Tuesday 9 June 2015

हल्दी लगे न फिटकारी,रंग चौखा आए इस कहावत को चरितार्थ कर रहे है अजमेर के डीआरएम सालेचा

'हल्दी लगे न फिटकरी रंग चौखा आएÓ इस कहावत का मतलब है कि आप कुछ भी नहीं करें और फिर भी काम हो जाने का श्रेय आपको मिल जाएगा। कुछ इसी तर्ज पर अजमेर रेल मंडल के डीआरएम नरेश सालेचा काम कर रहे हैं। सालेचा ने 9 जून को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की जो घोषणा की है, उस पर रेल प्रशासन ने अमल शुरू कर दिया है। शहर के प्रमुख गांधी भवन चौराहे के निकट रेलवे की दीवार को तोड़कर रेलवे स्टेशन का आकर्षक और भव्य द्वार बनाया जाएगा। प्रवेश द्वार के साथ ही वातानुकुलित प्रतिक्षालय और टिकिट बिक्री की खिड़कियां भी होंगी। ये सभी सुविधाएं यात्रियों को स्मार्ट सिटी के अंतर्गत उपलब्ध करवाई जाएंगी।
इसके लिए प्रमुख सीमेंट निर्माता कंपनी श्री सीमेंट से एक एमओयू कर लिया गया है। सीमेंट कंपनी इन सब कार्यों के लिए 2 करोड़ रुपए की राशि देगी। सवाल उठता है कि जब श्री सीमेंट 2 करोड़ रुपए देगा तो इसमें रेल प्रशासन का क्या योगदान है? यानि स्मार्ट सिटी का काम तो श्री सीमेंट ने किया है,जिसका श्रेय रेल प्रशासन ले रहा है। एक सप्ताह पहले भी रेलवे स्टेशन के परिसर में मल्टीकॉम्प्लेक्स भवन का शिलान्यास समारोह भी धूमधाम से हुआ। इसमें भी रेलवे का कोई योगदान नहीं है, क्योंकि यह कॉम्प्लेक्स पीपीपी मॉडल के अंतर्गत बन रहा है। संबंधित कंपनी को रेलवे ने 45 वर्ष के लिए भूमि लीज पर दी है। फर्म अपने खर्चे पर ही मल्टीकॉम्प्लेक्स बनाकर यात्रियों को सुविधा उपलब्ध करवाएगी। इसके लिए भी डीआरएम सालेचा अपनी पीठ थपथपा सकते हैं। लेकिन रेल प्रशासन को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि कोई भी व्यापारी एक रुपया  भी पानी में नहीं बहाता है। मल्टीकॉम्प्लेक्स बनाने वाली फर्म अपने हिसाब से यात्रियों से होटल का किराया वसूलेगी, तो खानपान की बिक्री भी अपनी शर्तों पर ही होगी। फर्म का प्रयास होगा कि जो करोड़ों रुपए की राशि लगाई गई है वह 45 वर्ष में नहीं बल्कि 25 वर्ष में ही वसूल कर ली जाएगी। इसी प्रकार श्री सीमेंट कंपनी भी यदि 2 करोड़ रुपए दे रही है तो सरकार के रेलवे स्टेशन के मुख्यद्वार पर अपना बोर्ड भी लगाएगी। हो सकता है कि रेलवे स्टेशन के इस द्वार का नाम श्री सीमेंट प्रवेशद्वार ही रख दिया जाए। रेलवे की ओर से अभी तक भी यह नहीं बताया गया है कि शहर को स्मार्ट बनाने के लिए उनकी ओर से कितनी धन राशि खर्च की जाएगी। अभी तक तो दूसरों के कंधों पर बंदूक रखकर ही चलाई जा रही है।
स्टेशन रोड पर जो फुट ओवर ब्रिज बना हुआ है उसे स्टेशन परिसर के ब्रिज से जोडऩे की कई बार घोषणा हो चुकी है। यदि स्मार्ट सिटी का झुनझुना ही बजाना है तो इन दोनों ओवर ब्रिज को सबसे पहले मिलाया जाए। हालात इतने खराब है कि प्लेट फार्म नम्बर 2, 3, 4 और 5 पर यात्रियों के लिए शौचालय तक नहीं है। ट्रेन के इंतजार में खड़े यात्रियों को लघुशंका के लिए भी प्लेट फार्म नम्बर 1 पर आना होता है, इसमें खासकर बुजुर्ग महिलाओं को भारी परेशानी होती है। यह समस्या पिछले 10-15 सालों से बनी हुई है। इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन के वाहन पार्किंग के ठेकेदार द्वारा आए दिन लूट की जाती है। इसकी शिकायत स्टेशन अधीक्षक से लेकर डीआरएम तक से की गई है, लेकिन ठेकेदार का बाल भी बांका नहीं हुआ है। समझ में नहीं आता कि पार्किंग ठेकेदार के विरुद्ध कार्यवाही करने से रेल प्रशासन क्यों डरता है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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