Friday 26 June 2015

आखिर अब मीडिया पर गुस्सा क्यों उतार रही है वसुन्धरा राजे


(spmittal.blogspot.in)

क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी को लेकर मीडिया में राजस्थान की सीएम वसुन्धरा राजे पर जो खबरें चल रही हैं, उसका कड़ा प्रतिवाद 26 जून को वसुन्धरा राजे की ओर से किया गया है। सरकारी प्रेस नोट में कहा गया कि मीडिया का एक वर्ग राजे की राजनीतिक छवि खराब कर रहा है। चैनल वाले तथ्यहीन खबरें चला रहे हैं। राजे के समर्थन में 120 विधायकों के हस्ताक्षर जैसी खबरों को भी झूठा बताया गया। राजे के प्रेस नोट में मीडिया पर तो गुस्सा उतारा गया, लेकिन ललित मोदी को लेकर जो आरोप लगे हैं, उन पर कुछ भी नहीं कहा गया। यह भी नहीं बताया कि ललित मोदी के लिए राजे ने सिफारिशी पत्र क्यों लिखा तथा किन परिस्थितियों में उनके बेटे दुष्यन्त सिंह की कम्पनी ने 11 करोड़ 23 लाख रुपए की राशि ललित मोदी की कम्पनी से ली। आरोपों का जवाब देने के बजाए राजे ने मीडिया को ही झूठा करार दे दिया। सवाल उठता है कि राजे अब मीडिया पर क्यों गुस्सा उतार रही है? दिसम्बर 2013 में दोबारा से सीएम बनने के बाद क्या राजे ने मीडिया का सम्मान किया है? छोटे-मोटे अखबार और चैनलों की बात तो छोड़ दीजिए। भास्कर और पत्रिका जैसे अखबारों की भी परवाह नहीं की। चैनलों और अखबारों को जो विज्ञापन गत कांग्रेस के शासन में मिले थे उन विज्ञापनों का भुगतान राजे ने आज तक भी नहीं करवाया है। बड़े अखबारों और चैनलों के भुगतान डेढ़ वर्ष से अटके पड़े हैं तो क्या अब ऐसा मीडिया आरोपों को भी न दिखाए। जब राजे अपने सीएम के विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए विज्ञापनों का भुगतान रूकवा सकती हैं तो फिर मीडिया भी खबरें तो दिखा ही सकता है। इसमें राजे को नाराज होने की कोई जरूरत नहीं है। यह माना कि मीडिया में भी ऐसे लोगों ने घुसपैठ कर ली है, जिनका पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं है ऐसे लोगों का मकसद अखबार और चैनल के माध्यम से लूट खसोट करना होता है, लेकिन किसी भी सरकार को इतनी तो समझ होनी ही चाहिए कि कौन पत्रकारिता और कौन लूटखसोट कर रहा है। यदि सरकार पूरे मीडिया को एक डंडे से हांकने की कोशिश करेगी तो फिर खुद को भी पाक साफ रखना होगा। ऐसा नहीं हो सकता कि सीएम का बेटा एक दिवालिया कम्पनी में 11 करोड़ रुपए ले ले और खुद माताजी एक भगोड़े के लिए सिफारिशी पत्र लिख दे, तब भी मीडिया चुप बैठा रहे।
संघ और भाजपा हाई कमान नाराज
ललित मोदी को लेकर आरोप लगाने के बाद से ही भाजपा हाई कमान ने राजे का बचाव ही किया है, लेकिन इसके बावजूद भी राजे ने जो रवैया अख्तियार किया है, उससे अब भाजपा हाई कमान और भाजपा को नियंत्रित करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजे से नाराज है। इस नाराजगी के चलते ही राजे का 26 जून का दिल्ली दौरा भी रद्द हो गया। जानकारों की माने तो पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यह उम्मीद करते थे कि आरोपों का जवाब खुद वसुन्धरा राजे मीडिया के सामने आकर दे। राजे को इस बात के संकेत भी दिए गए, लेकिन राजे ने ऐसा नहीं किया। राजे तो इतना भी नहीं चाहती कि ललित मोदी को लेकर उनसे कोई सवाल जवाब भी करे। राजे का तर्क है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजस्थान में उन्हीं के दम पर