Friday 10 July 2015

मोदी-नवाज की मुलाकात से क्या हासिल होगा?


(spmittal.blogspot.in)

शहीद की लाश और हाथ साथ-साथ मिले
10 जुलाई को जब पीएम नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से रूस में हाथ मिलाया, तभी इधर भारत की सीमा पर हमारे एक जवान की लाश मिली। हमारे जवान को नवाज शरीफ के सैनिकों ने शहीद किया। पीएम मोदी पहले भी कई बार नवाज से हाथ मिला चुके हैं, लेकिन इस हाथ मिलाने से पाक के रवैये में कोई सुधार नहीं हो पाया है। अंतर इतना ही आया है कि कांग्रेस के शासन में मोदी और भाजपा नेता पाक नेताओं से मुलाकात का विरोध करते थे, तो अब मोदी-नवाज की मुलाकात का कांग्रेसी विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के शासन में मोदी ने बार-बार यही आरोप लगाया कि पाकिस्तान के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए। लोकसभा चुनाव के दौरान एक इंटरव्यू में जब पत्रकार ने पूछा कि पीएम बनने के बाद आप किस तरह पाक के खिलाफ कार्यवाही करेंगें, तो मोदी ने तल्ख लहजे में कहा कि क्या ऐसी कार्यवाही मीडिया को बताकर की जाएगी। यह माना कि सरकार को पाक के खिलाफ गोपनीय तरीके से ही कार्यवाही करनी चाहिए, लेकिन मोदी के करीब सवा वर्ष के कार्यकाल में ऐसी कोई कार्यवाही नहीं हुई, जिससे पाकिस्तान को डर लगे। पिछले दिनों जब म्यांमार में भारतीय सैनिकों ने कार्यवाही की तो पाक ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत पाक को म्यांमार न समझे। सरकार मोदी की हो या मनमोहन सिंह की, पाक सैनिकों को जो करना होता है, वह करते हैं। पाक सेना को भी पता था कि 10 जुलाई को रूस में मोदी-नवाज मुलाकात होगी, लेकिन फिर भी सीमा पर हमारे सैनिक की हत्या कर दी गई। जाहिर है कि पाक सेना यह दिखाना चाहती है कि मोदी-नवाज की मुलाकात से कुछ भी हासिल नहीं होगा। असल में पाक में सरकार पर सेना हावी है। मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने भाषणों में पाक के खिलाफ जो सख्त रवैया अपनाया था, वैसा ही अब पीएम बनने के बाद करना होगा। देश की जनता ने मोदी को पीएम इसलिए चुनाव, ताकि पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो सके।
टीवी पर बंद हो जंग
10 जुलाई को सुबह 10 बजे जब रूस में मोदी-नवाज की मुलाकात हुई, तब से ही टीवी चैनलों पर भारत और पाक के पत्रकारों और सेना के रिटायर अधिकारियों की मौखिक जंग शुरू हो गई। भारतीय चैनलों के स्टूडियो में हमारे पत्रकार और रिटायर सेना अधिकारी बैठे तो उधर इस्लामाबाद में भी पाकिस्तान के लोगों ने मोर्चा संभाला। लाइव डिबेट भारत में तो दिखाई गई, लेकिन पाकिस्तान में टीवी चैनलों में प्रसारण नहीं किए। इस्लामाबाद से जो पत्रकार जुड़े उन्होंने खुलेआम भारत के खिलाफ जहर उगला। यानि हमारे ही चैनलों पर दुश्मन देश के लोग गालियां बक रहे थे। पाक के पत्रकार और विशेषज्ञ जिस तरह आतंकवादियों के मददगार बने हुए थे, उससे प्रतीत हो रहा था कि अंतर्राष्ट्ररीय मंच पर भारत ही अपराधी है। समझ में नहीं आता कि हमारे चैनल वाले पाकिस्तान को जहर उगलने का मौका क्यों देते हैं? क्या सरकार टीवी पर होने वाली जंग को रोक नहीं सकती है?
श्रीनगर में हुर्रियत का प्रदर्शन
उधर रूस में मोदी नवाज के हाथ मिले और इधर कश्मीर के श्रीनगर में हुर्रियत ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से जाहिर था कि हुर्रियत और नवाज शरीफ मिले हुए हैं। भारत के न चाहते हुए भी पाकिस्तान कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाता रहा है। श्रीनगर में पहले भी भारत विरोधी प्रदर्शन हो चुके हैं। सवाल उठता है कि जब हम अपने ही कश्मीर में भारत विरोधी प्रदर्शनों को नहीं रोक सकते तो फिर नवाज शरीफ से हाथ मिलाने का क्या फायदा है।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

No comments:

Post a Comment