही अपमान हो रहा है।
इसकी शुरुआत अजमेर की जिला कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक ने की। मलिक ने अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे ही नोगिया को जिला प्रमुख के पद की शपथ दिलाई।  यानि नोगिया ने तो खड़े होकर शपथ ली और कलेक्टर ने बैठे बैठे ही शपथ दिलाई। पहले के सभी जिला प्रमुख सरकारी वाहन में लालबत्ती लगाकर घूमते रहे। एकाध जिला प्रमुख के तो रिश्तेदार ही लालबत्ती के वाहन को लेकर अपना रौब गालिब करते रहे। तब किसी ने भी नहीं कहा कि जिला प्रमुख को लालबत्ती लगाने का अधिकार नहीं है। वंदना नोगिया ने जब पहले के जिला प्रमुखों की परंपराओं को निर्वाह करते हुए लालबत्ती वाले वाहन का उपयोग किया तो राजनीति के दबंगों को रास नहीं आया। एसीओ जगदीशचन्द हेड़ा पर दबाव डालकर नोगिया के वाहन से न केवल लालबत्ती को उतरवाया, बल्कि अखबारों में छपवाया कि जिला प्रमुख अवैध रूप से लालबत्ती लगाकर घूमती रही। कोई कल्पना कर सकता है कि 23 साल की वंदना नोगिया को कितना अपमानित होना पड़ा होगा। लेकिन इसे नोगिया की हिम्मत ही कहा जाएगा कि दबंगों की परवाह नहीं करते हुए जिला परिषद में सुधार का काम शुरू किया। बरसों से जो कार्मिक जमा थे, उन्हें नियमों के अनुरूप अपने मूल पदों पर भेज दिया।
वंदना का यह कदम तो दबंगों को खुली चुनौती देने जैसा था। राजनीति के मजबूत खिलाड़ी जो दबंगों की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकते थे, उनसे वंदना ने आंख मिलाने की कोशिश की। इस कोशिश का नतीजा यह रहा कि वंदना के जिला प्रमुख के कार्यालय में जो कर्मचारी लगे हुए थे, उनके ही तबादले करवा दिए गए। इस पर भी वंदना ने हार नहीं मानी और विगत दिनों ही 20 ग्रामसेवकों के स्थानांतरण कर दिए। वंदना की इस कार्यवाही से दबंगों की जमीन हिल गई। दबंगों ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकार से स्थानांतरण सूची ही रद्द करवा दी।
हालांकि 20 ग्राम सेवकों की तबादला सूची जिला परिषद के सीईओ राजेश चौहान ने ही जारी की थी, तब चौहान ने यह नहीं कहा कि तबादले नियमों के विरुद्ध हो रहे हैं, लेकिन सरकार ने तबादलों को नियमों के विरुद्ध मानतें हुए निरस्त कर दिए। यानि वंदना नोगिया जो भी काम करती हैं वह राजनीति के दबंगों को रास नहीं आता है। इससे ज्यादा और क्या मजाक होगा कि वंदना नोगिया के पास सरकारी स्तर पर निजी सहायक तक नहीं है। नोगिया को मजबूरी में सीईओ के पीए से ही काम चलाना पड़ रहा है। यह हालात तब हैं जब प्रदेश में नोगिया की ही पार्टी भाजपा की सरकार है और सरकार की मुखिया भी वंदना की तरह महिला ही हैं। देखना है कि नोगिया आगे भी अपने विवेक से ही काम करती रहेंगी या फिर दबंगों के इशारों पर चलेगी।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

Monday 29 June 2015

तो क्या कांग्रेस वसुंधरा के पारिवारिक विवादों को भी उछालेगी।


(spmittal.blogspot.in)

