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इससे क्या अलगाववादियों का दिल पसीजेगा।
कश्मीर के हालात सुधारने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी हर संभव कोशिश कर रहे हैं। 17 जुलाई को पीएम एक बार कश्मीर के दौरे पर हैं। इसका मकसद ईद के मौके पर कश्मीरियों को मुबारक बाद देने के साथ-साथ उनकी परेशानियों का समाधान करना भी है। इससे पहले भी पीएम दीवाली के मौके पर कश्मीर में ही थे। ईद के मौके पर तो 70 हजार करोड़ रुपए के विकास कार्यों का तोहफा भी दिया है। सवाल उठता है कि पीएम की इस पहल से क्या कश्मीर के अलगाववादियों का दिल पसीजेगा? जिस कश्मीर में खुलेआम पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगा कर भारतीय ध्वज को जलाया जा रहा हो, वहां पीएम की पहल कितनी कारगार होगी। क्या भाजपा के समर्थन से चलने वाली पीडीपी की सरकार के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद अब अलगाववादियों का साथ छोड़ कर देशभक्ति दिखाएंगे। हम सब जानते हैं कि सईद की सहानुभूति पूरी तरह अलगाववादियों के साथ है। कई बार सईद इस तथ्य को स्वीकार भी कर चुके हैं। कश्मीर के हालात किसी से भी छिपे नहीं है। पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों को घुसपैठ का अवसर इसलिए मिलता है, क्योंकि कश्मीर के कुछ लोगों की मदद है। और अब तो कश्मीर में खूंखार आतंकवादी संगठन आईएस ने भी पैर पसार लिए हैं। आए दिन कश्मीर में आईएस के झंडे लहराए जाते हैं।
यह वही आईएस है जिसने सीरिया, इराक जैसे मुस्लिम देशों को तबाह कर दिया है। ऐसे विपरित हालातों में पीएम की दीवाली-ईद की पहल क्या परिणाम निकालेगी, यह आने वाला समय ही बताएगा। अलबत्ता हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि कश्मीर के हालात जल्द सामान्य होंगे और जिन हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया गया है, वे फिर से कश्मीर में अपने घरों में जा सकेंगे। तभी सही मायने में पीएम का दीवाली और ईद मनाने का कोई अर्थ होगा। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कश्मीर के हिन्दू तो दर-दर की ठोकरें खाते फिरे और पीएम दीवाली-ईद ही मनाते रहे। 17 जुलाई को जिस कड़ी सुरक्षा में पीएम का समारोह हुआ उससे भी कश्मीर के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511
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