Wednesday 8 July 2015

अजमेर में बिजली के खम्बों का भी उपयोग करेगा रिलायन्स


(spmittal.blogspot.in)

राजस्थान में इंटरनेट की 4जी की सेवा उपलब्ध कराने का ठेका रिलायन्स इंफोटेक कंपनी ने लिया है। यही वजह है कि रिलायन्स इन दिनों प्रदेशभर में मनमाने तरीके से 4जी के टावर लगा रहा है। अजमेर में ऐसे कई सकड़े स्थान है, जहां 4जी की भूमिगत केबल नहीं डाली जा सकती है। रिलायन्स को कोई परेशानी न हो इसके लिए अजमेर डिस्कॉम ने यह आदेश जारी किए हैं कि रिलायन्स कंपनी अपनी केबल डिस्कॉम के खम्बों पर डाल सकती है। यानि अब शहरभर में लगे बिजली के खम्बों का उपयोग रिलायन्स कंपनी कर सकती है। सवाल यह नहीं है कि रिलायन्स  प्रति खम्बे का किराया सालाना दो हजार रुपए चुकाएगा। सवाल यह है कि जनता के टैक्स से जो संसाधन खड़े है, उनका उपयोग एक धंधेबाज कंपनी कैसे कर सकती हैं। सब जानते हैं कि रिलायन्स अजमेर में ही नहीं बल्कि देशभर में न केवल प्राकृतिक संसाधनों की लूट-खसोट कर रहा है,बल्कि जो सरकारी ढांचा खड़ा है, उसमें भी घुसपैठ कर रखी है। अभी हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी ने जो डिजिटल इंडिया तकनीक की घोषणा की उसके समारोह में भी रिलायन्स के मालिक मुकेश अंबानी मौजूद थे। यह माना कि देश के औद्योगिक विकास के लिए निजी कंपनियों की भागीदारी जरूरी है। लेकिन इस भागीदारी में पारदर्शिता होनी चाहिए। सवाल उठता है कि अजमेर में बिजली के खम्बों को रिलायन्स को देने का जो निर्णय लिया गया, यह किस स्तर पर हुआ। हम सब जानते हैं कि रिलायन्स वाले किस तरह सरकारी अफसरों की खरीद-फरोख्त करते हैं और अब जब राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है, तो अधिकारी बड़ी आसानी से खरीदे जा सकते हैं। अधिकारी चाहे अजमेर के हो अथवा जयपुर के। रिलायन्स मुंह मांगी कीमत देने को तैयार है। इन अधिकारियों की बदौलत ही मुकेश अम्बानी ने 4जी का एक टावर राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुनील अम्बवानी के जयपुर स्थित सरकारी निवास के बाहर खड़ा कर दिया था। उस समय तो जस्टिस अम्बवानी ने भी रिलायन्स को आंखें दिखाई, लेकिन दो दिन बाद जब टावर हट गया तो अब यह पता नहीं चल रहा है कि हाईकोर्ट की आंखें किधर हो गई। अजमेर सहित पूरे प्रदेश में रिलायन्स  ने 4जी के टावर चौराहों, फुटपाथ, डिवाइडर सार्वजनिक स्थलों उद्यानों, आवासीय कॉलोनियों आदि में खड़े कर दिए है। आम लोग लगातार विरोध कर रहे हैं, लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के साथ दोस्ती के चलते मुकेश अम्बानी के टावरों को हटाने की कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। क्षेत्रीय नागरिकों का विरोध कचरे की टोकरी में डाला जा रहा है। आज भले ही जन विरोध को अनसुना किया जा रहा हो, लेकिन अगले चुनावों में यही जनता रिलायन्स के मददगारों को कचरे की टोकरी में डाल देगी।
बिछाई जा रही है जाजम
अजमेर राजस्थान के उन तीन-चार शहरों में शामिल है, जहां बिजली वितरण का काम प्राइवेट कंपनी को दिया जाना है। माना जा रहा है कि संबंधित बिजली कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए अभी से ही मखमली जाजम बिछाई जा रही है ताकि कंपनी अजमेर में अधिक से अधिक मुनाफा कमा सके। सबसे बड़ा मुनाफा तो यही होगा कि प्राइवेट कंपनी वाले बिजली की चोरी नहीं होने देंगे। आज डिस्कॉम के कुछ इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की मिलीभगत से ही बिजली की चोरी होती है। इसके अतिरिक्त इन दिनों ऐसे निर्णय लिए जा रहे है, जिससे प्राइवेट कंपनी को बिजली के अलावा भी अन्य तरीकों से मुनाफा हो सके। रिलायन्स को बिजली के खम्बे देने का निर्णय भी इसी उद्देश्य से लिया गया है। इससे पहले एक प्राइवेट कंपनी की एलईडी लाइट भी बेचने का काम डिस्कॉम के माथे डाला जा चुका है। यह सब ऐसे काम हैं, जिनसे संबंधित कंपनी को अतिरिक्त कमाई होती रहेगी।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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