Thursday 2 July 2015

केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट के घर में हो गई भाजपा की हार


(spmittal.blogspot.in)

केन्द्रीय जलसंसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट के निर्वाचन क्षेत्र अजमेर की जिला परिषद की स्थाई समितियों के चुनाव में भाजपा सदस्यों की खुली बगावत से कांग्रेस के सात सदस्य चुनव जीत गए। 32 सदस्यों में से भाजपा के 23 सदस्य हैं, ऐसी स्थिति में सभी पांचों स्थाई समितियों में भाजपा के ही सदस्यों की जीत होनी चाहिए थी। असल में समितियों के चुनाव में सांसद और केन्द्रीय मंत्री जाट ने अपनी ही पार्टी की जिला प्रमुख वंदना नोगिया को सबक सिखाने का इशारा जिले के भाजपा विधायकों को कर दिया था। चार माह पहले जब जिला प्रमुख का चुनाव हुआ, तब सांवरलाल जाट ने भाजपा की अधिकृत उम्मीदवार नोगिया का खुला विरोध किया। तब जाट चाहते थे कि अनिता बैरवा को उम्मीदवार बनाया जाए। जाट के विरोध के चलते ही अनिता बैरवा ने अपना नामांकन भी दाखिल किया और नामांकन के बाद जाट के सिविल लाइन स्थित निवास पर चली गई। तब देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने प्रभावी भूमिका निभाते हुए अनिता बैरवा को जाट के घर के अंदर से निकाला और ऐन मौके पर नामांकन वापस कराया। चूंकि नोगिया जाट के खिलाफ जिला प्रमुख बनी थी, इसलिए स्थाई समितियों के चुनव में जाट और भाजपा विधायकों ने नोगिया को अकेला छोड़ दिया। नोगिया राजनीति में नई नई आई है, इसलिए वे जाट और भाजपा के विधायकों के चक्रव्यूह को तोड़ नहीं सकी। एक जुलजाई को हुए चुनावों में नोगिया की मदद के लिए भाजपा का कोई वरिष्ठ नेता नहीं आया। फलस्वरूप अपने विवेक से नोगिया ने चुनाव की प्रक्रिया पूरी करवाई। यहां तक कि प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी ने भी इन चुनावों में कोई रुचि नहीं दिखाई। असल में जिस प्रकार जाट और भाजपा की विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा, जिला प्रमुख नोगिया का विरोध कर रहे थे उससे बचने के लिए देवनानी चुनावों से दूर ही रहे।
सवाल यह नहीं है कि जिला परिषद में पूर्ण बहुमत होने के बाद भी कांग्रेस के सात सदस्य जीत गए। सवाल यह है कि जब राजनीतिक दृष्टि से अजमेर मजबूत स्थिति में है तो फिर कांग्रेस के सदस्य कैसे जीत गए? इस समय सांसद जाट तो केन्द्र में मंत्री हैं ही साथ ही अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल स्वतंत्र प्रभार के प्रदेश में मंत्री हैं। आठ विधायकों में से सात भाजपा के हैं। दिग्गज नेता औंकार सिंह लखावत भी राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। इतना ही नहीं भाजपा के प्रभावशाली राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव भी अजमेर के ही हैं। सत्तारूढ़ पार्टी में अजमेर की इतनी मजबूत स्थिति होने के बाद भी यदि जिला परिषद में कांग्रेस के सदस्य जीतते हैं तो यह सवाल उठना लाजमी है कि ये नेता क्या सिर्फ सत्ता का सुख भोगने के लिए ही है? जब एक साधारण से चुनाव में बहुमत होते हुए भी भाजपा की इज्जत नहीं बचाई जा सकती है तो फिर यह नेता सत्ता के मजे क्यों ले रहे है? क्या सिर्फ सरकारी वाहनों में घूमने और पुलिस जवानों से सेल्यूट लेने के लिए ही विधायक सांसद और मंत्री बने। यह स्थिति तब हुई है जब तीन चार दिन पहले ही जिला प्रमुख नोगिया सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी से मिली थी। इस मुलाकात में नोगिया ने भाजपा नेताओं की करतूत के बारे में बता दिया था। लेकिन नोगिया की इस शिकायत के बाद भी अजमेर के भाजपा के नेताओ ंपर कोई असर नहीं हुआ।
अजमेर में अगले माह अजमेर नगर निगम, किशनगढ़, केकड़ी की नगर परिषद तथा बिजयनगर और सरवाड़ नगर पालिका के चुनाव होने हैं। जिला परिषद में कांग्रेस ने भाजपा को जिस तरह मात दी है, उससे मरे हुए कांग्रेसियों में जान आ गई है। यदि भाजपा के बड़े नेताओं ने संगठन के प्रति वफादारी नहीं दिखाई तो अगस्त के चुनावों में कांग्रेस की स्थिति अपने आप मजबूत हो जाएगी। अच्छा हो कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व उन नेताओं के खिलाफ अनुशानहीनता की कार्यवाही करें, जिनकी वजह से जिला परिषद में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। उन भाजपा विधायकों और नेताओं के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए जो अनुसूचित जाति की जिला प्रमुख नोगिया को राजनीतिक दृष्टि से लगातार अपमानित कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

No comments:

Post a Comment