Thursday 11 June 2015

तो पुष्कर की दुर्गति नहीं देखना चाहतीं सीएम राजे एक स्थान से ही करेंगी तीन काम

सीएम वसुंधरा राजे 13 जून को हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ स्थल पुष्कर आ रही हैं, लेकिन पुष्कर में आने के बाद भी सीएम राजे पुष्कर की दुर्गति नहीं देखना चाहती हंै, इसलिए एक ही स्थान बूढ़ा पुष्कर के घाट से तीन काम कर देंगी। क्षेत्रीय सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट, भाजपा के पुष्कर विधायक सुरेश रावत, नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक और जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी इस बात से खुश हैं कि सीएम राजे स्वयं ही पुष्कर की दुर्गति नहीं देखना चाहतीं हैं। यदि राजे पुष्कर की दुर्गति देख ले तो गाज इन भाजपाई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर ही गिरेगी। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने सीएम राजे की यात्रा का ऐसा जाल बुना है कि वे बूढ़ा पुष्कर के निकट हेलीकॉप्टर  से लैंड करेंगी और फिट कार द्वारा बूढ़ा पुष्कर के घाट पर पहुंच जाएंगी। 13 जून को प्रात: 9 बजे बूढ़ा पुष्कर के घाट पर ही करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से होने वाले बूढ़ा पुष्कर के विकास कार्यों की शुरुआत करेंगी और इसी स्थान पर पुष्कर तहसील कार्यालय के भवन का लोकार्पण तथा सीवरजे ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास भी कर देंगी। बाद में लोकार्पण और शिलान्यास के पत्थरों को उठाकर निर्धारित स्थानों पर लगाया जाएगा। इसके तुरंत बाद सीएम राजे उसी कार से हेलीकॉप्टर तक पहुंचेगी और फिर हेलीकॉप्टर में बैठकर उड़ जाएंगी।
सीएम राजे के हेलीकॉप्टर के लिए एक प्राइवेट भूमि पर अस्थाई हेलीपेड बनाया गया है। संभवत: यह पहला अवसर होगा जब सीएम राजे पुष्कर में आने के बाद भी संसार के एक मात्र ब्रह्मा मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जा रही हैं और न ही पवित्र सरोवर की पूजा अर्चना करेंगी। आमतौर पर राजे को धर्मपरायण महिला माना जा रहा है। धर्म के प्रति अपनी आस्था को कई बार सार्वजनिक तौर पर राजे ने प्रकट भी किया है, यदि राजे ब्रह्मा मंदिर और पवित्र सरोवर पर आती तो उन्हें पुष्कर की दुर्गति भी देखने को मिल जाती। भीषण गर्मी में सरोवर में चार फिट से भी कम पानी रह गया है।
श्रद्धालुओं के स्नान के लिए कुंड बनाए गए हैं, पानी की कमी की वजह से मछलियां भी दम तोड़ रही हैं, जिससे सरोवर के किनारे का वातावरण दुर्गंध युक्त है। घाटों पर गंदगी का साम्राज्य है। यदि राजे सरोवर के घाट पर आतीं तो तीर्थ पुरोहित ही उन्हें बता देते कि हालत कितने बिगड़े हुए हैं। अजमेर विकास प्राधिकरण ने सरोवर के फीडर की सफाई और मरम्मत के कार्य का 18 लाख रुपए का टेंडर 5 जून को स्वीकृत कर दिया है, लेकिन ठेकेदार ने आज तक भी मरम्मत और सफाई का कार्य शुरू नहीं किया है।
प्राधिकरण के अधिकारी भी नहीं चाहते कि बरसात शुरू होने से पहले फीडर की सफाई और मरम्मत का काम शुरू हो, क्योंकि बेईमानी की मलाई तो बरसात के दौरान होने वाले काम में ही खाने को मिलेगी। ठेकेदार को शर्तों के मुताबिक कार्य आदेश मिलने के तीन माह तक काम पूरा करना है। प्राधिकरण के बेईमान इंजीनियरों से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि फीडर की सफाई और मरम्मत का कार्य बरसात से पहले क्यों नहीं करवाया गया? सीएम राजे को प्राधिकरण की इस बेईमानी का पता चल जाता तो मौजूदा अफसर सस्पेंड हो जाते।
नहीं खुला एसडीओ  दफ्तर
घोषणा के बावजूद भी पुष्कर में अभी तक भी एसडीओ दफ्तर नहीं खुला। यहां तक कि पुष्कर में एसडीओ की नियुक्ति भी नहंी हुई है। अजमेर का एसडीओ ही पुष्कर के एसडीओ का काम करता है। क्या पुष्कर का यह दर्द सीएम राजे को पता नहीं होना चाहिए। अभी हाल ही में ग्राम पंचायतों के सीमांकन के समय बूढ़ा पुष्कर को तो नगर पालिका सीमा में शामिल कर लिया गया, लेकिन आसपास के गांवों के लिए नई ग्राम पंचायत कानस का गठन कर दिया गया। गंभीर बात यह है कि आज तक भी इस नई ग्राम पंचायत का भवन तक नहीं बना है। नवनिर्वाचित महिला सरपंच संजू रावत अपने पति के साथ इधर-उधर भटकती रहती है। संजू के दर्द की जानकारी क्या सीएम राजे को नहीं होनी चाहिए? जब राजे बार-बार महिला सशक्तिकरण की दुहाई देती हैं, तो फिर एक महिला सरपंच को दरदर क्यों भटकना पड़ रहा है।
प्रशासन में घबराहट
हालांकि सीएम राजे सिर्फ बूढ़ा पुष्कर के घाट पर ही आएंगी, लेकिन इस संक्षिप्त यात्रा को लेकर भी प्रशासन में जबरदस्त घबराहट है। कलेक्टर आरुषि मलिक ने इस संक्षिप्त यात्रा के लिए भी 12 कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। इसके अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक महेन्द्र चौधरी ने अधिकांश थानाधिकारियों को सीएम की सुरक्षा में तैनात कर दिया है।
लखावत ने दिखाई समझदारी
सीएम राजे की यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसको लेकर राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने समझदारी दिखाई्र। हुआ यंू कि कानस गांव के ग्रामीण बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए और सीएम की यात्रा का विरोध करने लगे। ग्रामीणों का कहना था कि ग्राम पंचायत में पहले ही भूमि की कमी है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा जबरन भूमि छीनी जा रही है। नाराज ग्रामीणों ने एक बार तो काले झंडे दिखाने तक की घोषणा कर दी, लेकिन जैसे ही लखावत को ग्रामीणों की नाराजगी का पता चला तो वे तुरंत मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया। लखावत की समझाइश के बाद ही ग्रामीणों ने अपना विरोध खत्म किया। लखावत ने जो राजनीतिक सूझबूझ दिखाई, उसकी प्रशासनिक अधिकारियों ने भी प्रशंसा की है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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