Monday 29 June 2015

तो क्या कांग्रेस वसुंधरा के पारिवारिक विवादों को भी उछालेगी।


(spmittal.blogspot.in)

धौलपुर के महल को बताया सरकारी।
29 जून को दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक धमाकेदार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राजस्थान के धौलपुर के महल को सरकारी जायदाद बताते हुए रमेश ने कहा कि वसुंधरा धारावाहिक के कई कांड हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में कांग्रेस उजागर करेगी। इस धमकी से लगता है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के पारिवारिक विवादों को भी कांग्रेस उछालेगी। इन विवादों में वसुंधरा राजे और उनके पति हेमंत सिंह को लेकर दिल्ली कोर्ट में चला नितांत पारिवारिक विवाद भी शामिल हो सकता है। इस विवाद में हेमंत सिंह के पक्ष को सामने कर कांग्रेस ने राजनीतिक हमला किया तो वसुंधरा राजे के लिए नैतिक दृष्टि से बचाव करना मुश्किल होगा। हालांकि दिल्ली कोर्ट का फैसला मेरे पास भी है, लेकिन वसुंधरा और हेमंत सिंह के नितांत व्यक्तिगत मामले होने के कारण लिखना उचित नहीं समझता हंू। ऐसे आरोप-प्रत्यारोप तो अब घर-घर की कहानी बन गए हैं और इसमें कांग्रेस के नेता भाजपा से आगे ही पाए जाएंगे। शायद इस सच्चाई को ध्यान में रखते हुए जयराम रमेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट उपस्थित नहीं रहे। पायलट भी अपने पारिवारिक विवादों से जूझ रहे हैं। वैसे अच्छा हो कि राजनीति की जंग नेताओं के व्यक्तिगत जीवन तक न पहुंचे। यह बात अलग है कि 29 जून को कांग्रेस ने तो पहल कर ही दी है। जयराम रमेश ने दमदार तरीके से बात रखते हुए कहा कि वसुंधरा राजे आज धौलपुर के जिस महल को अपना और अपने बेटे दुष्यंत सिंह का बता रही हैं, असल में वह महल सरकार की सम्पत्ति है। इसका सबसे बड़ा सबूत दुष्यंत सिंह के पिता हेमंत सिंह का 1980 में कोर्ट में दिया बयान है। हेमंत सिंह ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर स्वीकार किया कि धौलपुर का महल उनकी निजी सम्पत्ति नहीं है। रमेश ने जमाबंदी और सरकारी रिकॉर्ड दिखाते हुए कहा कि 1954 से लेकर 2010 तक महल को सरकारी ही माना गया, लेकिन भारतीय कानून की धज्जियां उड़ाने वाले भगोड़े और वसुंधरा परिवार के दोस्त ललित मोदी की कंपनी आनंदा हेरिटेज की मदद से सरकारी महल पर दुष्यंत सिंह की कंपनी नियांत हेरिटेज ने कब्जा कर लिया है। ललित और दुष्यंत की कंपनियों के बीच करोड़ों का लेनदेन हुआ है। असल में यह लेनदेन वसुंधरा और मोदी के बीच है। इस सरकारी महल पर इसलिए कब्जा हो सका कि राजस्थान की सीएम की कुर्सी का वसुंधरा ने बार दुरुपयोग किया।
दुष्यंत हैं धौलपुर के राजा-भाजपा
29 जून को दोपहर को दिल्ली में कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो शाम होते-होते जयपुर में भाजपा की ओर से भी जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि दुष्यंत सिंह ही अब धौलपुर घराने के राजा हैं। कांग्रेस के जयराम रमेश ने जो जमाबंदियां दिखाई है, उसके बाद तो धौलपुर और भरतपुर के विभिन्न न्यायालयों ने दुष्यंत को ही राजघराने का उतराधिकारी माना है। यहां तक कि जो पारिवारिक सेटलमेंट हुआ है, उस पर दुष्यंत के पिता राणा हेमंत सिंह के हस्ताक्षर भी है। परनामी ने पढ़कर बताया कि दुष्यंत सिंह को कौन-कौन सी सम्पत्तियां मिली हैं। इतना ही नहीं जब नेशनल हाइवे के लिए धौलपुर में भूमि का अधिग्रहण किया, तब 2010 में एनएचएआई ने भी दुष्यंत सिंह को ही एक करोड़ 97 लाख रुपए का मुआवजा दिया। 