Saturday 6 June 2015

तो बांग्लादेशी मुसलमानों की समस्याओं का समाधान भी कर दिया पीएम नरेन्द्र मोदी ने

भले ही कुछ लोग अपने राजनीतिक नजरिए के कारण पीएम नरेन्द्र मोदी को पुलिस विरोधी माने, लेकिन 6 जून को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मोदी ने 41 वर्ष पुरानी बांग्लादेश के मुसलमानों की समस्या का समाधान कर दिया। मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान वहां की पीएम शेख हसीना वाजेद के साथ जो समझौता किया, उसके मुताबिक बांग्लादेश से मात्र 51 गांव लेकर 111 गांव सौंपे जाएंगे तथा 7 हजार एकड़ जमीन लेकर 17 हजार एकड़ जमीन बांग्लादेश को दी जाएगी। लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट से कोई 51 हजार मुसलमानों को न केवल नागरिकता की पहचान मिलेगी, बल्कि दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। हालांकि वह समझौता 2011 में यूपीए सरकार के पीएम मनमोहन सिंह को करना था, लेकिन तब लोकसभा में सुषमा स्वराज और राज्यसभा में अरूण जेटली ने ऐसा हंगामा करवाया कि यूपीए सरकार की हिम्मत ही नहीं हुई, लेकिन अब भाजपा के पुराने स्टेंड को दरकिनार कर पीएम मोदी ने बांग्लादेशी मुसलमानों को राहत पहुंचा दी है। समझौते से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी खुश हैं, इसलिए मोदी उनके साथ ममता दीदी को भी बांग्लादेश ले गए हैं। यूं तो मोदी ने कोई 20 समझौते किए है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण समझौता भूमि की अदला-बदली का है। असल में 1971 के युद्ध के समय ही ऐसे हालात बने की कोई 4 हजार किलोमीटर भूमि का एरिया विवादास्पद हो गया है, तभी से भारत में बांग्लादेशियों की घुसपैठ भी बढ़ी है। अब देखना होगा कि भूमि की इस अदला-बदली के बाद बांग्लादेश के मुसलमान भारत के प्रति कैसा व्यवहार करते है। हालांकि जब पाकिस्तान अपने ही हिस्से के पूर्वी पाकिस्तान पर अत्याचार कर रहा था, तब 1971 में भारत ने ही दखल देकर बांग्लादेश को आजाद मुल्क बनवाया, लेकिन बांग्लादेश का रवैया भारत के प्रति अच्छा नहीं रहा। कई बार सीमा पर तनाव भी हुआ तथा बांग्लादेश में भारत विरोधी आंदोलन भी हुआ। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर जुल्म की बाते तो आम हैं। इन सब हालातों के बीच पीएम मोदी ने बांग्लादेशी मुसलमानों को राहत प्रदान की है। असल में मोदी ने 1971 के युद्ध का ही विवाद नहीं सुलझाया बल्कि 1947 में देश के विभाजन और उससे पहले राजा-महाराजाओं द्वारा उत्पन्न की गई समस्याओं का भी समाधान किया है। 47 के विभाजन का सीमा विवाद तो भारत को चारों दिशाओं में झेलना पड़ रहा है, लेकिन 47 से पहले कूच बिहार के राजा-महाराजाओं ने अपनी बुरी प्रवृत्तियों के चलते गांव ही जुंए में गवा दिए। ऐसे विवाद भी मोदी के आज के समझौते में निपटाए है। इस समझौते के बाद पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों की भौगोलिक स्थिति भी बदल गई है।  भूमि का जो आदान-प्रदान हुआ है वह इन्हीं राज्यो की है। सवाल यह नहीं है कि पीएम मोदी ने एक पुरानी  और मुसलमानों से जुड़ी समस्या का समाधान किया है। सवाल यह है कि मोदी की इस पहल का भारत सहित पड़ौसी देशों पर क्या असर पड़ेगा। पाकिस्तान और हमारे कश्मीर के जो लोग मोदी को मुस्लिम विरोधी मानते है क्या इससे उनकी सोच में कोई फर्क आएगा? जिस तरह से मोदी ने बांग्लादेश के साथ इतने बड़े भूमि विवाद को निपटाया है उससे यह उम्मीद भी की जा सकती है कि चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के भूमि विवाद को भी सुलझाया जा सकता है, हो सकता है कि इससे कश्मीर समस्या का समाधान भी हो जाए। जब पीएम मोदी 7 हजार एकड़ जमीन लेकर 17 हजार एकड़ जमीन दे सकते है तो फिर कश्मीर की समस्या का समाधान हो सकता है। अब यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि भाजपा जब विपक्ष में होती है तो वह ऐसे सीमा विवादों का विरोध करती है, लेकिन जब नरेन्द्र मोदी जैसा व्यक्ति भाजपा का पीएम बनता है तो फिर विरोध के बजाय निर्णयों की क्रियान्वति करता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि बांग्लादेश के साथ भूमि विवाद के चलते भारत की सीमा पर भारी भरकम राशि खर्च करनी पड़ रही थी।
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

No comments:

Post a Comment