Monday 8 June 2015

मुलायम, लालू और शरद अब भाजपा को


साम्प्रदायिक पार्टी क्यों मानते हैं
8 जून को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के दिल्ली स्थित निवास पर लालू प्रसाद यादव और जेडीयू के प्रमुख शरद यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बिहार के विधानसभा चुनाव में जनता परिवार मिलकर चुनाव लड़ेगा। ना-नुकुर के बाद लालू ने भी यह मान लिया कि नितीश कुमार को ही सीएम का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ा जाएगा। इसमें कांग्रेस जैसे छोटे दल भी शामिल हैं। इन तीनों नेताओं ने कहा कि हम सब इसलिए मिल रहे हैं ताकि भाजपा जैसी साम्प्रदायिक पार्टी को हराया जा सके। ये तीनों नेता भाजपा को मुस्लिम विरोधी मानते हैं। गत लोकसभा चुनाव में भी मुलायम और लालू ने अपने-अपने राज्यों में ऐसा ही डर दिखाया था, लेकन उत्तर प्रदेश और बिहार में सपा, राजद और जेडीयू का सूपड़ा साफ हो गया। यानि इन दोनों राज्यों के मतदाताओं ने यह भी माना कि भाजपा मुस्ल्मि विरोधी है। नरेन्द्र मोदी ने पीएम बनने के बाद तो देश-विदेश के मुसलमानों को खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दो दिन पहले ही 7 हजार एकड़ जमीन लेकर 17 हजार एकड़ जमीन बांग्लादेश को सौंप दी। यह तोहफा मोदी ने बांग्लादेश जाकर वहां की पीएम शेख हसीना जावेद को दिया। इतना ही नहीं मोदी ने बार-बार कहा कि भारत और बांग्लादेश के नागरिकों में कोई भेद नहीं है, जिस तरह मोदी ने बांग्लादेश में अपनी उपस्थित दर्ज करवाई, उससे बांग्लादेशी भी खुश नजर आ रहे हैं। इधर बांग्लादेश के मुसलमानों को खुश किया तो उधर कश्मीर में मुसलमानों को खुश करने के लिए भाजपा और पीएम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। न चाहते हुए भी पीडीपी की सरकार को कश्मीर में चलाया जा रहा है। कश्मीर में बार-बार पाकिस्तान के झंडे लहराए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी भाजपा मुफ्ती मोहम्मद सईद को सीएम की कुर्सी पर टिकाए हुए है। स्वयं को भारतीय न मानने वाले सैय्यद अली शाह गिलानी को भी भारतीय पासपोर्ट दे दिया गया है, ताकि वे विदेश में जाकर भारत के खिलाफ ही जहर उगल सके। इतना सब कुछ करने के बाद भी मुलायम, लालू और शरद की तिकड़ी भाजपा को साम्प्रदायिक पार्टी बता रहे हैं। यह माना कि भाजपा की मोदी सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है, लेकिन केन्द्र में भाजपा सरकार के गठन के बाद अभी तक भी ऐसा कोई काम नहीं किया गया है, जिससे यह पता चले कि भाजपा साम्प्रदायिक पार्टी है। जहां तक कुछ सांसदों और मंत्रियों के बयानों का सवाल है तो पीएम मोदी ऐसे बयानों को पहले ही खारिज कर चुके हैं। मोदी ने सार्क देशों मे जो आपसी तालमेल बढ़ाने का अभियान चलाया है, वह सराहनीय है। पाकिस्तान के असहयोग के बाद भी भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के बीच आपसी तालमेल का काम शुरू हो गया है। ये देश एक-दूसरे के लिए सड़क, जल और वायु मार्ग आसानी से उपलब्ध करवाएंगे। मोदी की उस बात में दम है कि अंतर्राष्ट्रीय माहौल में अब कोई देश अकेला विकास नहीं कर सकता है। यदि मोदी के सार्क देशों के अभियान को सफलता मिलती है तो इस क्षेत्र में न केवल शांति रहेगी बल्कि सभी देशों का विकास भी तेजी से होगा। भारत के राजनेता वोटों की खातिर यदि अभी भी हिन्दू-मुसलमान का राग अलापते रहे तो सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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