Thursday 18 June 2015

सुषमा की तरह वसुंधरा के साथ क्यों नहीं खड़ी है भाजपा।

राजस्थान में वसुंधरा के बाद कौन
क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी के प्रकरण के बाद जिस तरह विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के बचाव के लिए पूरी भाजपा और केन्द्र सरकार खड़ी हो गई,उस प्रकार से राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के लिए अभी तक कोई सामने नहीं आया है। सवाल उठता है कि आखिर सुषमा की तरह वसुंधरा का बचाव क्यों नहीं हो रहा? जहां तक भस्मासुर ललित मोदी की मदद करने का सवाल है तो सुषमा और वसुंधरा ने बराबर ही की है। रुपयों का लेनदेन तो सुषमा की बेटी और वसुंधरा के सांसद बेटे के साथ भी हुआ है, जब सुषमा और वसुंधरा का अपराध एक जैसा है तो फिर भाजपा सिर्फ सुषमा का ही क्यों बचाव कर रही है? क्या भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व राजस्थान से वसुंधरा की छुट्टी करना चाहता है। सब जानते हैं कि मौके बेमौके वसुंधरा ने राष्ट्रीय नेतृत्व से अपनी सभी शर्तों को मनवाया है। हमेशा इस बात का इम्प्रेशन दिया कि राजस्थान में वही होगा जो वसुंधरा राजे चाहेंगी। कांग्रेस के शासन में विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनने के लिए राजे ने विधायकों की दिल्ली में परेड करवाई। फलस्वरूप न चाहते हुए भी राजे को प्रतिपक्ष का नेता बनाना पड़ा। इसके बाद गत विधानसभा के चुनाव  से पहले वसुंधरा की जिद की वजह से ही प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष भी घोषित किया गया। अध्यक्ष बनने के बाद राजे ने अपनी मर्जी से भाजपा के उम्मीदवार तय किए। सीएम की कुर्सी पर दोबारा बैठने के बाद राजे ने लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार अपने नजरिए से ही बनाए।
लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने के बाद भी राजे का भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व से तालमेल नहीं बैठा। भाजपा को नियंत्रित करने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी वसुंधरा राजे के संबंध ज्यादा मधुर नहीं रहे। इसके विपरित सुषमा स्वराज को जहां संघ का संरक्षण मिला हुआ है, वहीं विदेशमंत्री होने के बाद भी सुषमा ने मंत्रालय में अपना महत्त्व कम ही माना। सुषमा के मंत्रालय में पूरी तरह पीएम नरेन्द्र मोदी की चली। पीएम मोदी अपनी विदेश यात्राओं में सुषमा को नहीं ले गए। इसके बाद भी सुषमा ने विदेश मंत्री होने के नाते कभी भी नाराजगी प्रकट नहीं की। सुषमा ने अपना जो व्यवहार दिखाया, उसकी वजह से ही मोदी भी प्रभावित हुए। यही कारण रहा कि जब भस्मासुर ललित मोदी की मदद करने की पहली खबर उजागर हुई तो मोदी के सबसे भरोसेमंद गृहमंत्री राजनाथ सिंह और वित्तमंत्री अरुण जेटली मीडिया के सामने आए और सुषमा को पाक साफ बताया। इतना ही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी कैमरे के सामने आकर कहा कि सुषमा ने कोई अपराध नहीं किया, लेकिन वहीं वसुंधरा के बचाव में न भाजपा आई न सरकार। शायद अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाले सत्ता और संगठन मिलकर वसुंधरा राजे को राजनीतिक सबक सिखाना चाहते हैं।
तो वसु के बाद कौन
यदि वसु की छुट्टी की जाती है तो अहम सवाल उठता है कि आखिर राजस्थान में कौन सीएम बनेगा। यूं तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर से लेकर वसु के खास मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ तक की लार सीएम पद के लिए टपक रही है। माथुर ने तो अपने समर्थकों से गत विधानसभा के चुनाव के समय अपना नाम भी चलवाया था। लेकिन वसु के जादू के आगे माथुर की एक नहीं चली। वसु के रहते राठौड़ की हिम्मत सीएम की लाइन में लगने की नहीं हो सकती,लेकिन यदि वसु के स्थान पर किसी अन्य की तलाश की जाएगी तो राठौड़ लाइन में सबसे पहले खड़े होंगे। राठौड़ तो यह भी चाहते हैं कि वसुंधरा राजे ही उनके नाम का प्रस्ताव करे। राठौड़ यह जानते हैं कि 163 भाजपा विधायकों में आज भी वसु का ही डंका बजता है। यह बात अलग है कि राठौड़ को सीएम बनाकर केन्द्रीय नेतृत्व राजस्थान में वसु की दखल अंंदाजी स्वीकार नहीं करेगा। जहां तक गुलाबचंद कटारिया का सवाल है तो उनके अस्वस्थ होने के कारण ही सबसे बड़ा रोड़ा है। संघ के सूत्रों की माने तो जिस प्रकार महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडनवीस के रूप में नया चेहरा लाया गया है उसी प्रकार राजस्थान में भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए यह भी जरूरी नहीं कि कोई विधायक ही सीएम बने। कोई माने या नहीं, लेकिन यह सही है कि संघ ने वसु के बाद वाला नाम तय कर रखा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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