Monday 6 July 2015

प्रभारी की माला नहीं पहनेंगे शेखावत और गहलोत


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर नगर निगम के चुनाव में मेयर बनने का ख्वाब देखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र सिंह शेखवात और धर्मेन्द्र गहलोत प्रभारी बनने की माला अपने गले में नहीं पहनेंगे। भले ही मेयर बनने को लेकर दोनों नेता आमने सामने हो, लेकिन प्रदेश संगठन ने प्रभारी की माला जो इनके गले में डाली है, उसे उतार फेंकने के लिए दोनों एकजुट हो गए हैं। मालूम हो कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने धर्मेन्द्र गहलोत को भीलवाड़ा जिले की मांडलगढ़ नगर पालिका और शेखावत को नागौर जिले की मेड़ता सीटी की पालिका के चुनाव में भाजपा का प्रभारी नियुक्त किया है। प्रभारी होने के नाते इन दोनों नेताओं को संबंधित शहरों में जाकर भाजपा के कार्यकर्ताओं से संवाद करना है और फिर उम्मीदवारों के नाम प्रदेश संगठन को भेजने हैं। मांडलगढ़ और मेड़तासिटी में भी अजमेर नगर निगम के साथ ही अगले माह चुनाव होने हैं। शेखावत और गहलोत ने संयुक्त रूप से प्रदेश संगठन से आग्रह किया है कि उन्हें चुनाव प्रभारी के दायित्व से मुक्त किया जाए, क्योंकि वे स्वयं अजमेर में पार्षद का चुनाव लडऩा चाहते हैं। जब वे खुद अजमेर से भाजपा टिकट की मांग कर रहे हैं तो फिर दूसरे स्थान पर जाकर टिकट का वितरण कैसे कर सकते हैं? यही वजह है कि इन दोनों नेताओं ने अभी तक भी आवंटित शहरों में जाकर भाजपा के कार्यकर्ताओं की कोई बैठक आयोजित नहीं की है। जबकि प्रदेश संगठन ने जिन प्रभारियों को नियुक्त किया है, उनमें से अधिकांश अपने-अपने आवंटित शहरों में पहुंच गए हैं। अजमेर में भी 5 जुलाई को ही निगम चुनाव के प्रभारी रामनारायण डूडी ने बैठक कर ली है। मजे की बात यह है कि श्हार भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव ने उम्मीदवारों के चयन के लिए जो कोर कमेटी बनाई है, उसका सदस्य सुरेन्द्र सिंह शेखवात को भी बनाया गया है। शेखावत ने 5 जुलाई को हुई कोर कमेटी की बैठक में भी भाग लिया था। हालांकि शेखावत और गहलोत पूर्व म्ें अजमेर के मेयर और सभापति रह चुके हैं, लेकिन दोबारा से इस पद को हासिल करने के लिए दोनों कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसके लिए दोनों नेता वार्ड पार्षद का मामूली चुनाव भी लडऩे की जोखिम उठा रहे है। असल में गहलोत को अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और शेखावत को अजमेर दक्षिण की विधायक अनिता भदेल का उम्मीदवार माना जा रहा है। अजमेर के इस राजनीतिक गणित को देखते हुए ही प्रदेश संगठन ने शेखावत और गहलोत को निगम चुनाव की राजनीति से बाहर करने के लिए ही दूसरे स्थानों का प्रभारी नियुक्त किया है। संगठन ने इन दोनों नेताओं के गले में प्रभारी की जो माला डाली है, उसे किसी भी स्थिति में ये पहनने को तैयार नहीं है। इस मामले में देवनानी और भदेल भी प्रयासरत बताई जा रही हैं, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है। हो सकता है कि देवनानी और भदेल ने ही अपना पिंड छुड़ाने के लिए दोनों नेताओं को प्रभारी नियुक्त करवा दिया हो और अब दिखाने के लिए प्रदेश के नेताओं को फोन आदि कर रहे हैं। जो शेखावत और गहलोत मेयर बनने की रणनीति में जुटे हुए थे, फिलहाल प्रभारी के दायित्व से मुक्त होने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। देखना है कि दोनों नेताओं को सफलता मिलती है या नहीं। चूंकि इस बार मेयर का पद सामान्य वर्ग के लिए है, इसलिए अनेेक नेता दावेदारी जता रहे हैं। सोमरत्न आर्य, जे.के.शर्मा, जयकिशन पारवानी, नीरज जैन, भागीरथ जोशी, सीताराम शर्मा आदि नेता इस बात से खुश है कम से कम दो दावेदार तो अपने आप कम हो गए हैं।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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