Saturday 11 July 2015

क्या हाल बना रखा है देवनानी और भदेल ने अजमेर नगर निगम का


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर नगर निगम के जो बदतर हालात हैं, उसके लिए क्या राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल जिम्मेदार नहीं हैं? भाजपा के यह दोनों मंत्री अजमेर शहर से ही निर्वाचित हैं लेकिन इसके बाद भी यह शर्मनाक बात है कि निगम के आयुक्त का चार्ज राजस्व अधिकारी गजेन्द्र सिंह रलावता के पास है। इन दिनों अवैध कॉम्प्लेक्सों को सीज करने का जो अभियान चल रहा है उसकी बागडोर भी रलावता के पास है। हाल ही में जिस तरह रलावता को मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए गए हैं उससे यह प्रतीत होता है कि भाजपा के शासन में भी रलावता के बिना नगर निगम का प्रशासन चल नहीं सकता है। निगम में जिस तरह अधिकारियों का अभाव है उससे यह सवाल उठता है कि आखिर देवनानी और भदेल के मंत्री बनने का अजमेर शहर को क्या फायदा है? यूं तो देवनानी और भदेल छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से नाराज हो जाते हैं, लेकिन नगर निगम की दुर्दशा को लेकर इन दोनों मंत्रियों का का कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है। यदि एक राजस्व अधिकारी को आयुक्त के साथ-साथ मजिस्ट्रेट की भी भूमिका निभानी पड़े तो देवनानी और भदेल को थोड़ा बहुत तो अहसास होना ही चाहिए। क्या यह दोनों मंत्री अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर निगम में रिक्त पड़े अधिकारियों के पद भरवा नहीं सकते हैं? आयुक्त श्रीमती सीमा शर्मा ने इन दोनों मंत्रियों को कई बार कह दिया है कि वे एक मिनिट भी निगम में रहना नहीं चाहती हैं इसके बावजूद भी ये दोनों मंत्री सीमा शर्मा को हटवा नहीं पा रहे हैं। सीमा शर्मा अब तो इतनी नाराज हैं कि पिछले एक सप्ताह से अवकाश पर चली गई हैं। दूसरे आयुक्त का पद भी पिछले कई माह से रिक्त पड़ा हुआ है। पुष्कर नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी शीशकान्त शर्मा को काम चलाऊ तौर पर निगम में नियुक्त कर रखा है। राजस्व अधिकारी पंकज मंगल का तबादला भी बूंदी हो चुका है लेकिन सीईओ एच.गुईटे ने अपने स्तर पर तबादला रोक रखा है। जहां तक गुईटे का सवाल है तो उनकी वजह से भी निगम के हालत बिगड़े हुए हैं। गुईटे को हिन्दी बोलने और समझने में कठिनाई होती है इसलिए आम लोगों का तालमेल सीओ से हो ही नहीं पा रहा। निगम के कर्मचारी और अधिकारी अपने नजरिए से गुईटे को समझाते हैं। हालात इतने खराब हैं कि 10 जुलाई को भी जब गंज क्षेत्र में एक कॉम्प्लेक्स को सीज करने गए तो पता चला कि इस कॉम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति निगम ने दे रखी है। अगले माह निगम के चुनाव होने हैं और उम्मीद की जा रही है कि 20 अगस्त से पहले पहले आचार संहिता लागू हो जाएगी। यदि इससे पहले अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हुई तो फिर इसी ढांचे से निगम के चुनाव भी करवाने पड़ेंगे। समझ में नहीं आता कि एक ओर भाजपा निगम में अपना बोर्ड बनाने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर निगम के हालात बद से बदतर हैं। क्या शहर के मतदाता देवनानी और भदेल के कहने से इसलिए वोट देंगे कि निगम के हालात इतने बुरे हैं। आखिर यह दोनों मंत्री निगम की किस उपलब्धि को गिनाकर वोट मांगेंगे। यह माना कि वर्तमान में मेयर के पद पर कांग्रेस के कमल बाकोलिया हैं लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से प्रदेश में भाजपा का शासन है। यूं तो बाकोलिया भी अपने पांच वर्ष के कार्यकाल की कोई उपलब्धि नहीं गिनवा सकते। लेकिन इस डेढ़ वर्ष की अवधि में देवनानी और भदेल ने भी तो निगम के हालात सुधारने के लिए कोई कार्य नहीं किया है। कहा जा रहा है कि गुईटे को सीईओ के पद से हटाने के लिए देवनानी और भदेल ने सरकार से कहा है लेकिन सरकार से अभी तक तो देवनानी और भदेल की कोई सुनवाई नहीं हुई है।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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