Sunday 28 June 2015

आखिर क्या होता है राजगढ़ के मसाणिया भैंरूधाम पर!


(spmittal.blogspot.in)

बोतल-दर-बोतल शराब पीकर लोगों से छुड़वाते है दारू
राजस्थान के अजमेर शहर के निकट राजगढ़ गांव है। और इस गांव में है मसाणिया भैंरोधाम के उपासक हैं चम्पालाल जी महाराज। हर रविवार को देशभर से पीडि़त और परेशान लोग भैंरोधाम आते हैं। 28 जून 2015 के रविवार को भैंरोधाम की गतिविधियों को देखने का अवसर मुझे भी मिला। उपासक चम्पालाल जी महाराज अपनी निर्धारित चौकी (चमत्कारित चौकी) पर बैठे हैं और हजारों लोग दर्शन के इंतजार में हैं। महाराज सुबह पांच बजे ही चौकी पर बैठ जाते है। चौकी पर बैठते ही महाराज देशी-विदेशी शराब पीना शुरू कर देते हैं। चौकी और शराब के मेल से लोगों को चमत्कार नजर आने लगता है। चमत्कार भी ऐसा, जिसे आप नाटक और ढोंग नहीं कह सकते। विज्ञान जिस भूत-प्रेत की थ्यौरी को नहीं मानता, उसी थ्यौरी के मरीज भैंरोधाम में देखने को मिलते है। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। लम्बी कतार में खड़ी महिला जैसे ही महाराज के निकट आती है, वैसे ही जोर से चिल्लाने, जमीन पर गिरने, हाथ-पैर पटकने का काम शुरू हो जाता है। कमजोर दिल के लोग तो ऐसे दृश्य को देखकर घबरा ही जाएं। एक नहीं बल्कि तीन-तीन, चार-चार महिलाएं एक साथ ऐसा व्यवहार करने लगती है। इस डरावने और पीड़ादायक माहौल का चौकी पर बैठे महाराज पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन महाराज हर महिला की हरकतों पर नजर रखे हुए हैं। एक महिला की पीड़ा को तो महाराज ने सही माना और कष्टमुक्त करने के लिए गेहूं के दाने और भभूती दी। एक महिला के परिजनों से कहा कि यह नाटक कर रही है। इसे न तो कोई बीमारी और न भूत-प्रेत का साया है। एक महिला के लिए कहा कि इसे वहम हो गया है। घर-परिवार का माहौल ठीक रखें, अपने-आप सामान्य हो जाएगी। इस तरह भूत-प्रेत वाली सैकड़ों महिलाओं को सामान्य किया।
एक अधेड़ को देखते ही महाराज ने पुरुष से कहा कि तू सुधरा नहीं तो यह (पत्नी) फांसी लगा लेगी। यह बात ऐसे कही जैसे अधेड़ जोड़े की कहानी महाराज जानते हैं। इसके साथ ही महिला ने कहा भी कि महाराज मैं इतनी दु:खी हूं कि अपनी जान देना चाहती हूं। बोतल-दर-बोतल शराब पीने के बाद भी महाराज ने एक मनोचिकित्सक की तरह पति-पत्नी को समझाया और गेहूं के दाने-भभूत देकर रवाना किया। बीमार तो लाइन बनाकर आते ही रहे। महाराज ने सभी को स्वस्थ करने का भरोसा दिलाया। इस बीच एक युवा अपनी मां के साथ आया। मां को रोता देख महाराज ने कहा कि आपका बेटा बिना फेरों के विवाह करना चाहता है। लड़का भी तत्काल माना कि वह प्रेम विवाह कर रहा है। इस महाराज ने लड़की की जाति बताते हुए कहा कि शादी चलेगी नहीं। लड़के के हाथ में गेहूं के दाने और भभूत देते मां को भरोसा दिलाया कि अब वह उस लड़की को भूल जाएगा।
चमत्कार तो अपनी जगह हैं, लेकिन मसाणिया भैंरोधाम शराब की सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए एक बड़ा और प्रभावी अभियान चला रहा है। हर रविवार को जब हजारों लोग आते तो किसी भी प्रकार का नशा नहीं करने का संकल्प करवाया जाता है। 28 जून को भी हजारों लोगों के हाथ खड़े करवा कर नशा नहीं करने की सौगंध दिलवाई गई। महाराज ने चेताया कि वो ही लोग संकल्प ले जो निभा सकते है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि भैंरोधाम पर तो सौगंध खा ली और अपने शहर जाकर नशा कर लिया। ऐसा करने वालों को कष्ट उठाना पड़ेगा, क्योंकि भैंरोधाम को सब पता रहता है कि सौंगध खाने के बाद कौन शराब पी रहा है। महाराज के सामने ऐसे लोग भी आए जो सौंगध के बाद भी शराब पी रहे थे। ऐसे लोगों ने बताया कि सौंगध तोडऩे का कितना खामियाजा उठाना पड़ रहा है। महाराज ने भी कहा कि भैंरोधाम की सौंगध तोडऩे के बाद किसी भी स्थान पर राहत नहीं मिल सकती है।  साणे-भोपे, बाबा आदि सिर्फ बेवकूफ बनाकर रुपए ऐंठते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग शराब नहीं छोड़ सकते है उन्हें सौंगंध भी नहीं लेनी चाहिए। जो लोग जिस प्रकार का नशा करते हैं वहीं वस्तु महाराज के सामने पटकी जाती है। जैसे कोई व्यक्ति तम्बाकू वाला गुटखा खाता है तो वह गुटखे का पाउच रखता है। कोई देशी शराब पीता है तो वह ठेके की बोतल तथा अंग्रेजी पीने वाला अंग्रेजी की बोतल रखता है। चमत्कार की बात यह है कि प्राप्त बोतलों की शराब का सेवन कर ही महाराज नशा मुक्ति का संकल्प करवाते है।
चमत्कारों के बीच ही महाराज प्रवचन भी देते है। उनका कहना है कि मैं शराब इसलिए पीता हूं ताकि दूसरे लोग छोड़ सके। शराब ऐसी बुराई है जिससे घर बर्बाद हो जाते है। जिन घरों में शराब नहीं पी जाती वह स्वर्ग के समान है। लोगों को तम्बाकू युक्त गुटखे से भी बचना चाहिए। महाराज ने कहा कि मैं जो कुछ भी प्रदर्शित करता हूं वह सार्वजनिक होता है। मैं कोई काम बंद कमरे में नहीं करता। संपूर्ण मसाणिया भैंरोधाम में कोई चढ़ावा नहीं लिया जाता और न ही कोई दानपात्र लगा हुआ है। जो लोग श्रद्धा के साथ मेरे धाम पर आते है उनकी मनोकामना पूरी होती है। भैरोधाम पर ही एक मनोकामना स्तम्भ भी लगा हुआ है। इस स्तम्भ की प्ररिक्रमा के दौरान जो कामना होती है वह पूरी हो जाती है। इस धार्मिक स्थान का नाम मसाणिया भैंरू धाम इसलिए पड़ा क्योंकि उपासक चम्पालाल महाराज को जो चमत्कारिक सिद्धी प्राप्त हुई उसे एक श्मशान से ही प्राप्त किया गया था। चिकित्सा विज्ञान के विद्धानों के लिए यह चमत्कार ही है कि जो व्यक्ति लगातार शराब का सेवन करता है उसे नशा नहीं होता। महाराज जब निर्धारित चौकी से खड़े होते है तो सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करते है। आखिर यह सवाल तो उठता ही है कि महाराज ने जो शराब पी उसका नशा कहां चला गया।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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