Monday 22 June 2015

आखिर कांग्रेस कर मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम चश्में से क्यों देखती है।


(spmittal.blogspot.in)

उपराष्ट्रपति के योग का प्रकरण
जब पिछले एक माह से मुस्लिम धर्म गुरु योग को धर्म विरोधी बता रहे हैं, तब सवाल उठता हैं कि यदि निमंत्रण मिलता तो क्या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 21 जून को दिल्ली में राजपथ पर पीएम मोदी के साथ योग करते? अभी तो उपराष्ट्रपति कार्यालय का यही कहना है कि राजपथ के योग के कार्यक्रम का निमंत्रण ही नहीं मिला था। निमंत्रण मिलता तो योग करते, इसका जवाब आना शेष है। अंसारी के योग का विवाद भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव के ट्वीट से उठा। माधव ने 22 जून को सुबह-सुबह ट्वीट किया कि अंसारी को भी राजपथ पर योग के लिए आना चाहिए था। राज्य सभा टीवी पर योग कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं दिखाए जाने पर भी माधव ने सवाल उठाया। इस ट्वीट के साथ ही उप राष्ट्रपति कार्यालय से स्पष्टीकरण आ गया कि अंसारी को निमंत्रण ही नहीं मिला था तथा कार्यक्रम का प्रसारण राज्यसभा टीवी पर लाइव हुआ था। अंसारी की सफाई के बाद कांग्रेस ने पूरे मामले को हिन्दू-मुस्लिम बना दिया। पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह ने तो उपराष्ट्रपति के अपमान का आरोप ही लगा दिया। सिंह ने कहा कि योग तो जोडऩा सीखाता है, लेकिन भाजपा की सरकार ने अंसारी को नहीं बुलाकर तोडऩे वाला काम किया है। इसके लिए राम माधव और सरकार को माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस के नेताओं ने चैनलों पर जिस तरह बयानबाजी की उससे साफ लग रहा था कि कांग्रेस इस मुद्दे को भी हिन्दू-मुस्लिम चश्में से देख रही है। जबकि उपराष्ट्रपति कार्यालय के स्पष्टीकरण के बाद राम माधव ने अपने दोनों ट्वीट हटा लिया और कहा कि अब इस मुद्दे को तुल नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने माना कि ट्वीट करने में राम माधव से गलती हुई है। सही जानकारी के बिना ही राम माधव ने ट्वीट कर दिया। नाइक ने कहा कि अपने इस कृत्य के लिए राममाधव ने माफी भी मांग ली है। जहां तक उपराष्ट्रपति को योग के समारोह में नहीं बुलाने का सवाल है तो प्रोटोकॉल में पीएम से उपर उपराष्ट्रपति आते हैं। जब पीएम को समारोह का मुख्य अतिथि घोषित कर दिया गया था तब उपराष्ट्रपति को किस स्थिति में बुलाया जाता? नाइक ने स्वीकार किया कि प्रोटोकॉल के मद्देेनजर ही उपराष्ट्रपति को योग के कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया। यह माना कि राममाधव का ट्वीट जल्दबाजी में था, लेकिन कांग्रेस को इस पूरे मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम के साथ नहीं जोडऩा चाहिए। योग को लेकर पहले ही मुस्लिम विद्वानों में वाद-विवाद हो चुका है। जहां कुछ मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों ने स्वास्थ्य के लिए योग को उचित माना है,वहीं कुछ ने योग को मुस्लिम धर्म की मान्यताओं के खिलाफ माना है। अब जब पूरे देश में योग के प्रति जागरूकता और बढ़ी है तब योग के कार्यक्रम पर विवाद नहीं होना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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