धौलपुर के महल को बताया सरकारी।
29 जून को दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक धमाकेदार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राजस्थान के धौलपुर के महल को सरकारी जायदाद बताते हुए रमेश ने कहा कि वसुंधरा धारावाहिक के कई कांड हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में कांग्रेस उजागर करेगी। इस धमकी से लगता है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के पारिवारिक विवादों को भी कांग्रेस उछालेगी। इन विवादों में वसुंधरा राजे और उनके पति हेमंत सिंह को लेकर दिल्ली कोर्ट में चला नितांत पारिवारिक विवाद भी शामिल हो सकता है। इस विवाद में हेमंत सिंह के पक्ष को सामने कर कांग्रेस ने राजनीतिक हमला किया तो वसुंधरा राजे के लिए नैतिक दृष्टि से बचाव करना मुश्किल होगा। हालांकि दिल्ली कोर्ट का फैसला मेरे पास भी है, लेकिन वसुंधरा और हेमंत सिंह के नितांत व्यक्तिगत मामले होने के कारण लिखना उचित नहीं समझता हंू। ऐसे आरोप-प्रत्यारोप तो अब घर-घर की कहानी बन गए हैं और इसमें कांग्रेस के नेता भाजपा से आगे ही पाए जाएंगे। शायद इस सच्चाई को ध्यान में रखते हुए जयराम रमेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट उपस्थित नहीं रहे। पायलट भी अपने पारिवारिक विवादों से जूझ रहे हैं। वैसे अच्छा हो कि राजनीति की जंग नेताओं के व्यक्तिगत जीवन तक न पहुंचे। यह बात अलग है कि 29 जून को कांग्रेस ने तो पहल कर ही दी है। जयराम रमेश ने दमदार तरीके से बात रखते हुए कहा कि वसुंधरा राजे आज धौलपुर के जिस महल को अपना और अपने बेटे दुष्यंत सिंह का बता रही हैं, असल में वह महल सरकार की सम्पत्ति है। इसका सबसे बड़ा सबूत दुष्यंत सिंह के पिता हेमंत सिंह का 1980 में कोर्ट में दिया बयान है। हेमंत सिंह ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर स्वीकार किया कि धौलपुर का महल उनकी निजी सम्पत्ति नहीं है। रमेश ने जमाबंदी और सरकारी रिकॉर्ड दिखाते हुए कहा कि 1954 से लेकर 2010 तक महल को सरकारी ही माना गया, लेकिन भारतीय कानून की धज्जियां उड़ाने वाले भगोड़े और वसुंधरा परिवार के दोस्त ललित मोदी की कंपनी आनंदा हेरिटेज की मदद से सरकारी महल पर दुष्यंत सिंह की कंपनी नियांत हेरिटेज ने कब्जा कर लिया है। ललित और दुष्यंत की कंपनियों के बीच करोड़ों का लेनदेन हुआ है। असल में यह लेनदेन वसुंधरा और मोदी के बीच है। इस सरकारी महल पर इसलिए कब्जा हो सका कि राजस्थान की सीएम की कुर्सी का वसुंधरा ने बार दुरुपयोग किया।
दुष्यंत हैं धौलपुर के राजा-भाजपा
29 जून को दोपहर को दिल्ली में कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो शाम होते-होते जयपुर में भाजपा की ओर से भी जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि दुष्यंत सिंह ही अब धौलपुर घराने के राजा हैं। कांग्रेस के जयराम रमेश ने जो जमाबंदियां दिखाई है, उसके बाद तो धौलपुर और भरतपुर के विभिन्न न्यायालयों ने दुष्यंत को ही राजघराने का उतराधिकारी माना है। यहां तक कि जो पारिवारिक सेटलमेंट हुआ है, उस पर दुष्यंत के पिता राणा हेमंत सिंह के हस्ताक्षर भी है। परनामी ने पढ़कर बताया कि दुष्यंत सिंह को कौन-कौन सी सम्पत्तियां मिली हैं। इतना ही नहीं जब नेशनल हाइवे के लिए धौलपुर में भूमि का अधिग्रहण किया, तब 2010 में एनएचएआई ने भी दुष्यंत सिंह को ही एक करोड़ 97 लाख रुपए का मुआवजा दिया। 