Wednesday 29 July 2015

काश! कलाम जैसी मौत हर अच्छे इंसान को मिले


(spmittal.blogspot.in)

देश-दुनिया में ऐसे हजारों लोग होंगे जो मरना चाहते हैं। कोई बीमारी से दु:खी है तो कोई पारिवारिक समस्याओं से। कुछ तो दूसरों के सुख से ही दु:खी हैं। अस्पताल में भर्ती मरीज के पास जब पैसे का अभाव हो जाता है, तो वह ईश्वर से मौत ही मांगता है, लेकिन मरना भी इतना आसान नहीं है। आमतौर पर कहा जाता है, हे भगवान चलते-फिरते ही उठा लेना। यानि कोई भी व्यक्ति बीमार होकर मरना नहीं चाहता और न ही मरने से पहले किसी समस्या का सामना करना चाहता है। संसार में आए हर व्यक्ति को एक न एक दिन मरना ही होता है, लेकिन उस व्यक्ति को भाग्यशाली माना जाता है, जो काम करते-करते मर जाए। 83 वर्षीय ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की मौत तब हुई, जब वे 27 जुलाई को शिलांग में शिक्षण संस्थान में विद्यार्थियों के बीच भाषण दे रहे थे। यानि कलाम साहब अपने पसंदीदा कार्य को करते हुए ही मरे। सब जानते हैं कि कलाम साहब को बच्चों से संवाद करना बहुत अच्छा लगता था। हमने कभी नहीं सुना कि कलाम साहब किसी अस्पताल में भर्ती हुए अथवा किसी समस्या से ग्रस्त हैं।
साधारण से परिवार में जन्म लेने के बाद देश के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे। यूं तो देश के कई व्यक्ति राष्ट्रपति बने और अब पूर्व राष्ट्रपति का जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे व्यक्तियों का कोई नामो-निशान नहीं है। जबकि राष्ट्रपति का पद नहीं रहने के बाद भी कलाम हमेशा सक्रिय रहे। कलाम को राष्ट्रपति जब बनाया गया, जब केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी। तब भी यही कहा गया कि भाजपा ने अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को सुधारने के लिए कलाम को राष्ट्रपति बनाया है। लेकिन कलाम ने ऐसे लोगों को मुंह तोड़ जवाब दिया। पांच वर्ष के कार्यकाल के बाद जब राजनीतिक दलों में फिर से आम सहमति नहीं बनी तो कलाम ने स्वयं ही अपनी उम्मीदवारी नहीं जताई। आज उनके निधन पर पूरा देश गमगीन है। इसे कलाम की सादगी ही कहा जाएगा कि आज उनके परिवार के सदस्यों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। हम देखते हैं कि कोई पूर्व मुख्यमंत्री या राज्यपाल की मौत होती है, तो संबंधित प्रदेश में अवकाश होता है। भले ही ऐसे राज्यपाल का प्रदेश से कोई सरोकार नहीं रहा हो।
मौत के गम से ज्यादा परिवार के सदस्यों को इस बात की खुशी होती, सरकार ने छुट्टी की है। इसमें कोई दो राय नहीं की तिरंगे में लिपट कर कब्र पर श्मशान तक जाना हर किसी के लिए गर्व की बात होती है, लेकिन आप अपने जीवन में इस लायक तो हों। नि:संदेह कलाम देश की खातिर जिए। इसलिए आज उनको इतना सम्मान मिला रहा है। जो कुछ लोग मुसलमानों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हैं, उन्हें देखना चाहिए कि 30 जुलाई को किस शान के साथ पूरा देश कलाम साहब को सुपुर्दे खाक करेगा। यह सम्मान किसी हिन्दू या मुसलमान को नहीं मिला है,यह सम्मान एक देशभक्त और अच्छे इंसान को मिला है। निधन के बाद भी कलाम के कार्यों को वर्षों तक याद किया जाएगा। काश! ऐसी मौत हर अच्छे इंसान को मिले।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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