अपार सफलता मिली है। ऐसे में किसी भाजपा नेता की इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि वे राजे से सवाल जवाब करे। पुख्ता सूत्रों के अनुसार बदली हुई परिस्थितियों में राजे और भाजपा हाई कमान के बीच संवादहीनता भी बढ़ गई है। हालांकि केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली को अभी भी राजे और भाजपा हाई कमान के बीच मध्यस्थ माना जा रहा है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भी राजे की गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए है। संघ भी नहीं चाहता कि राजे को लेकर भाजपा विधायकों में दो फाड़ हो। संघ भी एक रणनीति के तहत पूरे घटनाक्रम को देख रहा है।
खुद ही इस्तीफा देने का इंतजार
संघ और भाजपा ने भले ही अभी राजे को इस्तीफा देने के संकेत नहीं दिए हों, लेकिन वसुन्धरा राजे द्वारा खुद ही इस्तीफे की पेशकश करने का इंतजार किया जा रहा है। असल में राजे की विधायकों पर पकड़ को देखते हुए हाई कमान कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहता है। अलबता हाई कमान भी मानता है कि ललित मोदी प्रकरण में राजस्थान में भाजपा की सरकार की छवि लगातार खराब हो रही है। इससे खुद राजे को भी नुकसान हो रहा है। जैसे-जैसे वर्षाकालीन संसद सत्र की तिथि नजदीक आएगी, वैसे-वैसे माहौल और गर्म होगा। हो सकता है तब राजे स्वयं ही भाजपा हाई कमान के सामने इस्तीफे की पेशकश कर दे। भाजपा और संघ का भी मानना है कि इस बार विपक्षी दल संसद को चलने नहीं देंगे।
लन्दन में मजे ले रहे हैं मोदी
इधर भारत में केन्द्र सरकार भगोड़े ललित मोदी के चक्कर में फंसी हुई है तो उधर ललित मोदी लन्दन में मजे ले रहे हैं। 26 जून को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और बेटी प्रियंका गांधी का नाम उछालने के बाद ललित मोदी घूमने चले गए। अपने ट्वीट में मोदी ने भारतीय मीडिया की ओर इशारा करते हुए कहा कि अभी वाड्रा और प्रियंका से काम चलाओ। ट्वीट होते हैं सभी चैनलों पर वाड्रा और प्रियंका को लेकर स्टोरी चलने लगी है। जहां भाजपा ने मोदी के इस ट्वीट में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की, वहीं कांग्रेस के नेता भी बचाव की मुद्रा में आ गए। ललित मोदी से लन्दन में मुलाकात पर वाड्रा और प्रियंका तो कुछ नहीं बोले, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने कहा कि यह मुलाकात तो एक रेस्टोरेन्ट में हुई थी। न जाने ललित मोदी अभी और किस-किसके नाम उजागर कर सकते हैं। मोदी को अब इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि सुषमा स्वराज, वसुन्धरा राजे, राजीव शुक्ला, शरद पवार, राबर्ट वाड्रा, प्रियंका गांधी आदि का क्या हो। उनका मकसद तो सम्पूर्ण भारतीय राजनीति को भ्रष्ट साबित करना है। मोदी वैसा ही कर रहे हैं जैसा हमारी पुलिस एक चोर को पकडऩे के बाद करती है। चोर बताता है कि उसने सोने-चांदी का सामान किस सर्राफा व्यापारी को बेचा। पुलिस सिर्फ एक सुनार से चोरी का माल नहीं वसूलती बल्कि चोर से कई सुनारों के नाम कहलवाती है और फिर सभी सुनारों से बेवजह माल की वसूली करती है। ललित मोदी अब जिस किसी राजनेता का नाम ले रहे हैं उसकी छवि चोर से माल खरीदने वाले सुनार जैसी हो रही है।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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