Sunday 14 June 2015

मंत्री-कलेक्टर तो जनता के नौकर हैं। अभिनव राजस्थान में हो रही समझाईश

14 जून को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर अभिनव राजस्थान की ओर से जागरुकता वाला एक कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह समझाने की कोशिश की कि मंत्री-कलेक्टर तो जनता के नौकर हैं, लेकिन लोकतंत्र में राजतंत्र की घुसपैठ ने जनता को नौकर और मंत्री-कलेक्टर को राजा-महाराजा बना दिया है। जनता मालिक है, इसका प्रशिक्षण 1947 के बाद से दिया जाना चाहिए था, लेकिन वोट के माध्यम से सत्ता हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने ऐसा नहीं होने दिया। बल्कि कुछ नेता तो राजनीति में आकर भगवान बन गए। कार्यक्रम में बार-बार कहा गया कि यह कैसा लोकतंत्र है, जिसमें जनता की इतनी दुर्गति हो रही है। नौकरों को सबक सिखाने के लिए अभिनव राजस्थान की शुरूआत की गई है। इसमें सूचना के अधिकार के कानून के अन्तर्गत नौकर बन बैठे राजा-महाराजाओं को सबक सिखाया जाएगा। कार्यक्रम में सवाल था कि मंत्री के आगमन पर पुलिस क्यों तैनात होती है? कलेक्टर के कमरे के बार ग्रामीण मिलने का इंतजार क्यों करता है? थाने पर बैठा पुलिस वाला क्यों पीडि़त की सुनवाई नहीं करता? आरटीआई कानून ने आम नागरिक को ताकतवर बना दिया है, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है। राजनेताओं और अफसरों ने ऐसा जाल बुन लिया, जिससे आरटीआई कार्यकर्ता को ब्लैकमेलर कहा जाने लगा है। क्या मंत्रियों और अधिकारियों को कोई आरटीआई कार्यकर्ता ब्लैकमेल कर सकता है? अभिनव राजस्थान का मकसद आरटीआई कार्यकर्ता को सम्मान दिलवाना भी है। वो ही मंत्री और अफसर ब्लैकमेल होते हैं जो खुद भ्रष्टाचार करते हैं। यदि मंत्री-अफसर ईमानदार हैं तो क्यों ब्लैकमेल हो रहे है? इस कानून के जानकार लोगों ने बताया कि प्रदेश भर में टीम बनाकर सरकार से जानकारियां ली जाएंगी और आम लोगों के सहयोग से भ्रष्टाचार मिटाने का काम होगा। कार्यक्रम में इस बात को स्वीकार किया गया कि अब सूचनाएं नहीं देने के लिए सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि आरटीआई एक ऐसा हथियार है जिससे पूरी व्यवस्था को सुधारा जा सकता है। हालांकि अब भ्रष्ट मंत्री-अधिकारी परेशान है। यदि इस कानून को सांसद पहले समझ लेतें तो संसद में पास नहीं होता। असल में यूपीए प्रथम के समय सांसदो को आरटीआई बिल समझ में ही नहीं आया।
400 साल पहले अजमेर से शुरू हुआ भ्रष्टाचार:
आज पूरे देश में भ्रष्टाचार का जो हाल है उसकी शुरुआत चार सौ साल पहले अजमेर से हुई थी। तब के मुगल बादशाह जहांगीर ने 1614 में अंग्रेज अधिकारी सर थॉमस रो से नया बाजार स्थित किले पर मुलाकात की थी। जहांगीर किले के झारोखे में बैठा तथा और थॉमस रो नीचे जमीन पर खड़ा था। जब थॉमस रो ने भारत में सुरक्षित व्यापार करने की इजाजत मांगी तो जहांगीर ने पूछा की इसकी एवज मे हमें क्या मिलेगा? तब थॉमस रो ने इंग्लैंड के घोड़े देने की देने की पेशकश की। बस तभी काम के बादले माल देने की शुरुआत हो गई।
अभिनव राजस्थान अभियान को सफल बनाने में पूर्व आईएएस डॉ अशोक चौधरी अमेरिका से सम्मानित शिक्षाविद् अविनाश दाधीच आरटीआई कार्यकर्ता रामकिशोर पड़ौदा, गोरधन सिंह आदि की सक्रिय भूमिका है। डॉ.चौधरी ने बताया कि अब तक ऐसे कार्यक्रम जयपुर ,नागौर, बीकानेर आदि शहरों में हो चुके है। उनका प्रयास है कि आरटीआई कानून से प्रदेंश और देश के व्यवस्था बदले जाएंगे।
(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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