Friday 12 June 2015

क्या राजस्थान शिक्षा बोर्ड में पोपाबाई का राज है?

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में सवाई माधोपुर स्थित गंगापुरसिटी के क्रिएटिव पब्लिक स्कूल के 17 विद्यार्थियों के मेरिट में आने के बाद अब कहा गया है कि मेरिट होल्डर सभी 102 विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करवाई जाएगी। बोर्ड को अंदेशा है कि परीक्षा केन्द्र पर सामूहिक नकल की वजह से ही एक ही स्कूल के 17 विद्यार्थी मेरिट में आ गए। सवाल यह है कि आखिर शिक्षा बोर्ड में परीक्षा काम किस प्रकार से हो रहा है? बोर्ड यह तो दावा करता है कि वह दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा का आयोजन करता है, लेकिन जब कभी दायित्व की बात आती है तो बोर्ड प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ लेता है। सामूहिक नकल के मामले में भी बोर्ड के अध्यक्ष बी.एल.चौधरी का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से ही परीक्षा का आयोजन किया जाता है। यहां तक कि परीक्षा केन्द्र का प्रस्ताव भी संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से प्राप्त होता है। एक ओर परीक्षा की व्यवस्थाओं के लिए बोर्ड शिक्षा विभाग पर निर्भर है, तो दूसरी ओर परीक्षा आवेदन की प्रक्रिया से लेकर परिणाम की घोषणा का कार्य बोर्ड ने ठेके पर दे रखा है। सवाल उठता है तो फिर बोर्ड परीक्षा कराने का दावा क्यों करता है। यदि मेरिट होल्डर की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच हो रही है तो फिर सभी विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाआं की भी जांच होनी चाहिए। एक साथ 17 विद्यार्थियों के मेरिट में आने से शिक्षा बोर्ड की सम्पूर्ण व्यवस्था की पोल खुल गई है। एक ओर परीक्षा केन्द्र पर नकल रोकने में बोर्ड विफल रहा, तो दूसरी ओर परिणाम की जानकारी करने में भी बोर्ड का निकम्मापन सामने आया है। यदि बोर्ड की परिणाम को तैयार करने में थोड़ी सी भी भूमिका होती तो घोषणा से पहले ही इस बात की जांच हो जानी चाहिए थी कि एक ही स्कूल के 17 विद्यार्थी मेरिट में कैसे आ गए। असल में बोर्ड के अधिकारी तो पूरी तरह कम्प्यूटर फर्म पर ही निर्भर रहते हैं। ठेकेदार जो परिणाम बनाकर देता है, उसकी घोषणा बोर्ड के द्वारा की जाती है, एक तरह से शिक्षा बोर्ड में पोपाबाई का राज चल रहा है। जिसमें सभी कर्मचारी और अधिकारी मजे कर रहे हैं। बोर्ड की यह हालत राज्य सरकार के लिए भी शर्मनाक है। चूंकि शिक्षा बोर्ड राज्य सरकार की नीतियों के अनुरूप ही चलता है। इसलिए सरकार भी अपनी जिम्मेमदारी से बच नहीं सकती है और इस बार तो स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने बोर्ड परिणामों को लेकर व्यक्तिगत रुचि भी दिखाई है।
एकता अग्रवाल का चौंकाने वाला बयान
गंगापुर सिटी के क्रिएटिव पब्लिक स्कूल की छात्रा और बोर्ड की मेरिट में प्रथम स्थान हासिल करने वाली एकता अग्रवाल ने 12 जून को जी न्यूज के राजस्थान चैनल को एक इंटरव्यू दिया है और इस बात को स्वीकार किया है कि छात्र दीपक मीणा की वजह से पूरे स्कूल पर कलंक लग गया है। दीपक मीणा ने भी मेरिट में तीसरा स्थान हासिल किया है और दीपक मीणा सवाई माधोपुर जिले के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी देवीलाल मीणा के पुत्र हैं। एकता ने बताया कि भगवती गल्र्स स्कूल के जिस परीक्षा केन्द्र पर उसने परीक्षा दी, उसी परीक्षा कक्ष में दीपक मीणा ने भी परीक्षा दी थी। दीपक की वजह से अन्य परीक्षार्थियों को परेशानी हो रही थी। क्योंकि स्कूल के प्रिंसिपल, शिक्षक यदि बारबार दीपक के पास आकर बात कर रहे थे। एकता ने यह तो नहीं कहा कि दीपक मीणा को शिक्षकों ने नकल करवाई, लेकिन प्रिंसिपल और शिक्षकों आदि बार-बार आने से गड़बड़ी का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस परीक्षा केन्द्र पर सामूहिक नकल हुई है, इसकी आशंका इसलिए भी है कि केन्द्र पर फरेबी लाल मीणा की नियुक्ति केन्द्र अधीक्षक के तौर पर की गई थी।
भगवती स्कूूल प्राइवेट स्कूल है। अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी देवी लाल मीणा ने दखल देते हुए फरेबीलाल मीणा की नियुक्ति उस केन्द्र पर करवाई, जहंा उनका बेटा दीपक मीणा परीक्षा दे रहा था। कायदे से इस स्कूल के परीक्षा केन्द्र पर सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए थे,लेकिन केन्द्र अधीक्षक फरेबीलाल मीणा ने यहां सिर्फ वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई है। यह बात भी गंभीर है कि भगवती स्कूल पर सिर्फ क्रिएटिव पब्लिक स्कूल में दसवीं के ही विद्यार्थियों का परीक्षा केन्द्र बनवाया गया। दसवीं की परीक्षा किसी अन्य स्कूल के विद्यार्थी ने यहां पर नहीं दी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment