Monday 13 July 2015

अजमेर के अवैध कॉम्प्लेक्स मालिकों को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत।


(spmittal.blogspot.in)

सीज का अभियान जारी रहेगा।
अजमेर शहर में बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माणों को लेकर 13 जुलाई को हाईकोर्ट में जस्टिस अजीत सिंह और जस्टिस उपेन्द्र ग्रेवाल के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अवैध कॉम्प्लेक्स मालिकों को किसी भी प्रकार से कोई राहत नहीं दी है। ऐसी स्थिति में नगर निगम प्रशासन सीज की कार्यवाही को जारी रख सकता है। सबसे पहले राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल एन.एम.लोढ़ा ने नगर निगम की ओर से पालना रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में निगम के सीईओ एच.गुइटे की ओर से बताया गया कि पूर्व में जिन निर्माणों को अवैध माना गया था, उन्हें एक-एक बार सीज किया जा रहा है। साथ ही नए अवैध निर्माणों को भी सीज करने की कार्यवाही हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया कि हाईकोर्ट ने जो दिशा-निर्देश दिए हैं, उनके अनुरूप ही अवैध निर्माणकर्ताओं  के खिलाफ कार्यवाही हो रही है। एडीए के अधीन आने वाले अवैध निर्माणों की सूची एडीए को भेज दी है। इसके बाद अवैध निर्माणकर्ताओं के वकील रजत रंजन की ओर से आग्रह किया गया कि जिन निर्माणकर्ताओं ने नियमानुसार नगर निगम और स्वायत्त शासन निदेशालय में अपील दायर कर रखी है, उन्हें सुनने के आदेश जारी किए गए। रंजन ने कहा कि सरकार ने अवैध निर्माणों को नियमित करने के जो नियम बना रखे हैं, उसके अंतर्गत अनेक निर्माण आते हैं। ऐसे निर्माणकर्ता निर्धारित जुर्माना अदा कर अपने निर्माण को नियमित करवाना चाहते हैं। इस मामले में तीसरे पक्ष और जनहित याचिका दायर करने वाले रवि नरचल के बारे में जब दोनों न्यायाधीशों ने जानकारी ली तो पता चला कि आज नरचल अनुपस्थित है। नरचल की अनुपस्थिति दर्ज कर दोनों न्यायाधीशों ने मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई निर्धारित की। न्यायाधीशों का कहना रहा कि इस मामले में पूर्व में जो आदेश जारी हुए हैं। उन्हें मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने जारी किया है। इसलिए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष ही सुनवाई के लिए रखा जाए। दोनों न्यायाधीशों ने नगर निगम द्वारा प्रस्तुत पालना रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेते हुए 13 जुलाई को अपनी ओर से कोई नया आदेश पारित नहीं किया।
जारी रहेगा सीज का अभियान
13 जुलाई को हाईकोर्ट द्वारा अवैध निर्माणकर्ताओं को किसी भी प्रकार से कोई राहत नहीं देने के कारण अब नगर निगम का सीज अभियान जारी रहेगा। हालांकि अब निगम पर भी भेदभाव के आरोप लगा रहा हैं। आरोप है कि प्रभावशाली व्यक्तियों के अवैध कॉम्प्लेक्स सीज नहीं हो रहे हैं। जिन कॉम्प्लेक्स मालिकों ने निगम में चांदी का जूता अधिकारियों के मुंह पर रखकर अवैध निर्माण करवाया, उनकी ओर तो निगम प्रशासन देख भी नहीं रहा है। हालांकि गुइटे के सीईओ बनने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि प्रभावशाली व्यक्तियों के कॉम्प्लेक्स भी सीज होंगे। एक अवैध कॉम्प्लेक्स तो चूड़ी बाजार के कौने पर नगर निगम के भवन के सामने ही बना हुआ है। चूंकि इस कॉम्प्लेक्स के मालिक ने भी कई पार्षदों के साथ निगम के अधिकारियों के मुंह पर चांदी का जूता मार रखा है, इसलिए सीज की कार्यवाही नहीं हो रही है। ऐसे कई अवैध कॉम्प्लेक्स हैं, जिन्हें सत्तारुढ़ भाजपा नेताओं का भी संरक्षण प्राप्त हैं। उम्मीद है कि सीईओ गुइटे ने तो राजनीतिक दबाव में आएंगे और न ही अपने मुंह पर चांदी का जूता खाएंगे। गुइटे पार्षदों की साधारण सभा में कह चुके हैं कि यदि भाजपा के नेताओं को उनकी कार्यशैली पसंद नहीं आ रही है तो उनका तबादला करवा दिया जाए।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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