2010 में तो केन्द्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने तब मालिकाना हक का मुद्दा क्यों नहीं उठाया। परनामी और राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस वसुंधरा राजे की छवि खराब कर रही है। सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे धौलपुर घराने की महारानी हैं। धौलपुर घराने की सम्पत्ति पर राजे और दुष्यंत का ही मालिकाना हक है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार तो राठौड़ की एक पत्रकार से जोरदार झड़प भी हो गई। असल में जब इस पत्रकार ने दुष्यंत के पिता हेमंत सिंह के कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र के बारे में पूछा तो राठौड़ ने कहा कि जरूरी नहीं, सब सवालों का जवाब दें। हालांकि विवाद के बीच ही राठौड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन मामले को संभालते हुए परनामी ने कहा कि मैं सब सवालों का जवाब दूंगा। परनामी ने कहा कि शपथ पत्र के बाद तो हेमंत सिंह और दुष्यंत के बीच सेटलमेंट हो गया, इसलिए कोर्ट का शपथ पत्र कोई मायने नहीं रखता।
धौलपुर घराने की रानी है वसुंधरा
वसुंधरा राजे ग्वालियर घराने की तो राजकुमारी और धौलपुर घराने की रानी हैं। वसुंधरा का विवाह राजस्थान के धौलपुर घराने के हेमंत सिंह के साथ हुआ था। हालांकि बाद में विवाद भी हो गया, जिसको दिल्ली की कोर्ट तक में मुकदमा चला। ऐसे विवादों के चलते ही हेमंत सिंह ने कोर्ट में कह दिया कि धौलपुर का महल सरकारी है। लेकिन बालिग होने पर दुष्यंत को महल का एक मात्र वैधानिक वारिस मानते हुए वसुंधरा का कब्जा हो गया। कांग्रेस जो दस्तावेज दिखा रही है, वे सब दुष्यंत के बालिग होने से पहले के हैं। दुष्यंत की कंपनी नियांत हेरिटेज कोई होटलों का कारोबार नहीं करती है। कंपनी के पास धौलपुर का महल ही है, जिसे होटल का रूप दिया गया है।
आखिर कहां हैं दुष्यंत
जिस दुष्यंत सिंह को लेकर देश की राजनीति में खलबली मची हुई है। वे दुष्यंत अभी तक भी मीडिया के सामने नहीं आए हैं। पहले कहा गया था कि वे विदेश दौरे पर हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि देश में कब लौटेंगे। अब तो एक माह से ज्यादा का समय हो गया है। असल में वसुंधरा को पता है कि दुष्यंत सिंह कांग्रेस के आरोपों का जवाब मीडिया के सामने नहीं दे सकेंगे। इसलिए दुष्यंत को अभी विदेशी में ही टिकाए रखा गया है और इधर जयपुर में अशोक परनामी और राजेन्द्र सिंह राठौड़ से काम चलाया जा रहा है।
पुष्कर कांड पर क्यों चुप है कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि वसुंधरा धारावाहिक के कई कांड हैं, जिन्हें एक-एक कर उजागर किया जाएगा। कांग्रेस यदि वाकई ईमानदारी से वसुंधरा पर हमले कर रही है तो उसे अजमेर जिले के पुष्कर के मामले को भी उजागर करना चाहिए। ग्वालियर घराने की एक सम्पत्ति पुष्कर सरोवर के किनारे ग्वालियर घाट भी है। इस सम्पत्ति के कुछ हिस्से में पुराने किरायेदार रह रहे हैं। वसुंधरा राजे जब वर्ष 2003 में पहली बार सीएम बनी तो कब्जेवाली भूमि का अधिग्रहण करवा दिया, ताकि ग्वालियर ट्रस्ट को भूमि का मुआवजा मिल सके। इस बार के सीएम के दौर में वसुंधरा का प्रयास है कि सवा करोड़ रुपए की राशि का भुगतान राज्य सरकार से करवा दिया जाए। कब्जेवाली भूमि का बेवजह अधिग्रहण वसुंधरा ही करवा सकती हैं। लेकिन वसुंधरा के खिलाफ कांग्रेस इस मामले को नहीं उठाएगी, क्योंकि ग्वालियर घाट के टस्ट के मुखिया कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। यदि पुष्कर कांड को वसुंधरा धारावाहिक में शामिमल किया जाता है तो कांग्रेस खुद फंसेगी। वसुंधरा का पुष्कर कांड मैंने गत 19 जून को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। आज भी यह पोस्ट मेरे ब्लॉग (spmittal.blogspot.in) पर प्रदर्शित है।