2010 में तो केन्द्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने तब मालिकाना हक का मुद्दा क्यों नहीं उठाया। परनामी और राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस वसुंधरा राजे की छवि खराब कर रही है। सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे धौलपुर घराने की महारानी हैं। धौलपुर घराने की सम्पत्ति पर राजे और दुष्यंत का ही मालिकाना हक है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार तो राठौड़ की एक पत्रकार से जोरदार झड़प भी हो गई। असल में जब इस पत्रकार ने दुष्यंत के पिता हेमंत सिंह के कोर्ट में दिए गए शपथ पत्र के बारे में पूछा तो राठौड़ ने कहा कि जरूरी नहीं, सब सवालों का जवाब दें। हालांकि विवाद के बीच ही राठौड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन मामले को संभालते हुए परनामी ने कहा कि मैं सब सवालों का जवाब दूंगा। परनामी ने कहा कि शपथ पत्र के बाद तो हेमंत सिंह और दुष्यंत के बीच सेटलमेंट हो गया, इसलिए कोर्ट का शपथ पत्र कोई मायने नहीं रखता।
धौलपुर घराने की रानी है वसुंधरा
वसुंधरा राजे ग्वालियर घराने की तो राजकुमारी और धौलपुर घराने की रानी हैं। वसुंधरा का विवाह राजस्थान के धौलपुर घराने के हेमंत सिंह के साथ हुआ था। हालांकि बाद में विवाद भी हो गया, जिसको दिल्ली की कोर्ट तक में मुकदमा चला। ऐसे विवादों के चलते ही हेमंत सिंह ने कोर्ट में कह दिया कि धौलपुर का महल सरकारी है। लेकिन बालिग होने पर दुष्यंत को महल का एक मात्र वैधानिक वारिस मानते हुए वसुंधरा का कब्जा हो गया। कांग्रेस जो दस्तावेज दिखा रही है, वे सब दुष्यंत के बालिग होने से पहले के हैं। दुष्यंत की कंपनी नियांत हेरिटेज कोई होटलों का कारोबार नहीं करती है। कंपनी के पास धौलपुर का महल ही है, जिसे होटल का रूप दिया गया है।
आखिर कहां हैं दुष्यंत
जिस दुष्यंत सिंह को लेकर देश की राजनीति में खलबली मची हुई है। वे दुष्यंत अभी तक भी मीडिया के सामने नहीं आए हैं। पहले कहा गया था कि वे विदेश दौरे पर हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि देश में कब लौटेंगे। अब तो एक माह से ज्यादा का समय हो गया है। असल में वसुंधरा को पता है कि दुष्यंत सिंह कांग्रेस के आरोपों का जवाब मीडिया के सामने नहीं दे सकेंगे। इसलिए दुष्यंत को अभी विदेशी में ही टिकाए रखा गया है और इधर जयपुर में अशोक परनामी और राजेन्द्र सिंह राठौड़ से काम चलाया जा रहा है।
पुष्कर कांड पर क्यों चुप है कांग्रेस
कांग्रेस का कहना है कि वसुंधरा धारावाहिक के कई कांड हैं, जिन्हें एक-एक कर उजागर किया जाएगा। कांग्रेस यदि वाकई ईमानदारी से वसुंधरा पर हमले कर रही है तो उसे अजमेर जिले के पुष्कर के मामले को भी उजागर करना चाहिए। ग्वालियर घराने की एक सम्पत्ति पुष्कर सरोवर के किनारे ग्वालियर घाट भी है। इस सम्पत्ति के कुछ हिस्से में पुराने किरायेदार रह रहे हैं। वसुंधरा राजे जब वर्ष 2003 में पहली बार सीएम बनी तो कब्जेवाली भूमि का अधिग्रहण करवा दिया, ताकि ग्वालियर ट्रस्ट को भूमि का मुआवजा मिल सके। इस बार के सीएम के दौर में वसुंधरा का प्रयास है कि सवा करोड़ रुपए की राशि का भुगतान राज्य सरकार से करवा दिया जाए। कब्जेवाली भूमि का बेवजह अधिग्रहण वसुंधरा ही करवा सकती हैं। लेकिन वसुंधरा के खिलाफ कांग्रेस इस मामले को नहीं उठाएगी, क्योंकि ग्वालियर घाट के टस्ट के मुखिया कांग्रेस के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। यदि पुष्कर कांड को वसुंधरा धारावाहिक में शामिमल किया जाता है तो कांग्रेस खुद फंसेगी। वसुंधरा का पुष्कर कांड मैंने गत 19 जून को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। आज भी यह पोस्ट मेरे ब्लॉग (spmittal.blogspot.in) पर प्रदर्शित है।

(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

No comments:

Post a Comment