Sunday 7 June 2015

भारतीय संस्कृति की पहचान है कत्थक नृत्य

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और अजमेर कत्थक कला केन्द्र की ओर से अजमेर के रेडक्रॉस सोसायटी के भवन में 1 से 15 जून तक कत्थक नृत्य प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। इस शिविर में 7 जून को मुझे भी अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया। शिविर के आयोजकों ने कहा कि मैं शिविर में भाग ले रहीं बालिकाओं को सामाजिक क्षेत्र की कुछ जानकारी दूं। शिविर में मैंने कहा कि कत्थक कोई नृत्य नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की पहचान है, जब टीवी चैनलों पर डांस के नाम पर भौंडी और अश्लील प्रस्तुति दी जा रही है, तब कत्थक शिविर वाकई भारतीय सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ कार्यक्रम है, जो बालिकाएं इस शिविर में भाग ले रही हैं वे सिर्फ कत्थक नृत्य को सिखने तक ही सीमित न रहे, बल्कि अपना दैनिक आचरण भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीएं। आज टीवी संस्कृति ने जिस तरह हमारी युवा पीढ़ी को भ्रमित कर दिया है, वह बेहद ही गंभीर है। टीवी चैनलों पर डांस के कार्यक्रम भी इतने गंदे और अश्लील होते हैं, जिन्हें परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर नहीं देख सकते हैं। चैनलों पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किए जाए तो भारतीय संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होगा।
मैंने बालिकाओं से कहा कि वे जब शिविर में कत्थक नृत्य सीख रही हैं तो उन्हें टीवी के भौंडे और अश्लील कार्यक्रम नहीं देखने चाहिए। आज युवा पीढ़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक सरोकारों की है। हम अपने सामाजिक सरोकार भूल कर चकाचौंध में उलझते जा रहे हंै। शिविर में सांख्यिकी विभाग की संयुक्त निदेशक श्रीमती रेणु रुद्रा ने कहा कि जब सरकारी स्तर पर अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद हो रही है तो उसमें कला और संस्कृति की भूमिका भी प्रभावी होनी चाहिए। शिविर की प्रमुख सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने इस बात पर अफसोस जताया कि अजमेर में ऐसा कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है, जहां कला से जुड़े कलाकार अपनी प्रतिभा दिखा सके। जयपुर में जवाहर कला केन्द्र है, इसलिए जयपुर में कला क्षेत्र के अनेक कार्यक्रम होते हैं। स्मार्ट सिटी की योजना के अंतर्गत अजमेर में भी एक बड़ा कला केन्द्र बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके कत्थक शिविर के लिए राजस्थान संगीत नाटक अकादमी का बैनर लेने के लिए भी लम्ब संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने अपेक्षा जताई कि सरकार भी कलाकारों के प्रति सकारात्मक रुख प्रकट करें। शिविर में नाट्य कलाकार दिलीप पारीख ने बालिकाओं को नाटक की विधाओं की जानकारी दी। शिविर की सहयोगी श्रीमती कल्पना कांसवा और महेश पाराशर ने बताया कि भाग लेने वाली सभी बालिकाओं को संगीत नाटक अकादमी और कत्थक कला केन्द्र की ओर से प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।
(एस.पी. मित्तल) (spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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