(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

Sunday 28 June 2015

आखिर क्या होता है राजगढ़ के मसाणिया भैंरूधाम पर!


(spmittal.blogspot.in)

बोतल-दर-बोतल शराब पीकर लोगों से छुड़वाते है दारू
राजस्थान के अजमेर शहर के निकट राजगढ़ गांव है। और इस गांव में है मसाणिया भैंरोधाम के उपासक हैं चम्पालाल जी महाराज। हर रविवार को देशभर से पीडि़त और परेशान लोग भैंरोधाम आते हैं। 28 जून 2015 के रविवार को भैंरोधाम की गतिविधियों को देखने का अवसर मुझे भी मिला। उपासक चम्पालाल जी महाराज अपनी निर्धारित चौकी (चमत्कारित चौकी) पर बैठे हैं और हजारों लोग दर्शन के इंतजार में हैं। महाराज सुबह पांच बजे ही चौकी पर बैठ जाते है। चौकी पर बैठते ही महाराज देशी-विदेशी शराब पीना शुरू कर देते हैं। चौकी और शराब के मेल से लोगों को चमत्कार नजर आने लगता है। चमत्कार भी ऐसा, जिसे आप नाटक और ढोंग नहीं कह सकते। विज्ञान जिस भूत-प्रेत की थ्यौरी को नहीं मानता, उसी थ्यौरी के मरीज भैंरोधाम में देखने को मिलते है। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। लम्बी कतार में खड़ी महिला जैसे ही महाराज के निकट आती है, वैसे ही जोर से चिल्लाने, जमीन पर गिरने, हाथ-पैर पटकने का काम शुरू हो जाता है। कमजोर दिल के लोग तो ऐसे दृश्य को देखकर घबरा ही जाएं। एक नहीं बल्कि तीन-तीन, चार-चार महिलाएं एक साथ ऐसा व्यवहार करने लगती है। इस डरावने और पीड़ादायक माहौल का चौकी पर बैठे महाराज पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन महाराज हर महिला की हरकतों पर नजर रखे हुए हैं। एक महिला की पीड़ा को तो महाराज ने सही माना और कष्टमुक्त करने के लिए गेहूं के दाने और भभूती दी। एक महिला के परिजनों से कहा कि यह नाटक कर रही है। इसे न तो कोई बीमारी और न भूत-प्रेत का साया है। एक महिला के लिए कहा कि इसे वहम हो गया है। घर-परिवार का माहौल ठीक रखें, अपने-आप सामान्य हो जाएगी। इस तरह भूत-प्रेत वाली सैकड़ों महिलाओं को सामान्य किया।
एक अधेड़ को देखते ही महाराज ने पुरुष से कहा कि तू सुधरा नहीं तो यह (पत्नी) फांसी लगा लेगी। यह बात ऐसे कही जैसे अधेड़ जोड़े की कहानी महाराज जानते हैं। इसके साथ ही महिला ने कहा भी कि महाराज मैं इतनी दु:खी हूं कि अपनी जान देना चाहती हूं। बोतल-दर-बोतल शराब पीने के बाद भी महाराज ने एक मनोचिकित्सक की तरह पति-पत्नी को समझाया और गेहूं के दाने-भभूत देकर रवाना किया। बीमार तो लाइन बनाकर आते ही रहे। महाराज ने सभी को स्वस्थ करने का भरोसा दिलाया। इस बीच एक युवा अपनी मां के साथ आया। मां को रोता देख महाराज ने कहा कि आपका बेटा बिना फेरों के विवाह करना चाहता है। लड़का भी तत्काल माना कि वह प्रेम विवाह कर रहा है। इस महाराज ने लड़की की जाति बताते हुए कहा कि शादी चलेगी नहीं। लड़के के हाथ में गेहूं के दाने और भभूत देते मां को भरोसा दिलाया कि अब वह उस लड़की को भूल जाएगा।
