Wednesday 1 July 2015

योग धर्म से नहीं इंसानियत से जुड़ा है। जैन संत ललित प्रभ और चन्द्रप्रभ के अजमेर में 3 जुलाई से होंगे प्रवचन


(spmittal.blogspot.in)

जैन संत ललित प्रभ महाराज और चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा है कि योग किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण इंसानियत के आध्यात्मिक जीवन से जुड़ा हुआ है। आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा सभी धर्म से मिलती है। जो योग हमें आध्यात्मिक जीवन सिखाता है उसे किसी धर्म से जोड़ा जाना नासमझी है। सूर्य जब रोशनी देता है तो क्या हिन्दू -मुसलमान के बीच कोई भेदभाव करता है? सूर्य की रोशनी सभी प्राणी मात्र के लिए है। हम जब बीमार पड़ते है तो दवा लेते है। क्या कोई बीमार व्यक्ति धर्म के आधार पर दवा लेने से इंकार कर सकता है? योग कोई कसरत की क्रिया नहीं है और न ही किसी धर्म की पूजा पद्धति। योग तो मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन जीने की शिक्षा देता है। दोनों संतों ने सवाल उठाया कि इस धरती पर कोई ऐसा भी इंसान है जो अपना जीवन आध्यात्म के बिना जीना चाहता है। धर्म हिन्दू हो या मुसलमान, इसाई हो या बोद्ध सभी में आध्यात्मिक जीवन पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून को जो अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की घोषणा करवाई, वह किसी एक धर्म के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है।
सादा हो जीवन :
दोनों संतों ने कहा कि मनुष्य का जीवन जितना सादगीपूर्ण होगा, उतना उसका जीवन सुंदर होगा। इसके विपरीत जितना आरामदायक और भौतिक सुख सुविधाओं युक्त होगा, उतना कष्टप्रद भी होगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीने की कला के बजाए छोडऩे की कला सीखनी चाहिए। जब-जब मनुष्य भौतिक सुख सुविधा को छोड़ता चला जाएगा तब-तब उसका जीवन आनंदमय होता चला जाएगा। उन्होंने कहा कि हम विज्ञान के खिलाफ नहीं है, लेकिन विज्ञान ने जो टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाई है उसके दुरूपयोग के खिलाफ है। विज्ञान की टेक्नोलॉजी की वजह में ही टीवी और मोबाइल पर दुनिया सिमट कर रह गई है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट तकनीक का उपयोग अच्छी और खोजपूर्ण जानकारी के लिए होता है तो यह सकारात्मक पक्ष है, लेकिन वही जब मोबाइल पर अश्लील चित्रों का आदान-प्रदान होता है तो यह समाज को बिगाडऩे वाला काम होता है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों की देखभाल सही प्रकार से करे। जो लड़की स्कूल पढ़ती है, उसे मोबाइल की कोई आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन फिर भी अभिभावक लाड़-प्यार में अपनी बिटियां को मोबाइल दिला देते हंै। मोबाइल के साथ इंटरनेट का कनेक्शन भी दिलवाया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के लिए मोबाइल अथवा लेपटॉप का उपयोग करता है तो इससे हमें कोई एतराज नहीं है,लेकिन जब इस तकनीक का हमारी सामाजिक व्यवस्था के विरूद्ध उपयोग होता है तो घर-परिवार टूट जाता है। आज विज्ञान की टेक्नोलॉजी की वजह से घर-परिवारों में बिखराव हो रहा है। उन्होंने माना कि समाज में बिखराव को रोकने की जवाबदेही सभी धर्मों के संतों और विद्वानों की भी है। यदि समाज का ताना-बाना बिखरता है तो इसका मतलब हम जो धार्मिक व्याख्यान दे रहे हैं। उसका असर नहीं हो पा रहा है। लेकिन यह भी सही है कि समाज के युवा वर्ग की प्रवृत्ति धर्म के प्रति बढ़ी है। आज धार्मिक आयोजकों में युवा वर्ग बड़ी संख्या में आने लगा है। यह इस बात के संकेत हैं कि समाज में धर्म का महत्त्व भौतिकवाद के युग में भी बना हुआ है।
जैन समाज में एक जुटता जरूरी
जैन संत ललित प्रभ और चन्द्रप्रभ ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में सम्पूर्ण जैन समाज में एकता होना जरूरी है। जब हमारी सोच, हमारी जीवन शैली और धार्मिक प्रवृत्तियां एकसी हैं, तो फिर विचारधारा अलग-अलग क्यों हो? श्वेताम्बर जैन हो या दिगम्बर दोनों ही भगवान महावीर स्वामी को मानते हैं। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले जयपुर में उन्होंने पहल कर दिगम्बर जैन संत तरुण सागर महाराज के साथ पूरे चार्तुमास साथ-साथ प्रवचन दिए हैं। उस समय समाज के लोगों ने चर्तुमास के अलग-अलग इंतजाम किए थे, लेकिन तरुण सागर और हम दोनों ने इंतजाम को एक किया और प्रवचन दिए। हमारी इस पहल को देशभर के जैन समाज में सराहा गया। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि समाज में कुछ प्रतिनिधियों के बीच सम्पत्तियों को लेकर कोई मनमुटाव हो, लेकिन इस मनमुटाव को जल्द से जल्द दूर करना चाहिए।
सौ से भी ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन
जैन संत चन्द्रप्रभ और ललित प्रभ महाराज ने अब तक सौ से भी ज्यादा पुस्तकों का लेखन किया है। मनुष्य का जीवन आध्यात्म के अनुरूप कैसे हो, इसके बारे में पुस्तकों में विस्तार से जानकारी दी गई। दोनों जैन संतों के सौ से भी ज्याद प्रवचन यू-ट्यूब  पर भी उपलब्ध हैं, हालांकि दोनों जैन संतों का चार्तुमास इस बार भीलवाड़ा में है, लेकिन 3 से 9 जुलाई तक दोनों संत अजमेर के जवाहर रंगमंच पर रोजाना प्रवचन देंगे। यह प्रवचन प्रात: 8:45 से शुरू होंगे।
जड़वाल बंधुओं ने किया स्वागत
दोनों जैन संतों का अजमेर पहुंचने पर शमेन्द्र जड़वाल और ललित जड़वाल ने जोदार स्वागत किया। एक जुलाई को दोनों जैन संत जड़वाल बंधुओं के ब्यावर रोड स्थित निवास स्थान पर भी रहे। दोनों संतों ने कहा कि जब भी उनका अजमेर प्रवास होता है, तब वे जड़वाल बंधुओं के निवास पर अवश्य आते हैं। इस मौके पर जड़वाल बंधुओं ने कहा कि दोनों संतों की कृपा उनके परिवार पर बरसों से है।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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