चमत्कार तो अपनी जगह हैं, लेकिन मसाणिया भैंरोधाम शराब की सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए एक बड़ा और प्रभावी अभियान चला रहा है। हर रविवार को जब हजारों लोग आते तो किसी भी प्रकार का नशा नहीं करने का संकल्प करवाया जाता है। 28 जून को भी हजारों लोगों के हाथ खड़े करवा कर नशा नहीं करने की सौगंध दिलवाई गई। महाराज ने चेताया कि वो ही लोग संकल्प ले जो निभा सकते है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि भैंरोधाम पर तो सौगंध खा ली और अपने शहर जाकर नशा कर लिया। ऐसा करने वालों को कष्ट उठाना पड़ेगा, क्योंकि भैंरोधाम को सब पता रहता है कि सौंगध खाने के बाद कौन शराब पी रहा है। महाराज के सामने ऐसे लोग भी आए जो सौंगध के बाद भी शराब पी रहे थे। ऐसे लोगों ने बताया कि सौंगध तोडऩे का कितना खामियाजा उठाना पड़ रहा है। महाराज ने भी कहा कि भैंरोधाम की सौंगध तोडऩे के बाद किसी भी स्थान पर राहत नहीं मिल सकती है।  साणे-भोपे, बाबा आदि सिर्फ बेवकूफ बनाकर रुपए ऐंठते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग शराब नहीं छोड़ सकते है उन्हें सौंगंध भी नहीं लेनी चाहिए। जो लोग जिस प्रकार का नशा करते हैं वहीं वस्तु महाराज के सामने पटकी जाती है। जैसे कोई व्यक्ति तम्बाकू वाला गुटखा खाता है तो वह गुटखे का पाउच रखता है। कोई देशी शराब पीता है तो वह ठेके की बोतल तथा अंग्रेजी पीने वाला अंग्रेजी की बोतल रखता है। चमत्कार की बात यह है कि प्राप्त बोतलों की शराब का सेवन कर ही महाराज नशा मुक्ति का संकल्प करवाते है।
चमत्कारों के बीच ही महाराज प्रवचन भी देते है। उनका कहना है कि मैं शराब इसलिए पीता हूं ताकि दूसरे लोग छोड़ सके। शराब ऐसी बुराई है जिससे घर बर्बाद हो जाते है। जिन घरों में शराब नहीं पी जाती वह स्वर्ग के समान है। लोगों को तम्बाकू युक्त गुटखे से भी बचना चाहिए। महाराज ने कहा कि मैं जो कुछ भी प्रदर्शित करता हूं वह सार्वजनिक होता है। मैं कोई काम बंद कमरे में नहीं करता। संपूर्ण मसाणिया भैंरोधाम में कोई चढ़ावा नहीं लिया जाता और न ही कोई दानपात्र लगा हुआ है। जो लोग श्रद्धा के साथ मेरे धाम पर आते है उनकी मनोकामना पूरी होती है। भैरोधाम पर ही एक मनोकामना स्तम्भ भी लगा हुआ है। इस स्तम्भ की प्ररिक्रमा के दौरान जो कामना होती है वह पूरी हो जाती है। इस धार्मिक स्थान का नाम मसाणिया भैंरू धाम इसलिए पड़ा क्योंकि उपासक चम्पालाल महाराज को जो चमत्कारिक सिद्धी प्राप्त हुई उसे एक श्मशान से ही प्राप्त किया गया था। चिकित्सा विज्ञान के विद्धानों के लिए यह चमत्कार ही है कि जो व्यक्ति लगातार शराब का सेवन करता है उसे नशा नहीं होता। महाराज जब निर्धारित चौकी से खड़े होते है तो सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करते है। आखिर यह सवाल तो उठता ही है कि महाराज ने जो शराब पी उसका नशा कहां चला गया।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511